सामूहिक कीर्तन करने से शारीरिक शक्ति ही एकत्रित होती है
जमशेदपुर । आनंद मार्ग प्रचारक संघ की ओर से 3 घंटे का “बाबा नाम केवलम” अखंड कीर्तन गदरा आनंद मार्ग जागृति में संपन्न हुआ साथ ही साथ लगभग 200 नरायण को भोजन कराया गया, लगभग एक ग्रामीणों के बीच सौ पौधा वितरण किया गया। कीर्तन समाप्ति के बाद आनंद मार्ग प्रचारक संघ के महासचिव आचार्य चितस्वरूपानंद अवधूतआज रांची से जमशेदपुर कार्यक्रम में भाग लेने आए थे उन्होंने कहा कि कीर्तन “हरि “का कीर्तन ,यह जो”हरि “हैं अर्थात परम पुरुष हैं इन्हीं का कीर्तन करना है अपना कीर्तन नहीं कीर्तनिया सदा “हरि ” मनुष्य यदि मुंह से स्पष्ट भाषा में उच्चारण कर कीर्तन करता है उससे उसका मुख पवित्र होता है जीहां पवित्र होती है कान पवित्र होते हैं शरीर पवित्र होता है और इन सब के पवित्र होने के फलस्वरूप आत्मा भी पवित्र होती है कीर्तन के फल स्वरुप मनुष्य इतना पवित्र हो जाता है कि वह अनुभव करता है जैसे उसने कभी अभी-अभी गंगा स्नान किया हो भक्तों के लिए गंगा स्नान का अर्थ हुआ सदा कीर्तन यदि लोग मिल जुलकर कीर्तन करते हैं तब उन लोगों की मात्र शारीरिक शक्ति ही एकत्रित होती है ऐसी बात नहीं है। उनकी मिलित मानस शक्ति भी एक ही भावधारा में एक ही परम पुरुष से प्रेरणा प्राप्त कर एक ही धारा में एक ही गति में बहती रहती है, इसलिए मिलित जड़ शक्ति और मिलित मानसिक शक्ति इस पंचभौतिक जगत का दुख कलेश दूर करती है।