Uttarakhand

उत्‍तराखंड यूनिफॉर्म सिविल कोड की खास बातें जान लीजिए

उत्तराखंड यूनिफॉर्म सिविल कोड. : समान नागरिक संहिता लागू करने के लिए मुख्‍यमंत्री पुष्‍कर सिंह धामी ने एक समि‍त का गठन किया है। यह समिति अब तक ढाई लाख लोगों के सुझाव ले चुकी है। यह कोड सभी धर्म के नागरिकों पर समान रूप से लागू होगा। बताया जा रहा है कि जल्‍द ही यह लागू किया जा सकता है।

उत्‍तराखंड में लागू होना यूनिफॉर्म सिविल कोड

राजेश कुमार झा नई दिल्ली

देहरादून: उत्‍तराखंड में यूनिफॉर्म सिविल कोड (यूसीसी) लागू करने की तैयारियां तेजी से चल रही हैं। इसको लेकर शुक्रवार को दिल्‍ली के कांस्‍टीट्यूशन क्‍लब में प्रबुद्धजन और पत्रकारों का जनसंवाद कार्यक्रम हुआ। इसमें समान नागरिक संहिता को लेकर लोगों ने अपने सुझाव दिए। उत्‍तराखंड देश का पहला राज्‍य बन जाएगा जहां यूनिफॉर्म सिविल कोड लागू हो जाएगा। यह सिविल कोड में सभी धर्मों पर लागू होगा। इसमें सभी नागरिकों के लिए विवाह, तलाक, विरासत, उत्तराधिकार और गोद लेने जिससे व्यक्तिगत मामलों को नियंत्रित करने वाले कानूनों का एक मसौदा तैयार किया जाएगा।यूसीसी का मसौदा तय करने के लिए विशेषज्ञ समिति का गठन रिटायर्ड जज रंजना प्रसाद देसाई की अध्यक्षता में किया गया था। समिति ने ढाई लाख से अधिक सुझाव पर विचार विमर्श किया। मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने विधानसभा चुनाव के दौरान उत्तराखंड में समान नागरिक संहिता यूसीसी लागू करने की घोषणा की थी। समिति ने यूसीसी को बेहतर ढंग से लागू करने के लिए उत्तराखंडवासियों, सरकारी गैर सरकारी संस्थाओं संगठनों आदि से सुझाव मांगे थे। समिति ने ऑनलाइन सुझाव आमंत्रित करने के लिए पोर्टल भी तैयार किया था। समिति ने ड्राफ्ट तैयार करने के लिए विदेश के कुछ कानूनों का अध्ययन भी किया है।

क्यों महसूस की गई यूसीसी की जरूरत

यूनिफॉर्म सिविल कोड की जरूरत क्यों महसूस की गई, इस पर एक नजर डालते हैं। जाति से परे, धर्म से परे, आप स्त्री हैं या पुरुष इससे भी परे, कानून सबके लिए एक समान है। शादी, तलाक, गॉड लेना, उत्तराधिकार, विरासत और लैंगिक समानता के लिए यूसीसी की जरूरत प्रदेश में महसूस की गई। इसके तहत शादी, तलाक, बच्चा गोद लेने और सम्पत्ति बंटवारे जैसे मामलों में सभी नागरिकों के लिए एक जैसे नियम ही होंगे।

जमीन-जायदाद के बंटवारे में भी सभी धर्मों के लिये एक ही कानून लागू होगा। इसी तरह से महिलाओं का अपने पिता की संपत्ति पर अधिकार और बच्चा गोद लेने जैसे मामलों में भी एक समान नियम लागू होंगे। विदित हो कि देश में सभी धर्मों के अलग-अलग पर्सनल लॉ है। यूसीसी लागू होने के बाद सभी धर्मों के लिए एक जैसा कानून आ जाएगा।

यूनिफार्म सिविल कोड लागू होने से बहुविवाह पर रोक लगेगी। इसके साथ ही लड़कियों की शादी की आयु बढ़ाई जाएगी ताकि वे विवाह से पहले ग्रेजुएट हो सकें। सबसे अहम पॉइन्ट यह कि लिव इन रिलेशनशिप का डिक्लेरेशन जरूरी होगा और इसकी जानकारी माता पिता को जरूर दी जाएगी।

इसके तहत शादी का पंजीकरण कराना जरूरी होगा। बगैर रजिस्ट्रेशन किसी भी सरकारी सुविधा का लाभ दम्पति को नहीं मिलेगा। पति-पत्नी दोनों को तलाक के समान आधार उपलब्ध होंगे। तलाक का जो ग्राउंड पति के लिए लागू होगा, वही पत्री के लिए भी लागू होगा। नौकरीशुदा बेटे की मौत पर पत्‍नी को मिलने वाले मुआवजे में वृद्ध माता-पिता के भरण पोषण की भी जिम्मेदारी रहेगी। अगर पत्नी दोबारा शादी करती है तो पति की मौत पर मिलने वाले मुआवजे में माता-पिता का भी हिस्सा होगा।

अगर पत्नी की मौत हो जाती है और उसके माता-पिता का कोई सहारा न हो, तो उनके भरण पोषण की जिम्मेदारी पति की होगी। बच्चे के अनाथ होने की सूरत में गार्जियनशिप की प्रक्रिया को आसान किया जाएगा। पति-पत्नी के बीच झगड़े की सूरत में बच्चों की कस्टडी उनके ग्रैंड पैरेंट्स को दी जा सकती है। साथ ही जनसंख्या नियंत्रण की बात भी इस कानून में होगी।

यूसीसी लागू होने पर कोर्ट में लंबित पड़े मामलों का भी जल्द निपटारा हो सकेगा। दावा तो यह भी किया जा रहा है कि यूसीसी से मुस्लिम महिलाओं की स्थिति बेहतर होगी। मुस्लिम महिलाओं को भी बच्‍चा गोद लेने का अधिकार मिल जाएगा। गोद लेने की प्रक्रिया आसान की जाएगी। हलाला और इद्दत पर रोक होगी। राहत की बात यह है कि एक समान नियम होने से लोगों की धार्मिक मान्यताओं को मानने का अधिकार नहीं छूटेगा।

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