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बच्चों के लिए बाल कविता
चिहूंँक-चिहूंँक नन्ही चिड़िया।
बात बताती है सुन बढ़िया।
सदा चहकना सदा फुदकना।
कभी न रोना गोलू गुड़िया।।
कूद -कूद कर कालू बंदर।
बात बताया है एक सुंदर।
कभी आलसी रहो न बच्चों।
खेल कूद कर बनो कलन्दर।।
कर्कश बोली तुम मत बोलो।
मीठा बोलो मधुरस घोलो।
कूक -कूक कोयलिया बोली।
लडने हो तो मुँह मत खोलो।।
बिल्ली बोली सुन ओ छोटी।
देखो मैं हूँ कितनी मोटी।
भोजन में नखरे मत करना।
मन से खाना सब्जी रोटी।।
—–डाॅ.ममता तिवारी जाँजगीर-चांपा (छत्तीसगढ़)