भोजपुरी भाषा को संवैधानिक मान्यता के लिए धरना सफलतापूर्वक सम्पन्न
दिल्ली। भोजपुरी भाषा को भारतीय संविधान के आठवीं अनुसूची में शामिल कराने हेतु भोजपुरी जन जागरण अभियान द्वारा एक दिवसीय धरना प्रदर्शन का आयोजन डॉ संतोष पटेल के नेतृत्व में मातृभाषा दिवस,21 फरवरी, 2025 को दिल्ली के जंतर मंतर पर किया गया।
विदित हो कि भोजपुरी भाषा सोलह देशों में लगभग 25 करोड़ लोगों द्वारा बोली जाने वाली भाषा है। इस भाषा को मारीशस और नेपाल में संवैधानिक मान्यता प्राप्त है। आज के हुए इस धरना को भोजपुरी गायिका जो असम से आती है कल्पना पटवारी और भोजपुरी अभिनेत्री शारदा सिंह ने अपनी उपस्थित से आंदोलन को गौरव प्रदान किया। कल्पना पटवारी ने कहा कि मैं इस आंदोलन के साथ पहले भी थी और आज भी मैं इसके समर्थन में हूं। सरकार ने जिस प्रकार भाषा डोगरी को या अन्य भाषाओं को मान्यता प्रदान किया है उसी तरह इतने सारे देशों में बोली जाने वाली भाषा भोजपुरी को भी संवैधानिक मान्यता प्रदान करे। वही अभिनेत्री शारदा सिंह ने कहा कि भोजपुरी सिनेमा में काम करते भोजपुरी से बहुत प्रेम है और इसके मान्यता के लिए आयोजित इस धरना के समर्थन मे मै यहां आई हूं। सरकार को भोजपुरी को मान्यता प्रदान करना चाहिए। अध्यक्षता कर रहे डा.संतोष पटेल ने कहा कि भोजपुरी भाषा को अब तक मान्यता मिल जानी चाहिए परंतु लगातार राजनीति की शिकार होती आ रही है भोजपुरी। यह भाषा बहुत ही पुरानी भाषा है। कुछ लोग इसको हिंदी की बोली बता कर संविधान में नहीं आने देना चाहते। वहीं डॉ संतोष पटेल ने कहा कि हम लगातार 6 अगस्त,2015 से संसद के प्रत्येक सत्र में धरना कर सरकार के गृह मंत्रालय, प्रधानमंत्री कार्यालय से मांग करते आ रहे हैं। इसके बावजूद सरकार अभी तक हम पच्चीस करोड़ भोजपुरियों की भावना को नहीं समझ रही। हमें उम्मीद है कि ये सरकार भोजपुरी को जल्द ही मान्यता देगी। वहीं संस्था के महासचिव मुखदेव बैठा ने कहा कि हमारी आंदोलन तब तक चलती रहेगी जब तक कि सरकार हमारी बात नहीं मान लेती। हम लगातार संघर्ष करते रहेंगे। संस्था के उपाध्यक्ष सी .के.भट्ट ने कहा कि अभी हम शांतिपूर्ण धरना प्रदर्शन कर रहे हैं। अगर सरकार हमारी बात नहीं मानी तो हम सड़क पर उतरेंगे और जरूरत पड़ी तो लाखों भोजपुरियों के साथ संसद का घेराव भी करेंगे। वहीं महासचिव डा. पुष्कर ने कहा कि भोजपुरी को सामाजिक मान्यता तो बहुत पहले ही मिल चुकी है, लेकिन खेद की बात है कि अभी तक यह संवैधानिक मान्यता के लिए तरस रही।
इस धरना मे मुख्य रूप से डा संतोष पटेल,पुष्कर कुमार, सी. के. भट्ट, रजनीश झा, शारदा सिंह,कल्पना पटवारी, संतोष यादव, गौतम सिंह बिहारी, धनंजय सिंह, रामेश्वर महतो कुशवाहा, मुखदेव बैठा, रितेश राणा, नागेंद्र पटेल,रंजीत कुमार,राष्ट्रीय सलाहकार प्रमोद कुमार सुमन ,आवर मिट्टी फाउंडेशन से चंदन कुमार के अलावा काफी संख्या में भोजपुरी भाषी उपस्थित थे।
– राजेश भोजपुरिया,
(राष्ट्रीय संयोजक)
भोजपुरी जन जागरण अभियान
दिल्ली के आलावा बिहार के पटना गदर्नीबाग और आरा के जेपी स्मारक के पास हुआ भोजपुरी को उचित सम्मान दिलाने के लिए धरना। बिहार के दो जगह हुए धरना मे बिहार सरकार से मांग की गई की भोजपुरी को आठवीं अनुसूची में शामिल कराने के प्रस्ताव को अपने कैबिनेट के माध्यम से केंद्र सरकार को भेजे तथा भोजपुरी भाषा को बिहार की द्वितीय राजभाषा का दर्जा मिले। बिहार भोजपुरी अकादमी की स्थिति में सुधार हो,अकादमी में अध्यक्ष की बहाली हो और अकादमी के क्रियाकलाप की ओर सरकार का ध्यान रहे ताकि भोजपुरी अकादमी निरंतर निर्बाध्य सुचारू रूप से चलती रहे।