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राष्ट्रीय कवि प्रेमसागर पाण्डेय को कम उम्र में मिली डॉक्टरेट की मानद उपाधि


शाहाबाद के सबसे कम उम्र के डॉ बने राष्ट्रीय कवि प्रेमसागर पाण्डेय। वो कहा जाता हैं न कि अगर आपने सिद्दत से किसी चीज को चाहा तो उपर वाला भी देने के लिए मजबूर हो जाता हैं।कुछ ऐसी ही कहानी भोजपुर जिले के शाहपुर प्रखंड के भीमपट्टी गाँव में जन्मे देश के राष्ट्रीय कवि प्रेमसागर पाण्डेय का भी हैं। बचपन मे जब इनका पैर जल गया था तब जब भी डॉ के पास इलाज के लिए जाते तो लोग डॉ साहब, डॉ साहब करते तो इनके दिल मे भी दृढ़ संकल्प लिए की हमारे नाम के साथ भी डॉ शब्द जुड़ेगा।बचपन का देखा हुआ सपना अब जाके पूरा हुआ। डॉ ऑफ़ फिलॉसफी के मानद उपाधि से खुद के साथ क्षेत्र को भी गौरान्वित किये। यह उपाधि सोक्रेट्स सोशल रिसर्च यूनिवर्सिटी दिल्ली के माध्यम से प्राप्त हुआ।यूनिवर्सिटी ने बताया कि यह उपाधि हिंदी साहित्य के माध्यम से समाज के कुरीतियों को दूर करने के प्रयास के लिए एक राष्ट्रदिप के रूप में दिया जाता और उमीद करते हैं कि समाज को और भी आपके माध्यम से सुदृढ़ रूप दिया जाएगा।जिस समाज की परिकल्पना आपने ने की हैं। यह डॉक्टरेट की डिग्री मुख्य अतिथि केंद्रीय खाद्य मंत्री पशुपति पारस उत्तरप्रदेश के गृह सचिव, दिल्ली यूनिवर्सिटी के नैनो टेक्नोलॉजी के हेड ऑफ डिपार्टमेंट और यूनिवर्सिटी के कुलपति आदि अनेक विभूतियों के उपस्थिति में दिल्ली के संसद भवन के कॉन्स्टिट्यूशन क्लब ऑफ इंडिया के स्पीकर सभागार में राष्ट्रीय कवि प्रेमसागर पाण्डेय को डॉक्टरेट की मानद उपाधि से अलंकृत किया गया।इस खबर से कवि जी तो खुश हैं उनसे कही ज्यादा उनके पिताजी हैं। बता दे कि पिताजी पेशे से एक शिक्षक एवं किसान हैं और उनकी अभिलाषा ए प्रेमसागर को लेके काफी ज्यादा है और उनकी लगभग हर अभिलाषायें प्रेमसागर ने पूर्ण किये। कवि जी अपनी इस उपलब्धि को पितृ दिवस के दिन मिलने की खुशी में अपने पिताजी के सुपुर्द कर दिया।ऐसा जानकारी प्रेमसागर ने खुद बात करते हुए दिया। इस खबर से गाँव-नगर,क्षेत्र के सभी आंतरिक मन से बहोत खुश हैं।क्योंकि ऐसा क्षेत्र में पहली बार हुआ है। हर तरफ से शुभकामना आनी शुरू हो गई जिनमे पिता भरत पाण्डेय, शिवजी पाण्डेय, नितेश, राजेश, शिवाजीत,श्रेया प्रवीण, प्रभु,हरेंद्र आदि ने अनेक माध्यम से प्रेषित किया और सबके प्रति डॉ प्रेमसागर पाण्डेय ने आभार व्यक्त की।

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