जात पात की करो विदाई, मानव मानव भाई भाई” एवं “विश्व बन्धुत्वा कायम हो ” के नारे के साथ आनंद मार्गियों ने निकाली शोभा यात्रा
सेमिनार के दूसरे दिन आनंद मार्गियों द्वारा नगर के विभिन्न हिस्सों में शोभा यात्रा भी निकाली गई जिसमे की सैकड़ों मार्गी महिला पुरुष और बच्चे आनंद मार्ग के स्लोगन और कीर्तन कर उत्साहित दिखे। सोभा यात्रा की शुरुवात आनंदपुरी स्थित आनंद मार्ग जागृति से हुई।
शोभा यात्रा के पश्चात आज के विषय ‘अणु और भुमा’ पर प्रशिक्षण देते हुए केंद्रीय प्रशिक्षक आचार्य व्रजगोपालानंद अवधूत जी ने बताया कि किस प्रकार अणु मन भुमा मन में परिणत हो सकता है। उन्होंने यह भी बताया कि आध्यात्मिक साधना का यही चरम एवं परम गति है। उनका कहना है कि आनंद मार्ग के प्रवर्त्तक श्री श्री आनंदमूर्ति जी ने जो राजाधिराज योग साधना का प्रवर्त्तन किया है वो इसी परम एवं चरम अवस्था को प्राप्त करने के लिए की है। जब अणु मन उस भूमा मन को मापने चलता है या फिर उसकी खोज में जब आगे बढ़ता है तब जाकर उसी में मिलकर एकाकार हो जाता है। उसका क्षुद्रत्व बृहत्व में और जीव शिव में परिणत हो जाता है।
भूमा (परमात्मा) पूर्ण है, जीव अपूर्ण (Imperfect) हैं। ब्रह्म को पाने के लिए जीव (अणु) को साधना करनी होगी, मंत्रजाप करना होगा, अपने अस्तित्व के भीतर ही उन्हें खोजना होगा बाहर नहीं। उन्हीं की भावना लेनी होगी, उनका ही चिन्तन करना होगा क्योंकि उनकी कृपा से ही ब्रह्म को प्राप्त किया जा सकता हैं । उनके यन्त्र के रूप में उनकी इच्छाओं को पूर्ण करना होगा। साधना के सर्वश्रेष्ठ मार्ग का अवलम्बन करना होगा ।
कार्यक्रम और शोभा यात्रा में कोडरमा, चतरा, गया इत्यादि जिले से भी अधिकतर मार्गी ने भाग लिया।
कार्यक्रम में जिले के सभी आनंदमार्गी उपस्थित रहे।