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भगवान श्रीकृष्ण और सुदामा चरित्र की कथा सुन भाव विभोर हो गए श्रोता

जुगसलाई में श्रीमद्भागवत कथा का हवन एवं भण्डारे के साथ मंगलमय पूर्ण विश्राम


जमशेदपुर। जुगसलाई श्री राजस्थान शिव मदिर में गौभक्त डॉ. संजीव कृष्ण ठाकुर के सान्निध्य में मालीराम घनश्याम दास गढ़वाल परिवार (थोई निवासी राजस्थान) द्वारा आयोजित साप्ताहिक श्रीमद्भागवत कथा अनुष्ठान का सोमवार को मंगलमय पूर्ण विश्राम हुआ। विश्व शांति एवं सर्वकल्याण की कामना के साथ श्रीमद् भागवत कथा के विश्राम पर हवन यज्ञ और विशाल भंडारे का भी आयोजन किया गया। उपस्थित भक्तों द्वारा भागवत कथा के विश्राम पर हवन यज्ञ में पूर्णाहुति दी गई। हवन एवं पुर्णाहुति के बाद लगभग 600 से अधिक भक्तों ने प्रसाद ग्रहण किया। गढ़वाल परिवार एवं उनके रिश्तेदारों द्धारा व्यासपीठ की आरती की। इस धार्मिक अनुष्ठान के सप्तम दिवस एवं अंतिम दिन सोमवार को कथा के मुख्य प्रसंग प्रद्युम्न जन्म, संबरासुर उद्धार, भगवान के अन्यान्य विवाहों, भक्त सुदामा चरित्र, दत्तात्रेय जी के 24 गुरु एवं राजा परीक्षित मोक्ष की कथा का वर्णन कर लोगों को भक्तिरस में डुबो दिया। इस दौरान महाराजश्री ने भजन गाकर उपस्थित लोगों को नृत्य करने के लिए विवश कर दिया। कथावाचक ने कहा कि मोह मिटने पर ही मोक्ष की प्राप्ति संभव है। कथाव्यास ने सुदामा चरित्र का वर्णन करते हुए कहा कि मित्रता करो, तो भगवान श्रीकृष्ण और सुदामा जैसी करो। भक्त सुदामा चरित्र का वर्णन सुनकर पंडाल में उपस्थित श्रोता भाव-विभोर हो गए। आज की कथा क्रम में महाराजश्री ने आगे ताया कि भगवान की प्रत्येक लीला जीव को बंधनों से मुक्त कराने वाली है। हमें हृदय से प्रभु चरणों में प्रीति उत्पन्न हो जाना ही हमारे मोक्ष के द्वार भी खोल देती है। जब तक जीव मोह में फँसा रहता है तब तक उसके मोक्ष के द्वार भी बंद रहते हैं। प्रभु के मंगलमय पावन चरित्र संसार की अनिश्चितताओं का बोध कराकर अनासक्त जीवन जीने की प्रेरणा प्रदान करते हैं।
इनका रहा योगदानः-साप्ताहिक श्रीमद्भागवत कथा अनुष्ठान को सफल बनाने में मालीराम गढ़वाल, घनश्याम दास गढ़वाल, राजेश गढ़वाल, दिनेश अग्रवाल, अशोक अग्रवाल, ओमप्रकाश गढ़वाल, सत्यनारायण अग्रवाल, महेश गढ़वाल, संजय अग्रवाल, बासु गढ़वाल, राकेश गढ़वाल, नारायण, वासुदेव, संजय, पवन, सोनु पुष्पा, विमला, रीता, ममता, रीतू विनीता, बिन्दिया, सुनीता, नेहा, प्रिया, टिृंवंकल, टिशा, मौली, मान्या, भूमि, रोहित, मोहित, कृष्णा, राधव, कार्तिक, वैभव, अथर्व, हिमांशु, हार्दिक, अन्नु आदि का योगदान रहा। सातों दिन संपूर्ण कार्यक्रम अति दिव्य एवं भव्य रहा। सप्त दिवस पर्यंत बड़े ही भाव एवं निष्ठापूर्वक गढ़वाल परिवार के सभी प्रभु कथा प्रेमियों द्वारा प्रभु कथा का आनंद लेकर अपने जीवन को सफल बनाया गया।

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