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भारतीय जनतंत्र मोर्चा ने पहला आम सभा का किया आयोजन


रांची। भारतीय जनतंत्र मोर्चा का प्रथम आम सभा सेक्टर-2, धुर्वा, राँची स्थित गाला बैंक्वेट हॉल में सम्पन्न हुआ। जिसमें पूरे राज्य से लगभग 500 पार्टी पदाधिकारियों ने भाग लिया। आम सभा की अध्यक्षता भारतीय जनतंत्र मोर्चा के संरक्षक सरयू राय ने की। इस अवसर पर पूरे राज्य से आये हुए भाजमो के पदाधिकारी/कार्यकर्ता को संबोधित करते हुए उन्होंने कहा कि आगामी लोकसभा चुनाव के बारे में देश भर में चर्चा चल रही है। लोकसभा में चुनाव का क्षेत्र काफी बड़ा होता है और देष के महत्वपूर्ण मुद्दों पर विचार होता है। हमलोगों की लोकसभा चुनाव में वही भूमिका रहेगी जो देश के विकास को आगे ले जाने में, देश की आंतरिक और बाहरी सुरक्षा, संप्रभुता की रक्षा करनेवाले की होगी।

इसी विचार को केन्द्रबिन्दु बनाकर आगामी लोकसभा एवं विधान सभा के चुनाव में हमें जनता के बीच में जाना है। आप जब यहां से अपने-अपने क्षेत्र में जायेंगे तो वहां के बुद्धिजीवी, बुजुर्गों, युवाओं से संवाद स्थापित करे, उनसे विमर्श करे और फीडबैक लें कि कौन ऐसा उम्मीदवार है जो हमारा प्रत्याशी बन सकने के योग्य है। जबकि विधानसभा के चुनाव में स्थानीय समस्यायें होती हैं। जिनमें बिजली, पानी, सड़क, नियोजन, स्वास्थ्य संबंधी मुद्दें मुख्य रूप् से छायी रहती हैं। विधानसभा का चुनाव राज्य की दशा एवं दिशा बदलने वाली होती है। आज भारतीय राजनीति एनडीए और इंडिया दो धु्रवों में बँट गई है। ये दोनों राष्ट्रीय मुद्दा बनी हुई है।
सत्ताधारी दल एवं विपक्ष दोनों की राज्य के विकास में बराबर की भूमिका होती है। किन्तु पिछले तीन सालों में विपक्ष ने कोई सार्थक भूमिका नहीं निभाया है। चाहे वह सदन हो या सदन के बाहर विपक्षी दलों ने सार्वजनिक मुद्दों को पुरजोर ढंग से सरकार के सामने नहीं रखा, जिसके कारण सरकार का मनोबल बढ़ता रहा और वह भ्रष्टाचार का संरक्षक और पोषक बन बैठा। आज झारखण्ड में भ्रष्टाचार के कई कीर्तीमान स्थापित हुए है यह किसी से छिपा हुआ नहीं है। बीते 23 वर्षाें में समरस और समावेशी शासन की दिशा में कोई प्रयास नहीं हो हुआ है। केवल लोगों के भावनाएँ भड़काने का काम किया गया है और उस पर राजनीतिक रोटी सेंकी जा रही है।
श्री राय ने कहा कि बाबुलाल मरांडी ने स्थानीय नीति के संबंध में बिहार की तर्ज पर विधान सभा से पारित कर दिया था। जिसपर हाईकोर्ट ने रोक लगाया था। उस फैसले को सर्वोच्च न्यायालय में किसी ने चुनौती नहीं दी। फिर भी आज झारखण्ड में स्थानीयता और 60-40 का मुद्दा उठाया जा रहा है। उन्होंने कहा कि पूरे देश की डोमेसाईल नीति एक है। केवल नौकरियों के लिए स्थानीय नीति लागू होता है, रहने के लिए नहीं। बाबा साहेब अम्बेडकर ने संविधान के माध्यम से एस.टी. एवं एस.सी. को उनका अधिकार पहले से ही तय कर दिया है। जिसे कोई भी राजनीतिक दल उनसे उनका हक नहीं छीन सकता। ईडब्ल्यूएस के द्वारा स्वर्णों को भी 10 प्रतिशत आरक्षण मिल रहा है। इन सबको मिलाकर लगभग 60 प्रतिशत हो जा रहा है। असली मारामारी 40 प्रतिशत में है। 40 प्रतिशत को कोई खींचकर बड़ा नहीं कर सकता है। सरकार एक तरफ 1932 का खतियान पास कर दिया है वहीं दूसरी तरफ नियुक्ति में सभी राज्यों के लिए दरवाजे खोल दिये हैं। यह विरोधाभाषी काम सरकार ने किया है, जिसका नतीजा केवल झारखण्ड के युवा भुगतेंगे। आप अपने लोगों को अधिकतम लाभ दे सकते है मगर शत-प्रतिशत लाभ नहीं दे सकते है। संविधान आपको रोक देगी। सरकारों को यह बात याद रखनी चाहिए। मगर सही बात कहने की कोई हिम्मत नहीं कर रहा है। मणिपुर की स्थिति झारखण्ड में न हो यह हमें ध्यान में रखना पड़ेगा। सभी मसलों का समाधान बातचीत और आपसी संवाद के आधार पर हल होना चाहिए।
आज पक्ष विपक्ष संवाद नहीं कर रहे है बल्कि केवल तर्क-वितर्क कर रहे है जिससे जनता के कार्याें में बाधा उत्पन्न हो रही है। तर्क की कसौटी पर कोई भी कार्य नहीं हो रहा है। प्रश्न के खिलाफ प्रति-प्रश्न और उत्तर के विरूद्ध प्रति-उत्तर की परिपाटी बन गई है।
उन्होंने बताया कि धनबाद से प्रतिदिन करोड़ों रूपये की कोयले की चोरी हो रही है। साहेबगंज से कीमती पत्थर अवैध तरीके से बेच दिये गये। सरकार को राजस्व की हानि हुई, इसकी किसी ने भी चिंता नहीं की। मनरेगा घोटाला में 2017 में तत्कालीन मुख्यमंत्री ने जिस आईएएस पदाधिकारी को क्लीन चिट दिया उसे ईडी ने दोषी माना और जेल भेजा। पूर्व मुख्यमंत्री के संरक्षण में जिन लोगों ने भ्रष्टाचार का प्रशिक्षण प्राप्त किया था वे ही वर्तमान सरकार में उसे कार्यान्वित कर रहे हैं। भ्रष्टाचार के मामले में अपना-पराया नहीं होना चाहिए। राज्य में कानून व्यवस्था की स्थिति काफी खराब है। लूट, बलात्कार, छिनतई आदि रोजमर्रा की घटनायें हो गई है। प्रशासन इन गंभीर पर मुद्दों पर ध्यान नहीं दे रहा है। आज ऐसे सैकड़ों उदाहरण भरे पड़े है जिनमें प्रशासन गलत कार्य करने वालों पर कोई कार्रवाई नहीं करती बल्कि शिकायतकर्ता पर ही कानूनी कारवाई का डंडा चलाकर उसका मनोबल तोड़ने का काम करती हैं। ये सब बातें सही नहीं है। गोबर का टीका लगाकर हम चंदन की महक की उम्मीद नहीं कर सकते हैं । भाजपा और भाजमो में अंतर होना चाहिए और वह अंतर शुचिता में होना चाहिए। राज्य में 44 नगरपलिकायें हैं। शहरीकरण के लिए केन्द्र सरकार झारखण्ड को भरपूर पैसा भी दे रही है। आपलोग अपने नगरपालिकाओं, नगरपरिषदों में जाकर उन योजनाओं के बारे में पूछे, उन्हें कार्यान्वित कराने के लिए पदाधिकारी से मिले। गरीब आदमी जो सार्वजनिक कंपनियों की भूमि पर या सरकारी जमीन पर वर्षों से अनधिकृत रूप् से रह रहे है, उस जमीन का निबंधन उनके नाम पर करने का कार्य झारखण्ड सरकार को करना चाहिए।
उन्होंने कार्यकर्ताओं को मूलमंत्र देते हुए कहा कि आप सप्ताह में केवल एक घंटा पार्टी और संगठन को दिजिए। सम्पर्क, समस्या एवं समाधान को मूलमंत्र बना लिजिए फिर देखिये लोग स्वतः आपसे जुड़ने लगेंगे। जनता के कार्यों से संबंधित अपना ज्ञापन अधिकारियों को दें उसे सोशल मीडिया में डाले फिर देखिये कि कैसे जनता का काम नहीं होगा। समय बदल रहा है, समाज बदल रहा है, टेक्नोलॉजी भी बदल रही है इसलिए जनहित के कार्याें के लिए सोशल मिडिया को हथियार बनाइये।
समाज में अच्छे वातावरण की आवश्यकता है, जहां बहु-बेटियां सुरक्षित रह सके। हर हाथ को काम मिले। गुणवत्ता एवं रोजगार परक शिक्षा छात्रों को मिले। इस पर हमारा ध्यान केन्द्रित होना चाहिए।
इस अवसर पर भाजमो के केन्द्रीय अध्यक्ष धर्मेंन्द्र तिवारी ने कहा कि आज झारखण्ड बने 23 वर्ष होने चले है लेकिन यहाँ के लोगों को उनका हक दिलाने में सभी सत्ताधारी दल अक्षम रही हैं। राज्य की जनता ने एक नई उम्मीद, एक नये भरोसे के साथ बारी बारी से सभी दलों को चुना, उन्हें अपना नेतृत्वकर्ता, अपना सिरमौर बनाया। लेकिन वे जनआकांक्षाओं को पूरा नहीं कर सके। सभी सरकारें राज्य के प्राकृतिक संसाधनों को लूट-खसोट कर, भ्रष्टाचार कर के केवल अपनी झोली भरते रहे। सत्ताशीर्ष भ्रष्ट अधिकारियों को संरक्षण देकर उनका मनोबल बढ़ाते रहे। जिससे इन 22 वर्षों में पूरे राज्य में अपराध, बेरोजगारी, भ्रष्टाचार का बोलबाला हो गया है, पुलिस-प्रशासन निष्क्रिय एवं पंगु हो गया है। गरीब आम जनता हो या ईमानदार पदाधिकारी सभी हाशिये पर चले गये है। इन्हीं कारणों से आज सभी सत्ताधारी दल एवं उनके नुमाईंदे राज्य की जनता का भरोसा खो चुके है। राजनेताओं से उनका भरोसा उठ चुका है। राज्य की जनता अपने आप को ठगा हुआ महसूस कर रही है।
ऐसे में भाजमों को लोग एक नई उम्मीद से देख रहे है, इसका एकमात्र कारण है हमारी पार्टी के संरक्षक आदरणीय श्री सरयू राय जी। हमारी पार्टी आगामी लोकसभा एवं विधानसभा चुनावों में अपना प्रत्याशी खड़ कर राजनीति एवं शासन के नये आयाम स्थापित करेगी। परन्तु यह इतना आसान काम नहीं है। इसके लिए हमें आम जनता से सीधे सम्पर्क एवं संवाद स्थापित करना होगा, उनके समस्याओं का निराकरण हेतु हरसंभव प्रयास करना होगा। तभी हम जनता के दिलों में अपनी जगह बना पायेंगे। हमें अपनी कमर अभी से कसनी होगी। भाजमो हर किसी में सरयू राय देख रहा है। आप भ्रष्टाचार के खिलाफ निडर बनेंगे तभी लीडर बनेंगे।
इस अवसर पर जमशेदपुर से रामनारायण शर्मा, सुबोध श्रीवास्तव, प्रकाश कोया, कुलविंदर सिंह पन्न्नु, मुकुल मिश्रा, मंजू सिंह। धनबाद से उदय सिंह, अरविंद सिंह, ओम सिंह, अमय विक्रम, रामविलास सिंह। सरायकेला से बुलेट सिंह। बोकारो से विकास पांडेय, पंकज रायचतरा से रोशन कुमार, लालचंद केशरी, मंजीत प्रधान। रामगढ़ से नीतेश ओझा, सुनील सिंह। साहेबगंज से संजय गुप्ता। गोड्डा से आदित्य चौबे। पलामू से ओम प्रकाश। हजारीबाग से रामेश्वर सिंह फौजी। राँची से वीरेन्द्र सिंह, मुकेश पाण्डेय, राजीव सिंह, शिवानी लता, मनोज सिंह, अविनाश कुमार, संदीप यादव, बॉबी सिंह ने भी अपने विचार रखे।
धन्यवाद ज्ञापन सुशील कुमार ने किया और मंच संचालन आशीष शीतल ने किया।

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