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एमजीएम अस्पताल की खस्ताहालत देख बिफरे सरयू, कहा – सीएम बर्खास्त करें स्वास्थ्य मंत्री को


जमशेदपुर । जमशेदपुर पूर्वी के विधायक सरयू राय ने मंगलवार को अपने क्षेत्र भ्रमण में चल रहे कई विकास कार्यों का जायज़ा लिया। उन्होंने जमशेदपुर अक्षेस, पथ निर्माण विभाग, विशेष प्रमंडल एवं टाटा स्टील यूएसआईएल के अधिकारियों को काम में तेज़ी लाने के लिए निर्देशित किया। उन्होंने एमजीएम अस्पताल का भी औचक निरीक्षण किया और अस्पताल के अधीक्षक-उपाधीक्षक के साथ अस्पताल की स्थिति दिनानुदिन बद से बदतर होते जाने के बारे में जानकारी प्राप्त की।

यहां जारी एक वक्तव्य में श्री सरयू राय ने कहा कि भुइयांडीह के आक्सीजन कॉलोनी में बन रहा पेयजल शोधन संयंत्र (वाटर ट्रीटमेंट प्लांट) बनकर तैयार हो गया है। सितंबर के अंत तक कई इलाक़ों के घरों में इस संयंत्र से पानी मिलने लगेगा। इस बीच बाबूडीह, लाल भट्ठा क्षेत्रों में पाईप बिछाने का काम शुरू हो जाएगा. जोजोबेड़ा में भी इसी माह से घरों में पानी मिलने लगेगा। लिट्टी चौक के आगे जहां नदी पर पुल बनना है, वहां मुख्य सड़क से नदी तक सड़क बनाने का काम तेज़ी से चल रहा है।

एमजीएम की स्थिति बदतर, सुधारने में कम से कम चार साल लगेंगे
विधायक सरयू राय ने कहा कि एमजीएम अस्पताल की दुर्दशा देखने और स्थिति सुधारने के लिए अस्पताल के अधीक्षक एवं उपाधीक्षक से बात करने के बाद वे इस निष्कर्ष पर पहुंचे कि विगत चार वर्षों में अस्पताल की स्थिति जितनी बदतर हुई है, उसे सुधारने में कम से कम चार साल और लगेंगे।

स्वास्थ्य मंत्री का प्रतिनिधि चला रहा समानांतर ऑफिस
एमजीएम अस्पताल की दुर्दशा का मुख्य कारण अस्पताल के कार्यों में स्वास्थ्य मंत्री का राजनीतिक हस्तक्षेप है। स्वास्थ्य मंत्री का एक प्रतिनिधि अनाधिकृत रूप से अधीक्षक के कार्यालय के सामने एक बड़ा कमरा क़ब्ज़ा करके अधीक्षक के समानांतर ऑफिस चला रहा है। वह अस्पताल अधिकारियों के काम में हस्तक्षेप कर रहा है और सुपर अधीक्षक के रूप मे रौब जमा रहा है। इमरजेंसी में और वार्डों मे मरीज़ों का इलाज फ़र्श पर हो रहा है।

स्वास्थ्य मंत्री को अपने स्वार्थ की चिंता
विधायक सरयू राय ने कहा कि स्वास्थ्य मंत्री को मरीज़ों की नहीं बल्कि अपना स्वार्थ साधने की चिंता है. ऐसे जनस्वास्थ्य विरोधी मंत्री को मुख्यमंत्री द्वारा पद से बर्खास्त कर देना चाहिए।

500 बिस्तर वाला अस्पताल चालू नहीं हुआ
श्री राय ने एमजीएम कॉलेज के प्रभारी प्राचार्य से वार्ता करने के बाद कहा कि वहां 500 बिस्तर वाला अस्पताल बनकर तैयार है पर चालू नहीं हो पा रहा है। विगत चार वर्षों में स्वास्थ्य मंत्री ने अस्पताल चालू कराने के लिए कोई कोशिश नहीं किया।

पानी तो है ही नहीं
विधायक श्री राय ने कहा कि यह विडंबना है कि अस्पताल का भवन बनकर तैयार है पर इसमें पानी की कोई व्यवस्था नहीं है। बिना पानी अस्पताल चालू नहीं हो सकता। इस अस्पताल को चलाने के लिए रोज़ाना चार से पांच लाख लीटर पानी की आवश्यकता होगी, जिसका प्रबंध करने के लिए कोई उपाय नहीं किया गया है। स्वास्थ्य मंत्री अपने विधानसभा क्षेत्र में पड़ने वाले इस अस्पताल का भवन बनवाने में व्यस्त रहे पर इसे चलाने के लिए पानी कहां से आएगा, इसके बारे में नहीं सोचा।

भूगर्भ जल का इस्तेमाल नहीं करना था
विधायक सरयू राय ने कहा कि जब इस अस्पताल का भवन बनने लगा, उस समय इसे बनाने की स्वीकृति इस शर्त के साथ मिली थी कि अस्पताल अपनी ज़रूरतों के लिए भूगर्भ जल की एक बूंद का भी इस्तेमाल नहीं करेगा, जहां से मानगो के लिए पेयजलापूर्ति होती है, उसी सिस्टम ने अस्पताल को पानी देने से इंकार कर दिया। कारण यह है कि इससे मानगो के रिहायशी इलाक़े की जलापूर्ति पर प्रतिकूल प्रभाव पड़ेगा। इसके बाद भी स्वास्थ्य मंत्री अस्पताल का भवन बनवाने में मशगूल रहे और इसे चलाने के लिए पानी की व्यवस्था करने के बारे में उन्होंने तनिक भी चिंता नहीं की। अब भवन तैयार हो गया पर पानी के अभाव में इसमें अस्पताल चलाना संभव नहीं है। नतीजा है कि पुराने एमजीएम अस्पताल पर से मरीज़ों का बोझ नहीं घट रहा है।

बेड 50, मरीज 80
श्री सरयू राय को अस्पताल के अधीक्षक ने बताया कि कल ओपीडी में दिखाने के लिए 1800 मरीज़ आए। इमरजेंसी में 50 बेड हैं पर वहां मरीज़ों की संख्या 80 है। यही स्थिति अस्पताल के विभिन्न वार्डों की है। श्री राय ने एमजीएम कॉलेज के प्रभारी प्राचार्य से कहा कि वे डिमना लेक के माध्यम से चांडिल डैम का पानी अस्पताल तक लाने का प्रस्ताव सरकार को भेजें। उन्होंने कहा कि मैंने (श्री राय) यह सवाल विधानसभा के गत मानसून सत्र में उठाया था, पर स्वास्थ्य मंत्री इस पर मौन थे। वे मेरे सवाल का जवाब दे रहे मंत्री से सटे बैठे थे पर यह बात उनके दिमाग़ में नहीं आई। जमशेदपुर में बन रहे इस अस्पताल को चालू कराने के लिए पानी की व्यवस्था कराने में स्वास्थ्य मंत्री की कोई रुचि नहीं है। उनकी रुचि बस अस्पताल का भवन बनवाने तक सीमित थी। ऐसे व्यक्ति को स्वास्थ्य मंत्री के पद पर बनाए रखने का कोई औचित्य नहीं है। मुख्यमंत्री अविलंब इन्हें स्वास्थ्य मंत्री के पद से बर्खास्त करें।

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