झारखंड की सरकार हेमंत सोरेन आप सड़क के मार्ग को बंद करने में या चालू रहे सरकार की नीति को स्टैंड करें
जुबली पार्क प्रकरण
जमशेदपुर की जनता के बीच में ऊहापोह की स्थिति मे सरकार की मनसा को बताएं ।
एक तरफ किसी भी राज्य में या किसी भी देश में जनता को सहूलियत दी जाती है जनता कम दूरी तय करें इस पर सड़क को बाईपास कर अहमियत दी जाती है जनता से कोई भी राय लेकर जनमत के आधार पर निर्णय किया जाता है।
लेकिन बड़े ताज्जुब की बात है।जमशेदपुर में कोई भी सड़कें बनती है या मोड़ा जाता है तो उन बस्तियों के लोगों से बिना निर्णय लिये जबरन अपना निर्णय जमशेदपुर में थोपा जाता है।
वृद्ध व्यक्तियों को पैदल चलने वालों को कोसों दूर चल कर सड़क के आर या पार जाना पड़ता है।
एक ताजा उदाहरण काशीडीह के सामने रामलीला मैदान से लेकर काशीडीह के सिंह स्वीट मार्ट तक रोड में डिवाइडर बना दिया गया।
एक नंबर लाइन से लेकर 16 नंबर लाइन तक कहीं भी रोड डिवाइडर को पार करने के लिए पथ संचलन नहीं बनाया गया।मोहल्ले की बूढ़ी बूढ़ी औरतें आज उनको बाराद्वारी मैदान ब्ययाम करने के लिए कई दूरी चक्कर लगाना पड़ता है असहाय रहती है कई महिलाये गिर गयी जबरन डिवाइडर को बनाया गया।
जबकि काशीडीह के लोगों को नीचे से आने जाने का कुछ ना कुछ प्रबंध स्थाई होना चाहिए था वह नहीं हुआ।
बार बार इसको संज्ञान में लाने के लिए जुस्को के अधिकारियों को कहा गया जैसे कान में जूं रेंग रहा है।
अंग्रेजी हुकूमत अफसरशाही देखने को मिलता है नागरिकों की स्वतंत्र स्वतंत्रता आजादी छीनी जा रही है मनमाने ढंग से कई स्वरूप को बदला जा रहा।
आज जुबली पार्क को पर्यावरण के नाम पर बंद करना यह उचित नहीं है पर्यावरण हर व्यक्ति को प्यारा है अगर पर्यावरण के नाम पर इस प्रकार की ओछी मानसिकता लेकर के काम हो तो हम सब इसका विरोध करते हैं।
जिन लोगों ने भी पर्यावरण की दुहाई दी है कम से कम लोंगो ने माना तो जमशेदपुर में पर्यावरण की स्थिति बहुत ही दयनीय है।
यानी अब गाड़ी घोड़ा बंद करनी होगी लोगों को मोटरसाइकिल कार बंद करना होगा।
हम जानवर जैसे प्राणी की सुरक्षा की वकालत करते हैं इसका यह अर्थ नहीं कि झूठा प्रचार प्रसार कर के सड़क को बंद किया जाए।
मैं यह पूछना चाहता हूं माननीय जिला प्रशासन से सड़कों को जब बंद या डिवाइडर किया गया तो क्या इसके लिए जिला प्रशासन की मिशनरी कमेटी बैठ कर के उसके ड्राइंग को पास किया गया या नही ? और किया गया तो जनता के सहूलियत को क्यों नहीं रखा गया एक पक्ष करके जनता को कानून क्यों थोपा गया कानून जनता की हिफाजत के लिए बनता है जनता को परेशान करने के लिए नहीं ?
जमशेदपुर के जनरल ऑफिस के सामने एक लाइट पोस्ट लगा हुआ है मैं पूछना चाहता हूं जिला प्रशासन से केवल लाइट पोस्ट कब कैसे और किन के अनुमति और अनुमोदन से हुआ है ?
इसकी पुष्टि जिला प्रशासन करें किन के कार्यकाल में किन के कालखंड में क्या ट्रैफिक पुलिस या जिला प्रशासन इस में बैठ कर के लिखित रूप से अनापत्ति प्रमाण पत्र दिया गया या नहीं ? या अपने मन से अपना कानून के तहत बन गया।
जमशेदपुर के बाहर आज मुंबई हो दिल्ली हो या अन्य शहरों में जनता को के कनेक्टिविटी यातायात के साधन को बढ़ाने के लिए कई सड़कों को कम दूरी तय हो यह संशोधन किया जाता रहा है लेकिन जमशेदपुर में एक अनोखा कार्य हुआ।
कभी हमारे मंत्री मेडिका जैसे हॉस्पिटल को बंद करा देते हैं और कभी जुबली पार्क का रोड बंद करा देते हैं यह सारा खेल मंत्री जी के सहमति से हो रहा है
कब तक मंत्री जी ताला खुलवाएंगे यह स्पष्ट करे।