कांग्रेसियों ने मनाई धरती आबा भगवान बिरसा मुंडा की 124 वीं पुण्यतिथि
चाईबासा। रविवार को पश्चिमी सिंहभूम जिला के चाईबासा के कांग्रेस भवन में कांग्रेसियों ने धरती आबा भगवान बिरसा मुंडा की पुण्य तिथि उनकी तस्वीर पर माल्यार्पण कर दो मिनट का मौन धारण कर श्रद्धापूर्वक भाव से मनाई। इस अवसर पर वक्ताओं ने बारी बारी से उनकी जीवनी पर बिस्तर से प्रकाश डालते हुए अपने -अपने विचार रखे। इसी क्रम में जिला अध्यक्ष चन्द्रशेखर दास ने कहा स्वर्गीय बिरसा मुंडा ने मुंडाओं को जल, जंगल, जमीन की रक्षा के लिए बलिदान देने के लिए प्रेरित किया।उनका पूरा आंदोलन 1895 से लेकर 1900 तक चला। इसी क्रम में अंग्रेजों ने उनको पहली बार 1895 को झारखंड के बंदगांव से गिरफ्तार किया था। आगे चर्चा करते हुए जिलाध्यक्ष ने कहा इस गिरफ्तारी के पीछे कोई आंदोलन नहीं था बल्कि प्रवचन के दौरान उमड़ने वाली भीड़ थी। उन्हें दो वर्षो तक जेल में डालने के बाद इस शर्त पर छोड़ दिया कि वह दोबारा ऐसा नहीं करेंगे परंतु इसके वावजूद उन्होंने अंग्रेजों के बढ़ते अत्याचार से अपने आप को नहीं रोक पाया और पुनः लोगों को संगठित कर अंग्रेजी हुकूमत के खिलाफ युद्ध का विगुल फूंका और उनके छक्के छुड़ा दिए थे।बिरसा मुंडा और उनके अनुयायियों के लिए सबसे बड़े दुश्मन चर्च मिशनरी और जमींदार थे । क्योंकि जमींदारों को भी कंपनी ने ही खड़ा किया था। इस पर उन्होंने कहा जमींदारों और पुलिस का बढ़ता अत्याचार से ग्रामीण काफी ग्रासित थे। इस पर मुंडाओं का बिचार था कि आदर्श भूमि व्यवस्था तभी संभव है,जब यूरोपियन अफसर और मिशनरी के लोग पूरी तरह से हट जाएं। और इसी क्रम में एक नया नारा गढ़ा गया – अबुआ दिशुम,अबुआ राज। इस अवसर पर जिला प्रवक्ता जगदीश सुन्डी ने कहा झारखण्ड प्रदेश वीर शहीदों की पवन धरती है । जहां धरती आबा भगवान बिरसा मुंडा जैसे जननायक अवतरित हुए जिन्होंने तत्कालीन अंग्रेजी हुकूमत को धूल चटाकर अपनी हिम्मत और वीरता का लोहा मनवाया चुके हैं।सुन्डी ने आगे कहा बिरसा मुंडा में एक अद्भुत ईश्वरीय शक्ति थी,वह जिस किसी भी व्यक्ति के माथे पर हाथ रखते थे चमत्कारी तरीके से लोग तुरंत ठीक होते थे, जिसके कारण उन्हें लोग उन्हें भगवान बिरसा मुंडा कहने लगे।उन दिनों अंग्रेजों ने उनको पकड़ने के लिए एड़ी चोटी एक कर दिया था पर पकड़ नहीं पाए और धोके से प्रलोभन देकर कुछ लोगों से पकड़वाकर जेल में डाला। इस प्रकार उनकी मृत्यु जेल में ही मात्रा 27 वर्ष की आयु में 9 जून 1900 को हुई थी। इस अवसर पर जिला अध्यक्ष चन्द्रशेखर दास, पंचायती राज प्रकोष्ठ प्रदेश अध्यक्ष सुनीत शर्मा, जिला महासचिव लियोनाड बोदरा, जिला सचिव मोहन सिंह हेम्ब्रम, जिला सोशल मीडिया कार्डिनेटर मोहम्मद सलीम,झींकपानी प्रखंड अध्यक्ष सिकुर गोप, सुशील कुमार दास, रुप सिंह बारी, चंद्र भूषण बिरुवा उपस्थित थे।