FeaturedJamshedpurJharkhand

किसी भी समाज की दशा और दिशा को तय करने में : कमलेश कमल

जमशेदपुर। गोस्वामी तुलसीदास सारस्वत सम्मान-2023 से सम्मानित हिंदी के चर्चित वैयाकरण कमलेश कमल ने प्रेस-कॉन्फ्रेंस में हिंदी भाषा के प्रयोग में शुद्धता के विविध पहलुओं पर बाकी आवश्यकता पर बल दिया। विदित हो कि कमलेश कमल हिंदी के चर्चित भाषा-विज्ञानी हैं, जिन्हें हिंदी के प्रचार-प्रसार के लिए टायकून इंटरनेशनल द्वारा देश के 25 चर्चित ब्यूरोक्रेट्स में शामिल किया गया है। वे हिंदी के शुद्ध प्रयोग के आग्रही हैं और देश भर में हिंदी-शब्दों के शुद्ध-स्वरूप को प्रचारित-प्रसारित कर रहे हैं।

किसी भी समाज की दशा और दिशा को तय करने में भाषा की महत्त्वपूर्ण भूमिका होती है। अतः, आवश्यक है कि भाषिक-संस्कारों का संवर्द्धन किया जाए। आवश्यक है कि हिंदी के पत्रकार, लेखक और अध्येता भाषा की मति-गति और रति को समझते हुए शुद्ध भाषा-व्यवहार के प्रति आग्रहशील बने रहें। वे शब्द-प्रयोग में सजग रहें तथा अपने माध्यम से लोगों को प्रोत्साहित और शब्दानुशासित करते रहें। यह प्रयास सबसे पहले विद्यालयीय स्तर पर हो; क्योंकि इस समय बच्चे जैसी भाषा सीखते हैं, जीवन भर उसकी छाप रहती है। विचारणीय है कि अगर इस समय शिक्षक द्वारा कक्षा में शब्दों के उच्चारण और वर्तनी की शुद्धता पर विशेष बल दिया जाए, तो इससे बहुत लाभ होगा। इसके लिए भाषा के शिक्षकों को सतत अध्ययनशील रहना होगा।

इसी प्रकार, हम इस सच से मुँह नहीं मोड़ सकते कि विद्यार्थी-जीवन समाप्त होने के बाद अधिकतर लोग पढ़ने के नाम पर ऑफिस की फाइल्स के अलावा कुछ पढ़ते हैं, तो वह है–समाचारपत्र। ऐसे में, उनकी भाषा बहुत हद तक समाचारपत्र की भाषा से प्रभावित और संस्कारित होती है। यही कारण है कि मैं पत्रकारिता जगत् के लोगों से शब्दों के प्रयोग में विशेष सावधानी बरतने की अपील करता हूँ। अपेक्षित है कि वे अपने पत्रकारीय-संस्कार को संपूरित करने के साथ-साथ अपनी भाषिक-समृद्धि हेतु भी सजग रहें। जब समाचारपत्रों में नवरात्र को नवरात्रि, अरथी को अर्थी, अभयारण्य को अभ्यारण्य, भुजग को भुजंग लिखा जाएगा, तो पाठक ग़लत ही सीखेंगे।

मीडिया को संबोधित करते हुए उन्होंने भाषा की बारीकियों को सरलता से समझाया तथा आग्रह किया कि किसी शब्द का प्रयोग करते समय एक बार अवश्य सोचना चाहिए कि क्या शब्द-चयन सही है? उदाहरण के लिए, कहीं ऐसा तो नहीं कि कहीं निराश को हताश लिख दिया गया है या समुद्र को समंदर(जिसका अर्थ है, रोशनी के पास रहनेवाला एक कीड़ा) लिख दिया गया है।
अंत में उन्होंने तुलसीभवन से जुड़े सभी सुधीजनों के प्रति आभार प्रकट किया। उन्होंने जमशेदपुर के संस्कृतिप्रेमी नागरिकों का भी धन्यवाद किया, जो बड़ी संख्या में कार्यक्रम में उपस्थित रहे।

तुलसीभवन के मानद महासचिव प्रसेनजित तिवारी ने मीडिया को जानकारी दी कि कमलेश कमल हिंदी के विभिन्न शब्दकोशों के निर्माण में महत्त्वपूर्ण भूमिका निभा रहे हैं। साथ ही, गृह मंत्रालय एवं शिक्षा मंत्रालय की हिंदी से संबंधित कई परियोजनाओं में भी काम कर रहे हैं। प्रभात-प्रकाशन से प्रकाशित भाषा-विज्ञान और व्याकरण की इनकी पुस्तक: ‘भाषा-संशय-शोधन’ को गृह-मंत्रालय ने अपने सभी अधीनस्थ एवं संबद्ध कार्यालयों को अधिकाधिक उपयोग करने हेतु निर्देशित किया है। इतना ही नहीं, इनके बेस्टसेलर उपन्यास– ‘ऑपरेशन बस्तर : प्रेम और जंग’ का कई भाषाओं में अनुवाद हो चुका है। उन्होंने यह भी बताया कि सोशल-मीडिया प्रयोगकर्ताओं के मध्य हिंदी के शुद्ध रूप के प्रचार-प्रसार के लिए आपके फेसबुक पेज: ‘कमल की कलम’ की अच्छी लोकप्रियता है, जिसे प्रतिमाह लगभग 6-7 लाख पाठकों द्वारा पढ़ा जाता है।
प्रेस वार्ता में तुलसी भवन के न्यासी श्री अरुण तिवारी, अध्यक्ष सुभाष चंद्र मुनका भी उपस्थित रहे।

Related Articles

Back to top button