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सीजीपीसी की ज़मीनी बैठक में लिए गए आसमानी ऐतिहासिक फैसले

चुनावों में ‘एक व्यक्ति एक वोट’ पद्यति को मिली परवानगी, आम सभा में मृतक संस्कार पर भी हुए मते पास

हाउस द्वारा पास मते पर पहरा देना हर गुरुद्वारा प्रबंधन की प्रथम जिम्मेदारी होनी चाहिए: भगवान सिंह

सीजीपीसी और धार्मिक जत्थेबंदियां रहत मर्यादा लागू करवाने को लेकर गंभीर: शैलेंद्र सिंह


जमशेदपुर। 12 अक्टूबर, शनिवार का दिन सीजीपीसी के इतिहास में हर मायने में स्वर्णिम रहा जब आम सभा में जमीन पर बैठकर आसमानी ऐतिहासिक फैसले लिए गए, जिनमे सबसे प्रमुख रहा ‘एक व्यक्ति एक वोट’ का फैसला जिसे पूरे हाउस ने पूरे जोश खरोश के साथ परवानगी दी। शनिवार को आयोजित आम सभा में सीजीपीसी ने मृतक संस्कार को लेकर भी अहम निर्णय लिए।
गुरचरणों में अरदास बेनती के बाद, महासचिव अमरजीत सिंह ने आम सभा के एजेंडों पर प्रकाश डाला, जिनमे ‘एक व्यक्ति एक वोट’ का एजेंडा सबसे महत्वपूर्ण रूप से पेश हुआ। प्रधान भगवान सिंह ने बताया कि उन्हें विभिन्न गुरुद्वारा प्रबंधक कमिटियों से लिखित आवेदन प्राप्त हुए थे जिनमें यह जिक्र किया गया था कि एक गुरुद्वारा परिक्षेत्र के रिहाइश में रहने वाले व्यक्ति को एक ही गुरुद्वारा में वोट का अधिकार हो। इसलिए मामले की गंभीरता और चुनाव में पारदर्शिता कायम रखने के मद्देनजर यह काफ़ी अनिवार्य हो गया था कि आम सभा में हाउस की परवानगी के बाद इसे जल्द से जल्द लागू किया जाए। वोटर को यह स्वतंत्रता रहेगी कि वह ख़ुद चुन सके कि वह किस परिक्षेत्र में वोट करने के लिए इच्छुक है बशर्ते उसे घोषणा पत्र जारी कर अपने क्षेत्र की घोषणा करनी होगी। चेयरमैन गुरमीत सिंह तोते ने इस फ़ैसले का स्वागत करते हुए हाउस से कहा कि संविधान में संशोधन कर जल्द से जल्द इसे संविधान में भी अंकित किया जाना चाहिए।
एक व्यक्ति एक वोट हाउस से पारित होने के बाद भगवान सिंह ने कहा कि अब सभी गुरुद्वारा प्रबंधक कमिटियों की जिम्मेदारी बनती है कि इस फैसले पर पहरा देते हुए इसे पूरी पारदर्शिता से लागू करवाएं।
दूसरी तरफ़, मृतक संस्कार के मुद्दे पर भी सीजीपीसी द्वारा हाउस की मुहर के बाद महत्वपूर्ण फैसले लिए गए। जहाँ तक मृतक भोज की बात की जाए तो सीजीपीसी ने अपने पहले फैसले में संशोधन करते हुए मृतक भोज में फुलका, दाल (किसी भी तरह की), एक सब्जी, आचार, चावल और मिठाई (इच्छानुसार) सादा लंगर के रूप में परोसा जा सकता है और अनिवार्य रूप से भोज पंगत में बैठ कर ही ग्रहण करना पारित किया गया है। मृतक संस्कार में ‘चौथे’ की रिवाज और अर्थी के पास पानी से भरा घड़ा फोड़ना को मनमत मानते हुए इस पर रोक लगा दी गई है। महासचिव गुरचरण सिंह बिल्ला ने कहा कि इसके लिए पूरे सिख समाज को नए सिरे से जागरूक करना होगा ताकि मनमत के बढ़ते प्रचलन पर अंकुश लगाते हुए रहत मर्यादा की अलख जगायी जा सके। सरदार भगवान सिंह की अध्यक्षता में की गई बैठक में तख्त श्री हरमंदिर पटना साहिब के महासचिव इंदरजीत सिंह, चेयरमैन सरदार शैलेंद्र सिंह, गुरमीत सिंह तोते, साकची के प्रधान निशान सिंह, चंचल सिंह, नरेंद्रपाल सिंह भाटिया, महासचिव अमरजीत सिंह व गुरचरण सिंह बिल्ला, कोषाध्यक्ष गुरनाम सिंह बेदी, सुखदेव सिंह बिट्टू, संत कुटिया के प्रधान-जसबीर सिंह, ह्यूमपाइप के प्रधान दलबीर सिंह, बारीडीह के प्रधान अवतार सिंह सोखी, बिरसानगर प्रधान परमजीत सिंह रोशन, टेल्को प्रधान बलविंदर सिंह, प्रकाशनगर सिंगारा सिंह, मनीफिट के सुरजीत सिंह, बर्मामाइंस के जोगा सिंह, बिष्टुपुर के प्रकाश सिंह, सोनारी के प्रधान तारा सिंह, बलदेव सिंह, गौरीशंकर के अमरजीत सिंह, स्टेशन रोड महिन्द्रपाल सिंह, किताडीह के जसबीर सिंह गांधी, गोलपहाड़ी के लखविंदर सिंह, सरजामदा के रविन्द्र सिंह, सुंदर नगर के मलकीत सिंह, बागबेड़ा के महिंदर सिंह, सीतारामडेरा के अविनाश सिंह, परसूडीह के रणजीत सिंह मथारू, अकाली दल के सुखदेव सिंह खालसा, रविंदर सिंह, रविंद्रपाल सिंह, परविंदर सिंह सोहल, सुरजीत सिंह खुशीपुर, कुलविंदर सिंह पन्नू, सुरेंद्र छिन्दे, सरबजीत सिंह ग्रेवाल, तरनप्रीत सिंह बन्नी, जसबीर सिंह गांधी, गुरप्रीत सिंह, स्त्री सत्संग सभा से बीबी रविंदर कौर, अमरजीत कौर सहित विभिन्न गुरुद्वारों के प्रधान, महासचिव और पदाधिकारी सभा में मुख्यरूप से उपस्थित रहे।

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