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अनाधिकृत पत्रकारों को चिन्हित कर उनपर लगे लगाम

डीजीपी से मिला झारखंड जर्नलिस्ट एसोसिएशन का डेलिगेशन, यूपी जैसी घटना से पहले कराया ध्यानाकृष्ट

संवाददाता
रांची।प्रयागराज में गैंगस्टर अतीक एवं अशरफ की हत्या के उपरांत डिजिटल मीडिया की कार्यशैली आंतरिक सुरक्षा के लिए गंभीर खतरा बनकर सामने आई है। आज भारती श्रमजीवी पत्रकार संघ की झारखंड राज्य इकाई झारखंड जर्नलिस्ट एसोसिएशन द्वारा इस गंभीर मुद्दे पर झारखंड के पुलिस महानिदेशक अजय कुमार सिंह से मुलाकात कर पत्रकारों की सुरक्षा से जुड़े मुद्दों पर संगठन का पक्ष रखा। जेजेए के कार्यकारी अध्यक्ष अमरकांत ने पुलिस महानिदेशक से कहा कि पिछले दिनों प्रयागराज में गैंगस्टर अतीक की हत्या के उपरांत यह प्रश्न और भी गंभीर रूप से उभर कर सामने आई है कि अब अपराधी पत्रकार का टैग लगा कर आसानी से किसी भी बड़ी घटना को अंजाम दे सकते हैं। इस गंभीर मुद्दे पर प्रधानमंत्री एवं केंद्रीय गृह मंत्री ने भी संज्ञान लेते हुए गंभीर चिंता जतायी है। वरिष्ठ पत्रकार सुनील बादल ने कहा कि झारखंड में नक्सली एवं अन्य पेशेवर अपराधी भी अपराध के इस Method of crimes को अपना सकते हैं, इसलिए हमें ऐसी किसी घटना से पूर्व इसकी तैयारी कर लेनी चाहिए। राष्ट्रीय महासचिव शाहनवाज़ हसन ने कहा कि आज डिजिटल मीडिया का युग है, इस बात से इंकार नहीं किया जा सकता। वहीं, यह भी सच है कि डिजिटल मीडिया के नाम पर सभी शहरों में फर्जी पत्रकारों की बाढ़ है। उन्हें चिह्नित करना अब अनिवार्य हो गया है। रांची प्रेस क्लब की कार्यकारिणी सदस्य कुमारी रूपम ने कहा कि डिजिटल मीडिया के पत्रकारों की भीड़ में कोई नक्सली अथवा अपराधी शामिल नहीं हो, इसके लिए जिला स्तर पर समिति का गठन कर उन्हें चिह्नित करना ज़रूरी है। इसके लिए छत्तीसगढ़ राज्य के तर्ज़ पर व्यवस्था बनायी जा सकती है। संगठन ने डिजिटल मीडिया के गैर मान्यता प्राप्त व्यक्तियों को विधानसभा, मुख्य्मंत्री आवास, राजभवन, सचिवालय, पुलिस मुख्यालय, न्यायालय एवं जिला मुख्यालय में एंट्री पर पाबंदी लगाने की भी मांग की है।

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