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कथावाचक ने भगवान की महिमा का वर्णन कर श्रोताओं में भक्ति भावना का किया संचार

जमशेदपुर। भुइयाडीह स्लैग रोड़ स्थित नीतिबाग कॉलोनी में चल रहे अष्टम सात दिवसीय भागवत कथा के तीसरे दिन सोमवार को कथावाचक आचार्य बालव्यास पंडित विवेक महाराज ने कपिल अवतार, भगवान के नाम की महिमा, सृष्टि की रचना, नरसिंह अवतार, नरकों की कथा का विस्तार से श्रवण कराया। उन्होंने कथा के दौरान महिलाओं को संदेश दिया कि अपने पति की आज्ञा के बिना कोई ऐसा काम नहीं करें। जिससे की घर परिवार में गृह क्लेश हो। पति को परमेश्वर, सास-ससुर को अपने माता-पिता समझकर सेवा करनी चाहिए। श्री हरि गोबिन्द सेवा समिति और जेके पांडा इकोसिटी, गालुडीह द्धारा आयोजित कथा के दौरान महाराज ने अजामेल उपख्यान का वर्णन करते हुए भगवान की महिमा बताई। व्यास ने कहा कि भगवान का नाम इस कलिकाल में कल्पवृक्ष माना गया है। उन्होंने वृतासुर की बीरबानी, प्रहलाद चरित्र समुंद्र मंथन का मार्मिक वर्णन कर श्रोताओं में भक्ति भावना का संचार किया। सृष्टि की रचना का वर्णन करते हुए कथा वाचक ने कहा कि सबसे पहले भगवान श्री हरि विष्णु की नाभि से कमल के फूल पर बैठे ब्रह्मा जी की उत्पत्ति हुई और भगवान श्री हरि विष्णु के आदेश के अनुसार ब्रह्मा जी ने सृष्टि की रचना की। उन्होंने मनु और सतरूपा की उत्पत्ति की। मनु और सतरूपा से पांच संतानें दो पुत्र और तीन कन्या हुईं। नरसिंह अवतार का वर्णन करते हुए महाराज ने बताया कि दैत्यराज ने कहा कि इस पत्थर नुमा खंभे में हरि कहां हैं, तभी भगवान प्रहलाद की लाज रखने के लिए उस खंभे में से निकल कर भगवान ने नरसिंह अवतार लिया ओर दैत्यराज का वध कर दिया। नरकों की कथा में महाराज ने 28 प्रकार के नरकों का वर्णन करते हुए बताया कि जीवन में दान की गई वस्तु का स्वयं द्वारा उपयोग नहीं करना चाहिए नहीं तो उसके कारण व्यक्ति नरक गामी बन जाता है। नरकों के नाम और उनके हाल का वर्णन करते हुए बताया कि किस पाप से कौन सा नरक मिलता है? कथा के दौरान राधे-राधे के उद्घोष से माहौल भक्ति के रस में डूब गया। इस कथा का सीधा प्रसारण वैदिक चेनल तथा आस्था चेनल पर भी हुआ, जो 23 फरवरी तक रोजाना होगा। कथा के चौथे दिन मंगलवार को को कृष्ण जन्मोत्सव मनाया जाएगा। साथ ही वामन अवतार तथा राम कथा का वर्णन किया जाएगा। इस अवसर पर प्रमुख रूप से गोविन्द राम सरोज, श्रीराम सरोज, हरिओम सरोज, नंद जी सिंह, दिलीप सिंह, रवि सिंह आदि भक्तगण उपस्थित थे

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