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देख प्रकृति की

देख प्रकृति की
अद्भुत आकृति
हृदय धक मेरा क्यूँ करता है?

हो तुम कौन?
की कोई करिश्मा!
दिल धक मेरा क्यूँ करता है?

उधर अप्सरा
खोल द्वार खड़ी
कटीला यौवन सिंगार किये।

इधर ईंगुरधर1
निज गंध गांधारी
री मृदुल मुस्कान लिए।।

हा! यौवन अभिलाषुक2 क्यों
अभिलाषा
तेरा क्यूँ करता है!

देख प्रकृति की
अद्भुत आकृति
हृदय धक मेरा क्यूँ करता है?

1–सिंदूर को धारण करने वाली पत्नी। 2–अभिलाषा करने वाला।

स्वरचित रचना आचार्य दिग्विजय सिंह तोमर 15 दिसम्बर 2021.

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