प्रगति सरस्वती शिशु विद्या मंदिर, बिरसानगर विद्यालय में ‘महर्षि वेदव्यास जंयती एवं गुरु पूर्णिमा उत्सव’ हर्षोल्लास के साथ मनाया गया
जमशेदपुर। सोमवार को श्रावण मास के प्रथम दिन विद्यालय के सभागार में ‘महर्षि वेदव्यास जंयती’ के शुभ अवसर पर ‘गुरु पूर्णिमा उत्सव’ हर्षोल्लास के साथ मनाया गया। कार्यक्रम की शुरुआत मुख्य अतिथि सत्यप्रकाश (जमशेदपुर विभाग के विभाग प्रचारक), विद्यालय के अध्यक्ष भोला कुमार मंडल, सचिव अरविन्द कुमार पाण्डेय, संकुल संयोजक अरविन्द सिंह, समिति सदस्य अजय प्रजापति एवं विद्यालय के प्रधानाचार्य अभिलाष गिरी ने वंदना स्थल पर महर्षि वेदव्यास जी के तस्वीर के समक्ष दीप प्रज्वलन एवं पुष्पार्जन कर किया। तत्पश्चात प्रधानाचार्य जी ने मंचासीन अतिथियों का परिचय करवाया और भैया/बहनों के समक्ष गुरु पूर्णिमा उत्सव के प्रस्तावना को रखा एवं उनका मार्गदर्शन करते हुए सनातन संस्कृति में गुरु शिष्य के संबंध के बारे में बताया और कहा कि कभी भी किसी भी स्थिति में माता-पिता और गुरूजन का अनादर नहीं करना चाहिए। कार्यक्रम को आगे बढ़ाते हुए वंदना की बहनों ने गुरू के महत्ता पर गीत प्रस्तुत किया। उसके बाद कक्षा नवम की बहन सुमन दास ने अंग्रेजी में और बहन उर्मिला गोराई ने हिंदी में वेदव्यास जी की जीवनी प्रस्तुत की। तत्पश्चात शिशु वर्ग की बहनों ने मनमोहक नृत्य प्रस्तुत किया और बाल वर्ग के भैया ने एकांकी प्रस्तुत की। कार्यक्रम में उपस्थित संकुल संयोजक अरविंद सिंह जी ने भैया/बहनों को संबोधित करते हुए कहा कि गुरू आपको अंधकार से प्रकाश की ओर ले जाते हुए आपके व्यक्तित्व को सही आकार देते हैं। मुख्य अतिथि ने भी भैया/बहनों को संबोधित करते हुए कहा गुरू शिष्य परंपरा पौराणिक काल से ही चली आ रही है। जैसे बालक राम को मर्यादा पुरुषोत्तम बनाने वाले उनके गुरु महर्षि विश्वामित्र जी थे,बाल कृष्ण को दृष्टि प्रदान कर द्वारकाधीश बनाने वाले ऋषि सांदीपनि, हिंदुत्व सम्राज्य की स्थापना करने वाले वीर शिवाजी को दृष्टि प्रदान करने वाले समर्थ गुरु रामदास, ऐसे ही चंद्रगुप्त मौर्य विवेकानन्द को सही दृष्टि प्रदान करने वाले उनके गुरु ही थे। इस परंपरा को आज भी हमारे संस्कृति से जोड़ने वाले राष्ट्रीय स्वयं सेवक संघ द्वारा संचालित विद्या भारती के विद्यालयों में गुरु शिष्य परंपरा एवं अपने संस्कृति को कायम रखने हेतु गुरु पूर्णिमा का उत्सव मनाया जाता है। अध्यक्ष महोदय ने भैया/बहनों को अपना आशीर्वचन दिया और अंग्रेजी की आचार्या भारती शर्मा ने धन्यवाद ज्ञापन दिया। आचार्य अंजय मोदी जी ने सभी आचार्यों के सहयोग से कार्यक्रम का संचालन सफलता पूर्वक संपन्न किया एवं शांति मंत्र के द्वारा कार्यक्रम का समापन किया गया।