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कौडा इक्विना सिंड्रोम से पीड़ित युवक का बीएनएमएच में सफल इलाज

रघुवंश सिंह
जमशेदपुर। पीठ के निचले हिस्से में दर्द की शिकायत पर मरीज (अभिषेक कुमार सिंह, 24 वर्षीय) को ब्रह्मानंद नारायण मल्टीस्पेशलिटी अस्पताल तमोलिया लाया गया, जहां डॉ. राजीव महर्षि, कंसलटेंट, न्यूरो और स्पाइन सर्जरी ने हॉस्पिटल में रोगी की जाँच की और मूत्र प्रतिधारण के लिए फोलिस कैथीटेराइजेशन का सुझाव दिया। पीठ के निचले हिस्से में दर्द के अलावा, युवा बिना किसी सह-रुग्णता के पूरी तरह से फिट था। एमआरआई, एलएस स्पाइन में एल5 एस1 स्तर पर एक बड़ा एक्सट्रूडेड डिस्क का टुकड़ा देखा गया, जो कौडा तंत्रिका की जड़ों को संकुचित कर रही थी। डॉ महर्षि ने इस स्थिति को कौडा इक्विना सिंड्रोम बताया, जो रीढ़ की हड्डी की आपात स्थिति है और उसमें तत्काल सर्जरी की जरूरत पड़ती है। सर्जरी के बाद रोगी को उसके पीठ दर्द से पूरी तरह छुटकारा मिल गया और उसकी आंत और मूत्राशय की क्रिया सामान्य हो गई और रोगी को 2 दिनों के बाद छुट्टी दे दी गई। ब्रह्मानंद अस्पताल आने से पहले मरीज एक सप्ताह से मूत्र और मल त्याग नहंी कर पाया था। इस संबंध में डॉ. राजीव महर्षि का कहना है कि कौडा इक्विना सिंड्रोम एक स्पाइनल इमरजेंसी है जिसमें मल्टीपल लम्बर और सैक्रल नर्व रूट की शिथिलता होती है। घोड़े की पूंछ के समान होने के कारण इसे कौडा इक्विना कहा जाता है। सबसे आम कारण लम्बर क्षेत्र में डिस्क का बड़े पैमाने पर हर्नियेशन है। अन्य कारणों में स्पाइन ट्यूमर, रीढ़ में संक्रमण, पीठ के निचले हिस्से में चोट, जन्मजात असामान्यताएं शामिल हैं। फैसीलीटी डायरेक्टर विनीत राज ने कहा कि ब्रह्मानंद नारायण मल्टीस्पेशलिटी हॉस्पिटल, मस्तिष्क और रीढ़ के सभी सर्जिकल मामलों को संचालित करने के लिए नवीनतम और आधुनिक बुनियादी सुविधाओं से सुसज्जित है एवं हमारे कुशल डॉक्टर, नर्सिंग और पैरामेडिकल टीम यह सुनिश्चित करती है कि मरीज को सबसे अच्छी और सुरक्षित चिकित्सा सुविधा मिले।
डॉ महर्षि ने कौडा इक्विना सिंड्रोम के सामान्य लक्षण में – मूत्र या मल त्याग करने में असमर्थता, निचले अंगों में कमजोरी, पीठ के निचले हिस्से में दर्द और यौन रोग की समस्या आदि बताया। ऐसे में सर्जरी ही इलाज का एक चुनाव है। संकुचित तंत्रिका मार्ग को मुक्त करना ही सर्जरी का मुख्य उद्देश्य है। डॉ॰ महर्षि ने कहा कि यदि मरीज को अनुपचारित छोड़ दिया जाए तो स्थायी पक्षाघात और असंयम का परिणाम हो सकता है। अंगों की कमजोरी के लिए सर्जरी के बाद फिजियोथेरेपी की आवश्यकता होती है। स्पाइन सर्जरी पूरी तरह से सुरक्षित है और इसे माइक्रोस्कोप के माध्यम से किया जाता है। डॉ. महर्षि ने बताया कि अगर पीठ के निचले हिस्से में दर्द दो सप्ताह से अधिक समय तक रहता है एवं जीवन की सामन्य गुणवता अगर बाधित होती हो तो अच्छी तरह से जाँच की जाने पर मुक्ति मिल सकती है।

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