देश भर के व्यापारी कल मनायेंगे राखी का त्यौहार
राखी त्यौहर पर बिक्री के रिकॉर्ड टूटे - 12 हजार करोड़ की बिकी राखियां, इस बार राखी त्यौहार की विशेषता चंद्रयान राखी और जी 20 राखियां रहीं
रविंद्र सिंह
जमशेदपुर।.रक्षाबंधन की आज सरकारी छुट्टी होने के बावजूद भी देश भर में सभी बाजार खुले और सामान्य रूप से कारोबार हुआ। आज दिन भर भद्रा काल होने जिसमें कोई भी शुभ कार्य नहीं किया जाता है , के कारण कॉन्फ़ेडरेशन ऑफ़ आल इंडिया ट्रेडर्स (कैट) की सलाह पर देश भर के व्यापारी संगठनों से जुड़े व्यापारी, उनके कर्मचारी एवं परिवार के लोग कल 31 अगस्त को ही रक्षा बंधन का त्यौहार मनाएंगे। एक मोटे अनुमान के अनुसार इस बार लगभग 12 हजार करोड़ रुपये की राखियों की देश भर में बिक्री हुई और सभी राखियां देश में ही बनी थी ! चीन से इस वर्ष भी न तो राखियां अथवा राखियों का सामान आयात हुआ।
कैट के राष्ट्रीय सचिव सुरेश सोन्थालिया ने बताया की कोरोना के बाद यह पहला साल है जिसमें बिना किसी बीमारी के डर से देश भर के बाज़ारों में उपभोक्ता राखियों की खरीदी के लिए उमड़े जिसके चलते पिछले वर्षों के राखी बिक्री के सभी रिकॉर्ड टूटे और लगभग 12 हजार करोड़ रुपये का राखियों के व्यापार का आंकलन किया गया है। इसके साथ ही उपहार देने के लिए मिठाई, गिफ्ट आइटम्स, कपडे. एफएमसीजी के सामान आदि का कारोबार भी लगभग 5 हजार करोड़ रुपये का आँका गया।
सोन्थालिया ने बताया की इस वर्ष अनेक प्रकार की राखियों के अलावा विशेष रूप से ” चंद्रयान राखी तथा जी 20 की वसुधैव कुटुंबकम ” राखियां भी व्यापारियों ने बना कर प्रधानमंत्री श्री नरेंद्र मोदी के दूरदर्शी नेतृत्व एवं इसरो के महान वैज्ञानिकों के प्रति आभार व्यक्त किया। इसके अलावा देश के विभिन्न शहरों के मशहूर उत्पादों को लेकर भी अनेक प्रकार की राखियां बनाई गई जिनमें मुख्य रूप से छत्तीसगढ़ की कोसा राखी, कलकत्ता की जूट राखी, मुंबई की रेशम राखी, नागपुर में बनी खादी राखी, जयपुर में सांगानेरी कला राखी, पुणे में बीज राखी, मध्य प्रदेश के सतना में ऊनी राखी,झारखण्ड में आदिवासी वस्तुओं से बनी बांस की राखी,असम में चाय पत्ती राखी, केरल में खजूर राखी, कानपुर में मोती राखी, वाराणसी में बनारसी कपड़ों की राखी, बिहार की मधुबनी और मैथिली कला राखी, पांडिचेरी में सॉफ्ट पत्थर की राखी, बैंगलोर में फूल राखी आदि शामिल हैं।
कैट ने बताया की वर्ष 2018 में 3 हजार करोड़ रुपये के राखी व्यापार से शुरू होकर केवल 6 वर्षों में यह आंकड़ा 12 हजार करोड़ रुपये तक पहुँच गया है जिसमें से केवल 7 प्रतिशत व्यापार ही ऑनलाइन के जरिये हुआ है जबकि बाकी सारा व्यापार देश के सभी राज्यों के बाज़ारों में जा कर उपभोक्ताओं ने स्वयं ख़रीदा है। राखियों के साथ भावनात्मक सम्बन्ध होने के कारण लोग स्वयं देख और परख कर राखियां खरीदते हैं और यही वजह है की इस वर्ष राखियों का व्यापार अच्छा हुआ। वर्ष 2019 में यह व्यापार 3500 करोड़, वर्ष 2020 में 5 हजार करोड़, 2021 में 6 हजार करोड़ और पिछले वर्ष यह व्यापार 7 हजार करोड़ का आँका गया था। इससे यह स्पष्ट है की लोग अब त्यौहारों को दोबारा से पूरे उल्लास और उमंग के साथ मना रहे हैं और विशेष रूप से भारत में बने सामान को ही खरीदने में रूचि रखते हैं।