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पटमदा के बोडा़म प्रखंड में आस्था का संगम है पूर्वी सिंहभूम का हाथी खेदा मंदिर


सौरभ कुमार
जादूगोड़ा। हाथी खेदा मंदिर”इस मंदिर में दूर-दूर से एवं अन्य पड़ोसी राज्यों से भी भक्त मन्नत लेकर आते हैं, प्रकृति एवं भक्ति के इस अद्भुत संगम का आनंद लेते हैं, भक्तों के अपने मनोकामना की पूर्ति के लिए के लिए मंदिर प्रांगण में नारियल, चुनरी घंटी बांधते हैं। भेड़ की बलि चढ़ाने की परंपरा इस मंदिर में सदियों से चली आ रही है। मंदिर में परंपरागत विधि विधान के साथ हाथियों की पूजा की जाती है।
मंदिर के बारे में कहा जाता है कि कई वर्ष पहले इस इलाके में हाथियों का आतंक था। अक्सर हाथियों का झुंड फसलों को खाने के लिए गांव में आ जाते थे। फसलों के नुकसान के साथ
ग्रामीण लोगों को मार देते थे। ग्रामीणों की परेशानी को देखते हुए वहां के पुजारियों ने लगभग 300 वर्ष पूर्व मिट्टी से बनी हाथियों की मूर्ति की पूजा शुरू की, कुल देवता से प्रार्थना की, इसके बाद हाथियों का आना बंद हो गया। जिस कारण लोगों ने इसके पश्चात सबके सहमतियों के साथ मंदिर का निर्माण कराया। और इसे “हाथी खेड़ा मंदिर” नाम दिया गया। मंदिर से जुड़ी अनेक रोचक और अनसुनी कहानी है। सबसे महत्वपूर्ण बात यह है कि यहां के प्रसाद को केवल पुरुष ही खाते हैं,मंदिर की प्रसाद महिला को ग्रहण करना वर्जित है। और ना ही इस प्रसाद को घर के अंदर लाते हैं. घने जंगलों के बीच में य मंदिर काफी मनमोहक है। यहां पर आने वाले सालभर श्रद्धालुओं का तांता लगा रहता है। श्री श्री हाथी खेदा ठाकुर अपनी कृपा हम सब पर बनाए रखें।

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