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आपातकाल के दौरान अत्याचार के विरुद्ध में संघर्ष करने वाले आनंद मार्ग के सन्यासियों एवं सन्यासिनियों के दिवंगत आत्माओं को ईश्वरप्रणिधान एवं रक्तदान कर श्रद्धांजलि दी गई

आनंद मार्ग पर अत्याचार के विरोध भारत देश के अलावा विदेश में भी एक दर्जन से भी ज्यादा देशों के दूतावासो पर साधु संन्यासियों ने किया था आत्मदाह


जमशेदपुर। 25 जून आपातकाल को काले दिन के रूप में याद करते हुए आनंदमार्गियों ने आपातकाल के दौरान आनंदमार्गियों पर हो रहे अत्याचार के विरुद्ध गुरु श्री श्री आनंदमूर्ति जी पर हो रहे अत्याचार के विरुद्ध में सरकार का ध्यान आकर्षित करने के लिए देश-विदेश में अपने आराध्य के कष्ट को शहर ना करते हुए आत्मदाह कर दिया। एक दर्जन से भी ज्यादा साधु संन्यासियों ने आपातकाल के दौरान अत्याचार के विरुद्ध में आत्मदाह किया । उन दिवंगत त्यागी सन्यासियों एवं सन्यासिनियों को ईश्वरप्रणिधान के बाद श्रद्धा सुमन अर्पित किया। जमशेदपुर के सभी यूनिटों में यह कार्यक्रम हुआ।
इस अवसर पर कुछ आनंदमार्गियों ने ब्लड सेंटर में रक्तदान कर उन दिवंगत आत्माओं को रक्तदान कर श्रद्धा सुमन अर्पित किया।
25 जून 1975 को लगाए गए आपातकाल के विरोध में काला दिवस के रूप में मनाते हैं । आनंद मार्ग प्रचारक संघ के जनसंपर्क सचिव सुनील आनंद ने कहा कि तत्कालीन प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी ने लोकतंत्र पर काला धब्बा लगाते हुए पूरे देश में आपातकाल की घोषणा की थी। आपातकाल के बाद नागरिकों के मूल अधिकार स्थगित हो गया। 25 जून 1975 को पूरे भारतवर्ष में इमरजेंसी लगा दिया गया। आनंद मार्ग के लगभग एक सौ से भी ज्यादा संगठनों को बैंड कर दिया गया।अनुयायियों को जेल भेजा गया एवं उन पर सबसे ज्यादा अत्याचार किया गया। बिहार के बांकीपुर जेल में आनंद मार्ग के गुरु संस्थापक भगवान श्री श्री आनंदमूर्ति जी को चिकित्सा के नाम पर जहर दिया गया वे आध्यात्मिक शक्ति के कारण वह इस जहर को सहन कर सके परंतु पूरा शरीर सिकुड़ गया सभी दांत झड़ गए। उसी समय से बाबा एकदम कमजोर हो गए। इन सब अत्याचारों के विरोध में देश-विदेश में आनंदमार्गीयो ने आत्मदाह कर अपना विरोध जताने लगा। विदेश में कई देश के दूतावासों के पास सन्यासियों एवं सन्यासिनियों ने आत्मदाह किया । वरिष्ठ पत्रकार कूमी कपूर की पुस्तक “द इमरजेंसी “में लिखकर बताया है कि आनंदमार्गीयों को गिरफ्तार करने की योजना इमरजेंसी के 6 महीना पहले से ही बनाई जा रही थी। सिद्धार्थ शंकर रे जो कि पश्चिम बंगाल के तत्कालीन मुख्यमंत्री थे एवं तत्कालीन प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी के सहपाठी भी थे उन्होंने इंदिरा गांधी को पत्र लिखकर आनंदमार्गीयों की गिरफ्तारी की लिस्ट तैयार करने के लिए कहां की सभी मुख्यमंत्रियों को आदेश देने के लिए कहा था। कूमी कपूर ने अपने पुस्तक” द इमरजेंसी” में उनके द्वारा इंदिरा गांधी को लिखा गया पत्र को प्रकाशित किया है इससे साफ जाहिर होता है की इमरजेंसी के बहाने आनंद मार्गीयो को खत्म करने की साजिश थी आनंद मार्ग के गुरु श्री श्री आनंदमूर्ति जी काफी टॉर्चर किया गया एवं उनके अनुयायियों को भी काफी टॉर्चर किया गया ,सिनेमा हॉल में आनंद मार्ग के विरुद्ध विज्ञापन दिखाया जाता था । आनंद मार्ग का मतलब बच्चा चोर एवं मुरी कटवा यह सरकारी विज्ञापन हुआ करता था ।ताकि आम जनता में भय एवं घृणा का माहौल उत्पन्न हो सरकारी नौकरी में काम करने वाले लोगों को आनंद मार्ग छोड़ देने की के लिए कहा गया जो आनंद मार्ग नहीं छोड़ेंगे उन पर कानूनी कार्रवाई की जाएगी।

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