चाकुलिया के ठाकुरबाड़ी सतनारायण मंदिर में चल रहे राम कथा के दौरान सातवे दिन सुनाया गया लंका दहन का कथा
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चाकुलिया. नगर पंचायत क्षेत्र स्थित ठाकुरबाड़ी सतनारायण मंदिर परिषद में चल रहा है नौ दिवसीय राम कथा के सातवें दिन लंका दहन का कथा सुनाया. इस दौरान कथावाचक स्वामी रमाकांत गोस्वामी ने कहा कि भगवान से भक्त बड़ा होता है. हनुमानजी महान योद्धा के साथ-साथ ज्ञानी भी थे और अपनी चतुराई के साथ रावण की लंका दहन कर यह अवगत करा दिया था कि जिनका वक्त इतना बलशाली है तो उनसे आप किसी तरीके से पार नहीं पा सकते हैं और आप सीता माता को वापस कर अपनी गलती की माफी मांग लें. लेकिन अपनी राक्षसी प्रवृत्ति के कारण उसने माफी मांगने से इनकार कर दिया. भगवान मर्यादा पुरुषोत्तम ने समुद्र पर पुल बांधकर लंका में प्रवेश किया. उधर रावण के भाई विभीषण ने भी समझाने का प्रयास किया तो लात मारकर घर से निकाल दिया और विभीषण राम की शरण में पहुंच जाता है. राम विभीषण का राजतिलक कर लंका का राजा बना देते हैं. यह बात जब रावण को पता चलती है तो वह बहुत क्रोधित होता है और बदला लेने को ठान लेता है. रावण, शंकरजी का अपार भक्त था उसने अपने शीश काट कर शंकर जी पर चढ़ाए और प्रसन्न कर वरदान प्राप्त किया था. रावण राम के युद्ध वर्णन बहुत ही मार्मिक ढंग से सुना कर श्रोताओं को भाव विभोर कर दिया. उन्होंने कहा कि अत्याचारी का अंत बुरा होता है. रावण के एकलाख पुत्र और सवा लाख नाती थे उनका भी अंत अत्याचारी की वजह से हुआ. इसलिए संकल्प लें और घर में रामचरितमानस की कम से कम पांच चौपाई जरूर पढ़े. जीवन में बुराई को त्याग कर सच्चाई की तरफ बढ़ने की प्रेरणा लें.