सामाजिक कार्यों के लिए तत्पर रहती है लक्ष्मी बरहा
सामाजिक दायित्व को निभाना ही हमारा जीवन को सार्थक बनता है: लक्ष्मी बरहा
तिलक कुमार वर्मा
चाईबासा। बस एक सोच ही तो चाहिए कुछ कर गुजरने के लिए, रास्ते आपको हजार मिल जाएंगे। चाहे वो समाज उपयोगी कार्य करने की हो, या फिर कुछ और। कहते हैं की समय सबको मिलता है बराबर, कोई उसे सोना बना देता है, तो कोई सो कर गुजार देता है, लेकिन लोग राय से प्रेरणा नहीं, अपितु किए गए कार्यों को उदाहरण मानकर प्रेरणा लेती है। आज मैं शहर चाईबासा के कुम्हार टोली निवासी आदिवासी उरांव समाज संघ, चाईबासा की महिला सदस्य लक्ष्मी बरहा की चर्चा कर रहा हूं, जो हमेशा समाज उपयोगी कार्यों के लिए तत्पर रहती है।
चाहे वो गरीब असहाय लोगों की मदद करना हो, या फिर वृद्ध आश्रम में जाकर वहां रह रहे बुजुर्गों की सेवा करना, मरीज को अस्पताल लाकर उन्हें जल्द से जल्द स्वस्थ करने हेतु प्रयासरत रहना, या फिर किसी मरीज को रक्त की कमी हो जाए या आवश्यकता पड़े तो अपना रक्त देकर उनका जीवन बचाना। इस तरह के कार्य के लिए हमेशा तैयार रहने वाली लक्ष्मी बरहा हमें बताती है कि ईश्वर ने हम मनुष्य को इसलिए नहीं भेजा है कि हम सिर्फ अपने लिए ही जिए, हमें दो सुंदर आंखें भी दी है, जिससे हमें देखना चाहिए कि हमारे अगल-बगल को कहीं हमारी आवश्यकता तो नहीं पड़ रही है, और जब कभी भी आपको ऐसा महसूस होता है कि आपको उनके लिए कुछ करना चाहिए, तो बिना समय गंवाए आपको उनके लिए लग जाना चाहिए, और यह हमारा प्रकृति का नियम भी है, क्योंकि आप और हम अच्छी तरह जानते हैं कि हम जैसा कार्य करेंगे आगे आने वाले समय में हमारा समाज, हमारे बच्चे भी वैसा ही करेंगे। हमें यह कभी नहीं सोचना चाहिए कि उन्होंने हमारे लिए क्या किया, हमें बस यही सोचना चाहिए कि हम क्या कर सकते हैं उनके लिए, जिससे उनका भला हो। और कहते हैं न, “कर भला, तो हो भला”। आज शहर चाईबासा के भीमा कुजूर नमक व्यक्ति को रक्त की अत्यंत आवश्यकता पड़ रही थी, जैसे ही लक्ष्मी बरहा को इसकी सूचना मिली, तुरंत आदिवासी उरांव समाज संघ की सदस्य लक्ष्मी लकड़ा एवं उनके पति समाज के सचिव अनिल लकड़ा के साथ ब्लड बैंक में जाकर अपना रक्त का दान कर उक्त मरीज के जीवन को बचाने में अपनी भूमिका निभाई।