ऑनलाइन क्लासेज के बजाय ऑफलाइन क्लासेस पसंद कर रहे हैं स्टूडेंट
आलोक पांडेय
जमशेदपुर । कोरना जैसी वैश्विक महामारी के दौर में ऑनलाइन क्लासेस हो रहे हैं। वहीं दूसरी ओर विशेषज्ञों ने यह चिंता व्यक्त की है कि देश में बहुत सारे बच्चों के पास स्मार्टफोन नहीं है। बहुत सारी आबादी ऐसी है जिनके पास इंटरनेट की पहुंच नहीं है। यहां तक कि गांव में 15% से कम इंटरनेट की पहुंच गए। Covid-19 जैसी वैश्विक महामारी से केवल शिक्षा जगत ही प्रभावित नहीं हो रहा है बल्कि पूरे विश्व में आर्थिक स्थिति भी चरमरा सी गई है। भारत में शिक्षा जगत को सुदृढ़ ध्यान रखने के लिए भारत सरकार ने स्कूलों को ऑनलाइन शिक्षा देने की सिफारिश तो कर रखी है पर विशेषज्ञों के अनुसार भारत में बच्चों के स्वास्थ्य पर इसका विपरीत प्रभाव पड़ रहा है। अभी भारत में दूसरी लहर की कमजोर पड़ते ही भारत के हर राज्य सरकारों ने लॉकडाउन में छूट देते हुए स्कूलों को भी आदेश दिया है कि वह कक्षा 6 से बारहवीं तक के बच्चों को ऑफलाइन क्लास में शामिल करें। इसी कड़ी में झारखंड में भी सरकार के आदेश पर स्कूल खुलने लगे हैं। इसी का जायजा लेने के लिए जमशेदपुर के केरला समाजम मॉडल स्कूल का जायजा लेने पर पता चला की ऑनलाइन क्लासेस के बजाय बच्चे ऑफलाइन क्लासेस को ज्यादा पसंद करते हैं। विद्यार्थियों का कहना है कि विद्यार्थियों का कहना है कि उन्हें ऑनलाइन क्लासेस में अपने चैप्टर्स ठीक से समझ नहीं आ पाते, पर ऑफलाइन क्लासेस होने पर टीचर बोर्ड पर लिखकर समझाती हैं तोबा विषय उन्हें पूर्णता समझ में आ जाता है। सी विषय पर जब शिक्षकों से बात की गई तो सभी शिक्षकों ने एक सुर में यह कहा ऑनलाइन क्लासेस के बजाय ऑफ साइंस क्लासेस कराना ज्यादा आरामदायक होता है बच्चे सभी विषय उसके टॉपिक को ठीक से समझ भी पाते हैं और बच्चों को समझाना काफी सरल हो जाता है। जबकि ऑनलाइन क्लासेस में बच्चे क्लासेस अटेंड तो करते हैं पर कुछ ही देर में उसे विमुख होकर यूट्यूब या अन्य साइट का सहारा लेते हैं। इससे विद्यार्थियों के मानस पटल पर ऑनलाइन क्लासेज के प्रति विरोधाभास पैदा होता है। विद्यार्थी ऑनलाइन ट्रांसफर पूरी तरह समर्पित नहीं हो पाते। किस प्रकार से उन्हें ऑनलाइन क्लासेज के प्रति रुचि कम होती चली जाती है, विद्यार्थी उस विषय में उस जब समझ नहीं पाते तो उसे छोड़ देना पसंद करते हैं। केरला समाजम की प्रिंसिपल श्रीमती नंदनी शुक्ला ने बताया कि इस कोरोना जैसी वैश्विक महामारी में कई शिक्षक शिक्षिकाओं ने अपनो को भी खो दिया। ऐसे छात्र-छात्राएं रहे जिन्होंने अपने माता या पिता को खो दिया। इस दुख से उभरने विद्यार्थी हो या शिक्षक दोनों को समय लगेगा। फिर भी शिक्षकों ने अपना धैर्य नहीं खोया और बच्चों को ऑनलाइन क्लासेस कर आते रहे। उसी जगह कोई विद्यार्थी ऐसे रहे जिन्होंने ऑनलाइन क्लासेज बीच में ही छोड़ दी। एक सवाल के जवाब में स्कूल की वाइस प्रिंसिपल श्रीमती राजन कौर ने बताया कि पूर्णा को देखते हुए सरकार के आदेश के अनुसार सभी बच्चों , और टीचर्स को कोरोना के गाइडलाइन का पालन करवाया जा रहा है। श्रीमती राजन कौर ने बताया कि केरला समाजम के सभी शिक्षक शिक्षिकाओं ने वैक्सीनेशन करा लिया है। अकेला समाज मैनेजमेंट के चेयरमैन केपीजी नायर ने बताया कि हमारे स्कूल के प्रांगण में आते ही बच्चों की टेंपरेचर की जांच की जाती है। क्लास इसको दो हिस्सों में बांट दिया गया ह रोल नंबर के हिसाब से छात्र-छात्राएं आते और जाते हैं सभी कक्षा में 1 से 25 नवंबर तक का दिन अलग रखा गया है और 26 से 50 तक के बच्चों का दिमाग रखा गया है। इस प्रकार से अल्टरनेट क्लासेस कराए जा रहे हैं। सुबह 8:00 से 12:00 तक सभी बच्चों तक क्लासेस ली जाती हैं। सरकार के आदेशानुसार सभी विद्यार्थियों को मास्क लगाकर आना अनिवार्य है। हाथी सैनिटाइजर लेकर आना भी अनिवार्य है। सरकार के आदेश पर बच्चों को टिफिन लेकर के आना मना कर दिया गया है। पूरे स्कूल स्टाफ को वैक्सीनेशन दिलाई जा चुका है।
ऑनलाइन ऑफलाइन क्लासेज के सवाल पर बच्चों ने भी अपने विचार व्यक्त किए। विद्यार्थियों का कहना था कि ऑनलाइन की अपेक्षा ऑफलाइन कक्षा ज्यादा सरल और आरामदायक होती है। किसी भी विषय को समझना ऑनलाइन क्लासेज में थोड़ा मुश्किल होता है। जबकि ऑफलाइन क्लासेस में टीचर बोर्ड पर लिखकर समझाते हैं। हर विषय के हर बिंदु को स्पष्ट तौर पर बोलकर समझाती हैं। और ऑफलाइन क्लासेस में हमारा मन भी पूरी तरह लगता है। शिक्षक सामने होते हैं और हम उनके सामने होते हैं अतः विषय के हर बिंदु को समझने में सभी छात्र छात्राओं को आसानी होती है। अतः में ऑफलाइन क्लासेस ही पसंद है हम सारे मित्र मिलते हैं अच्छा लगता है। विद्यालय में शिक्षक हो या शिक्षिका प्रिंसिपल हो या चेयरमैन सभी ने एक स्वर में एक ही बात कही इको रोना जैसी वैश्विक महामारी को जल्द से जल्द समाप्त हो जाना चाहिए हम ऐसी आशा करते हैं।