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कोड नंबर से होती है पशुओं की तस्करी, लगाई जाती है पीठ पर मुहर, पुलिस खामोश

नेहा तिवारी
प्रयागराज। संगम नगरी प्रयागराज में पशु तस्करों पर पुलिस नकेल कसने में पूरी तरह से नाकामयाब है। पशु तस्कर खुलकर अपने कारोबार को बढ़ावा दे रहे है। इस पूरी कहानी से स्थानीय थाना भली भांति वाकिफ है, लेकिन उनकी आंखो पर नोटों के बंडल की पट्टी बंधी हुयी है। जिससे इन कारोबारियों के खिलाफ कोई कार्रवाई नही होती है। जानकारी के मुताबिक यमुनानगर के नैनी कसाई मोहल्ला में पिछले काफी समय से पशु तस्करी का अवैध कारोबार होता चला आ रहा है। इस धंधे की दुकान पुलिस के रहमों करम पर चल रही है। बता दें कि नैनी के कसाई मोहल्ले के रहने वाले उस्मान और रिजवान दो मवेशियों के बच्चों को लेकर जा रहे थे। उस वक्त देखा गया कि मवेशियों की पीठ पर कोड नंबर लिखा हुआ था। उन्हें रोककर इस बारे में बात की गई तो पूरी कहानी का सार समझ में आया। किस तरह से पशु तस्कर मोटी रकम के लिए मवेशियों को कसाइयों के हाथ बेचकर अपने कारोबार को चलाते है। उस्मान् ने बताया कि हम लोग यहां से मवेशियों को लेकर अटाला जाते है। इन्हें पहुंचाने का दो सौ रुपये मिलता है। रिजवान ने बताया कि मवेशियों को अटाला के रहने वाले कल्लू चिकवा को दिया जाता है। उसने बताया करैली के मजीदिया इस्लामिया इंटर कॉलेज के पास बने पार्क में एक बाड़ा बनाया गया है। जहां पर इस मवेशियों को पहुंचाया जाता है। मवेशियों की कीमत नस्ल से नही बल्कि उनके शरीर से की जाती है।
वहीं जानकारी देते हुए करछना के एसीपी अजीत सिंह चौहान ने बताया कि उनकी जानकारी में ऐसा कोई मामला नही है। यहां पर इतनी बड़ी जगह है जहां जानवरो को एक साथ रखा जाए। अगर ऐसा कोई मामला है उसे उसे देखा जाएगा।

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