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विश्वविद्यालय में अंतरास्ट्रीय कॉन्फ्रेंस इंक्यूस्ट 2022 का आयोज़न

जमशेदपुर । नेताजी सुभाष विश्वविद्यालय में अंतरास्ट्रीय कॉन्फ्रेंस इंक्यूस्ट 2022 का आयोज़न बहु-विषयक दृष्टिकोण के साथ उच्च शिक्षा में सुधार के लिए किया गया। इस कांफ़्रेंस का मुख्य उद्देश्य नई शिक्षा निति 2020 के तहत इसे समझने के लिए किया गया। यह इस कॉन्फ्रेंस का दूसरा एवं अंतिम दिन था। इस कार्यक्रम में मुख्य अतिथि के रूप में डॉ. इस्माइल मोहम्मद ज़ैन (पूर्व लेक्चरार, इंस्टिट्यूट ऑफ़ टीचर एजुकेशन, मलेशिया, डायरेक्टर ऑफ़ डायनामिक ग्लोबल विज़न,मलेशिया) अपनी पत्नी ची हिंडोन बिनती इस्माइल संग उपस्थित रहें एवं विशिष्ट अतिथि के रूप में ढाका विश्विद्यालय के एसोसिएट प्रोफेसर डॉ. साबिर अहमद चौधरी ऑनलाइन वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के ज़रिए उपस्थित रहें। सर्व प्रथम मुख्य अतिथि का स्वागत विश्वविद्यालय के प्रांगण में झारखंड की पारंपरिक निर्त्य द्वारा किया गया। इस निर्त्य की प्रस्तुति विश्विद्यालय के शिक्षा विभाग के छात्राओं द्वारा दी गई थी। तत्पश्चात इस अन्तर्राष्ट्रीय कॉन्फ्रेंस के लिए मुख्य अतिथि एवं अन्य अतिथियों को विश्वविद्यालय के प्रेक्छाग्रह में सम्मान के साथ ले जाया गया। जहाँ सर्वप्रथम इस कार्यक्रम इस कार्यक्रम की शुरुआत मुख्य अतिथि डॉ. इस्माइल मोहम्मद ज़ैन एवं विशिष्ट अतिथि कोल्हान विश्विद गंगाधर पांडा,माननीय अतिथी डॉ. विमलेन्दु कुमार रॉय, माननीय अतिथि डॉ. अमरेंद्र पाणी, माननीय अतिथि निर्मला कुमारी बरेलिया(जिला शिक्षा पदाधिकारी) माननीय अतिथि प्रेम सिंह बिष्ट(कुणाल पब्लिकेशन, नई दिल्ली) माननीय अतिथि डॉ. पुरुषोत्तम साहू विश्विद्यालय के प्रतिकुलपति प्रोफेसर डॉ. आचार्य ऋषि रंजन,रजिस्ट्रार नागेन्द्र सिंह द्वारा दिप प्रजवलित करके किया गया।
इसके बाद इस अंतरास्ट्रीय कॉन्फ्रेंस को सर्वप्रथम जिला शिक्षा पदाधिकारी निर्मला कुमारी बरेलिया ने सम्बोधित किया। उन्होंने अपने सम्बोधन में कहा कि नई शिक्षा नीति 2020 पर अपने विचार संछिप्त में रखें।उन्होंने भारत में महिलाओं की साक्षरता दर पर भी बात की और कहा कि महिला का आधार ही शिक्षा है। उन्होंने कहा कि नई शिक्षा नीति के तहत हमें बहुत कुछ चुनौतीओं के साथ हमें बहुत कुछ सिखायेगा एवं नए मार्गों को खोलेगा। उन्होंने बताया कि हमारे झारखंड प्रदेश में महिलाओं की साक्षरता दर 67% के आसपास है जिसें हमें 100 फीसदी तक ले जाना है।इसके बाद ढाका विश्वविद्यालय के आसोसियट प्रोफ़ेसर एवं विशिष्ट अतिथि ने ऑनलाइन विडीओ कॉन्फ्रेंसिंग के ज़रिए बहु-विषयक दृष्टिकोण के साथ उच्च शिक्षा पर अपने प्रेजेंटेशन को प्रस्तुत किया एवं अपने विचार रखें। उन्होंने कहा कि शिक्षा और शोध इस समय बहुत ही आवश्यक बन गई है हरेक विद्यार्थियों के लिए। कई बंगलादेशी विद्यार्थी भी भारत में पढ़ रहे है। ढाका विश्वविद्यालय अपनी पूरी कोशिश कर रही नई शिक्षा नीति 2020 को लेकर। प्रत्येक विश्विद्यालय में शोध का माहौल होना अत्यंत आवश्यक है।
इसके बाद मुख्य अतिथि डॉ. इस्माईल मोहम्मद ज़ैन(पूर्व सीनियर लेक्चरार, इंस्टिट्यूट ऑफ़ टीचर एजुकेशन, मलेशिया, डायरेक्टर ऑफ़ डायनामिक ग्लोबल विज़न,मलेशिया) ने पुनः एक नए प्रेजेंटेशन के ज़रिए बहु- विषयक दृष्टिकोण के साथ उच्च शिक्षा में सुधार पर अपने विचार रखें। उन्होंने कहा कि परिवर्तन और बदलाव समय के साथ ज़रूरी है जो कि हमें नई शिक्षा नीति 2020 में बखूबी दिखाई देती है। उन्होंने बड़े ही रोचक अंदाज़ में विद्यार्थियों को बहु-विषयक दृष्टिकोण के बारें में समझया एवं रिसर्च स्कॉलर के सवालों का जवाब भी अपने अंदाज़ में दिया।
उन्होंने विद्यार्थियों से बातचीत भी की एवं उन्हें करियर में आगे क्या करना है इस बारे में भी पूछा और विद्यार्थियों का मार्गदर्शन किया।
उन्होंने वुका वर्ल्ड को समझाया एवं आजकल के टेक्नोलॉजी में हो रहें बदलाव के हर पहलू पर बात की। यह सुधार भारत में क्रांतिकारी बदलाव है जहाँ एक विज्ञान पढ़ने वाला विद्यार्थि भी अर्थशास्त्र और कला सभी को एक साथ पढ़ सकता है।
इसके बाद डॉ. विमलेन्दु रॉय(रीडर,डिपार्टमेंट ऑफ लाइफ साइंस,बिनोवाभावे विश्विद्यालय) ने अपना प्रेसेंटेशन विश्विद्यालय के समक्ष रखा। उन्होंने नई शिक्षा नीति 2020 और टाइप 1 और टाइप 2 डाइबिटीज पर अपनी बात में हर बारीक से बारीक टॉपिक को आसान तरीके से बताया। उन्होंने बताया कि कैसे आज हमारा भारत एक डाइबिटिक केपिटल बन गया है जहाँ कि 8% लोग डाइबिटीज़ से जूझ रहें जिसमें 90% लोग टाइप 2 डाइबिटीज़ के मरीज है। उन्होंने बताया कि टाइप 1 डाइबिटीज़ 18 साल तक बच्चों को होती है जिसमे उन्हें हर दिन इन्सुलिन की ज़रूर होती हैं। वही टाइप 2 डाइबिटीज़ 45 से अधिक उम्र के लोगों में पाई जाती है। उन्होंने डाइबिटीज़ को लेकर अपने रिसर्च के कई आंकड़े भी सबके सामने रखें।
तत्पश्चात डॉ. अमरेंद्र पाणी(जॉइंट डायरेक्टर रिसर्च, एआईआईआई) ने अपना प्रेसेंटेशन प्रस्तुत किया और बहुत ही ख़ुशनुमा अंदाज़ में अपने विचारों को व्यक्त किया। उन्होंने भारत में हुई हरित क्रांति से लेकर सॉफ्टवेयर क्रांति तक का ज़िक्र किया। उन्होंने भारत मे सर्व प्रथम शुरू हुए 1857 में विश्विद्यालय का ज़िक्र भी किया। उन्होंने बताया कि अब तक भारतीय विश्वविद्यालयो से अब तक 30000 लोग पी.एचडी कर चुके हैं। जिसमें 60% लोगो ने आर्ट्स और ह्यूमेनिटीज तथा 40% लोगो ने साइंस शोध कर चुके है।
उन्होंने कहा कि अब वक्त बदल गया हैं अब माता-पिता अपने बच्चों को स्वयं 12वी के बाद विषय चुनने दे और फिर देखे वो अपने करियर को बहुत बेहतर बना सकते है। उन्होंने कहा कि शोध समाज की हर समस्या का हल बखूबी कर सकता है। उन्होंने अपने प्रेजेंटेशन को संस्कृत का श्लोक कहकर विराम दिया।
इस सबके बाद नेताजी सुभाष विश्वविद्यालय के कुलाधिपति श्री मदन मोहन सिंह जी ने मुख्य अतिथि एवं सभी माननीय अतिथी गणों को विश्वविद्यालय का मोमेंटो भेंट कर सम्मानित भी किया।
माननीय कुलाधिपति श्री मदन मोहन सिंह जी ने अपने सम्बोधन में विश्व शांति की बात कहीं और शिक्षा को सर्वोपरि बताया।
इसके बाद विश्विद्यालय के विभिन्न विभागों के रिसर्च स्कॉलर्स ने अपने रिसर्च को प्रस्तुत किया एवं नई शिक्षा नीति 2020 पर अपने विचारों को व्यक्त किया।
अंतरराष्ट्रीय सेमिनार के दूसरे और अंतिम दिन विश्विद्यालय के शिक्षक प्रोफेसर आर.के. नायक और डॉ. हरप्रिया पाण्डा की किताब साइकोलॉजिकल फाउंडेशन ऑफ़ एजुकेशन का विमोचन भी तमाम माननीय अतिथियों द्वारा किया गया।
जिसके पब्लिशर कुणाल पब्लिशर्स है और इस पब्लिशर्स के प्रोपराइटर श्री प्रेम सिंह बिष्ट भी उपस्थित रहें।
श्री प्रेम सिंह बिष्ट ने माननीय विश्विद्यालय के कुलाधिपति श्री मदन मोहन सिंह को लाइफ टाइम अचीवमेंट अवार्ड से सम्मानित किया।
माननीय कुलाधिपति श्री मदन मोहन जी के द्वारा रिसर्च स्कॉलर्स को अवार्ड और सर्टिफिकेट प्रदान किया गया। अलग-अलग कॉलेज और विश्विद्यालय से इस अंतरराष्ट्रीय कॉन्फ्रेंस में कुल 184 पी.एचडी स्कॉलर्स ने भाग लिया। जिसमें कुल 20 पी.एचडी स्कॉलर्स को सर्टिफिकेट और अवार्ड प्रदान किया गया।
इसके बाद वोट ऑफ थेंक्स डॉ. खान के द्वारा दिया गया।
इंक्यूस्ट 2022 अंतरराष्ट्रीय कॉन्फ्रेंस के दूसरे और अंतिम दिन का समापन भी विश्विद्यालय के विद्यार्थियों द्वारा विश्वविद्यालय के प्रेक्छाग्रह में शानदार निर्त्य की प्रस्तुति के साथ संपन्न हुआ।जिसमें समस्त भारत की झलक दिखाई दीं।
इस अंतरास्ट्रीय कॉन्फ्रेंस में कुलाधिपति श्री मदन मोहन सिंह,प्रतिकुलपति डॉ. ऋषि रंजन, मुख्य अतिथि डॉ. इस्माइल मोहम्मद ज़ैन, रजिस्ट्रार नागेन्द्र सिंह, डीन एकेडमिक्स प्रो.डी शोम उपस्थित रहें।

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