GhaziabadNCRUttar pradesh

प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड गाजियाबाद द्वारा नीजी विकास करता एम.आर. प्रोव्यू रीयलटेक प्राइवेट लिमिटेड को 57 लाख का जुर्मानाl

शालीमार सिटी साहिबाबाद गाजियाबाद के विकास करता है एम.आर. प्रोव्यू रीयलटेक प्राइवेट लिमिटेड पर अनियमितता के लिए 57 लाख का जुर्माना उत्तर प्रदेश प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड गाजियाबाद के द्वारा लगाया गयाl

शालीमार सिटी साहिबाबाद गाजियाबाद

निवासी रवि रमन झा जी ने बताया की

शालीमार सिटी सोसायटी गाजियाबाद के निजी विकासकर्ता मैसर्स एम आर प्रोव्यू रियलटेक प्राईवेट लिमिटेड के द्वारा गत दस वर्षों से लगातार पर्यावरण का अवैध दोहन व वायू, जल, भूमि प्रदूषण के विरूद्ध कई शिकायतों के बाद उत्तर प्रदेश प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड जागी तो जरूर लेकिन कागजी कार्रवाई के अलावा कुछ भी नहीं कार्रवाई नहीं किया।

विदित हो कि जल प्रदूषण निवारण और नियंत्रण अधिनियम 1974, जल प्रदूषण की रोकथाम के लिए बिल्डरों के द्वारा भूजल का प्रयोग करने से रोकने के लिए कार्रवाई के लिए दिए गए एन जी टी के कई आदेशों, सीवेज के पानी को शोधित करने के लिए ट्रीटमेंट प्लांट नहीं लगाने, प्रदूषण विभाग से सीवेज का पानी शोधित करने की एनओसी, बिल्डरों पर एयर एक्ट के तहत कार्रवाई, आदि कोई भी कार्रवाई गत दस वर्षों गाजियाबाद प्रशासन के द्वारा नहीं करने पर शालीमार सिटी सुधार समिति ने प्रधानमंत्री कार्यालय में शिकायत दर्ज कराई। प्रत्युत्तर में उत्तर प्रदेश प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड ने जाँच पड़ताल करके 17 अक्टूबर 2022 को निजी विकासकर्ता को कारण बताओ नोटिस जारी किया, साथ ही 57 लाख की पर्यावरणीय क्षति अधिरोपित किया और 15 हजार रोजाना का पेनल्टी भी लगाया। इतना ही नहीं, उत्तर प्रदेश प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड की टीम ने 23 मई 2023 और 07 जून 2023 को पुनः निरीक्षण किया गया, जिसमें काफी खामियाँ पाई गई लेकिन कोई भी कार्रवाई बोर्ड के द्वारा नहीं की गई।

शालीमार सिटी सोसायटी का बिल्डर रोजाना 5-10 हजार किलोलीटर भूजल का अवैध दोहन बिना किसी प्राधिकारी के अनुमति का पिछले दस सालों से कर रहा है, लेकिन ना तो जीडीए, ना ही जिला प्रशासन, ना ही प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड ने निजी विकासकर्ता के विरूद्ध सभी साक्ष्य ऑन द स्पॉट होने के बावजूद कोई भी कार्रवाई करने की जहमत उठाई।

शालीमार सिटी सोसायटी में लगभग 2000 परिवार दो हजार फ्लैटों में रहती हैं और निजी विकासकर्ता सभी के घरों में 2300-3500 टी डी एस वाली भूजल बिना किसी तरह के ट्रीटमेंट प्लान्ट चलाये सप्लाई करती है। इतना ही नहीं, फ्लैटों से निकली गंदे व प्रदूषित जल को निजी विकासकर्ता बिना सीवेज ट्रीटमेंट के सीधे खुले जमीन में छोड़ देती है जिससे ना केवल धरती माता प्रदूषित होती है, बल्कि वही प्रदूषित पानी सभी के घरों में अवैध भूजल दोहन के द्वारा भेजी जाती है, साथ ही शालीमार सिटी की संरचनाओं पर भी काफी बूरा प्रभाव पड़ रहा है।

Related Articles

Back to top button