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शोषण को समाप्त करने के लिएहमें राजनैतिक लोकतंत्र नहीं आर्थिक लोकतंत्र चाहिए

जमशेदपुर। प्राउटिष्ट यूनिवर्सल की ओर से आनंद मार्ग जागृति गदरा में आयोजित पांच दिवसीय उपयोगिता प्रशिक्षण शिविर (यूटीसी) समाप्ति के बाद एक बाड़ीगोड़ा, रहरगोड़ा एवं गदरा के सड़कों पर एक शोभायात्रा निकाली गई। विभिन्न चौकों पर रुक-रुक कर प्रउत व्यवस्था की बात लोगों के बीच रखी गई।
आचार्य प्रियतोसानंद अवधूत , आचार्य पुण्येशानन्द अवधूत, आचार्य रणधीर देव, आचार्य शिवानंद दानी, आचार्य परमानंद अवधूत, आचार्य सतवार्तानंद अवधूत सभी ने कहा कि कहा कि आर्थिक प्रजातंत्र को समझने के पहले राजनीतिक लोकतंत्र की कुछ बातें जाननी जरूरी है। प्रजातंत्र का दूसरा नाम ही राजनीतिक लोकतंत्र है, जिसका मतलब है आर्थिक और राजनैतिक केंद्रीकरण राजनैतिक लोकतंत्र में जनता को वोट डालने का अधिकार दिया है। लेकिन साथ ही इस व्यवस्था ने लोगों से आर्थिक समानता के अधिकार को छीन लिया है, जिस कारण अमीर और गरीब के बीच दूरी बहुत है। जनता की क्रय क्षमता में अत्यंत विषमता रोजगार भोजन की उपलब्धता और सामाजिक सुरक्षा के बीच काफी अंतर है। भारत में प्रचलित लोकतंत्र भी एक राजनैतिक लोकतंत्र है जो कि गरीबों के शोषण की उत्तम प्रणाली बन चुकी है। लोकतंत्र की सबसे बड़ी कमी है इसका सार्वभौमिक मताधिकार उम्र आधारित मताधिकार यह जनता को धोखा देने के लिए बनाया गया है। भारत का संविधान को तीन बड़े शोषक समूहो ने मिलकर बनाया था अंग्रेजी साम्राज्यवाद भारतीय पूंजीपति और भारतीय साम्राज्यवाद जिसमें कुछ एक सत्ता लोभी नेताओं द्वारा पर्दे के पीछे से पूरे राज नैतिक लोकतांत्रिक सामाजिक और आर्थिक ढांचे को नियंत्रित किया जाता है। राजनैतिक प्रजातंत्र या उदार लोकतंत्र में पूरे मीडिया जैसे रेडियो दूरदर्शन और समाचार पत्रों पर पूंजीपति और नेता ही नियंत्रण रखते हैं और समाजवादी देशों में प्रशासनिक अधिकारी और नौकर शाह देश को विनाश की कगार पर धकेलने में आगे रहते हैं। लोकतंत्र इन दोनों रूपों में ईमानदार सक्षम समाजसेवी नेताओं के उभरने की कोई संभावना नहीं है। प्रजातंत्र में जनता को आर्थिक आजादी कोई रास्ता नहीं है। राजनीतिक लोकतंत्र के बजाए” प्र उ त”प्रगतिशील उपयोग तत्व आर्थिक लोकतंत्र की मांग करता है। इस आर्थिक लोकतंत्र में आर्थिक ताकत आम आदमी के हाथ में होना चाहिए। सभी व्यक्ति को समाज में क्रय शक्ति की क्षमता होनी चाहिए सभी को जीवन की न्यूनतम आवश्यकता की पूर्ति की गारंटी होनी चाहिए, जिसमें प्राकृतिक संसाधनों का विवेकपूर्ण वितरण और तर्कसंगत ढंग से अधिकतम उपयोग करना होगा।
आर्थिक आजादी दिलाने का एकमात्र साधन है प्र उ त
प्र उ त नारा है। शोषण को समाप्त करने के लिए हमें राजनैतिक लोकतंत्र नहीं आर्थिक लोकतंत्र चाहिए। सभी लोकतांत्रिक देशों में आर्थिक शक्ति कुछ खास गिने चुने लोगों के हाथों में ही केंद्रित हो जाती है, जबकि समाजवादी और साम्यवादी देशों में यही शक्ति एक पार्टी विशेष के कुछ लोगों के हाथों में आ जाती है।
लेकिन जब आर्थिक आजादी में आम जनता के हाथ में आर्थिक शक्ति आ जाएगी तो नेताओं का वर्चस्व समाप्त हो जायेगा।
राजनीतिक दल हमेशा के लिए समाप्त हो जाएगा पार्टी विहीन व्यवस्था आर्थिक लोकतंत्र की संस्थापना संभव हो जाएगी।

आर्थिक लोकतंत्र की आवश्यकता है और विशेषताएं… आर्थिक प्रजातंत्र में युग के अनुसार सभी लोगों को न्यूनतम आवश्यकताओं की गारंटी की व्यवस्था उनके संविधान में होगा। क्रय क्षमता में बढ़ोतरी होगा आर्थिक व्यवस्था और शक्ति स्थानीय लोगों के हाथ में होगा। कच्चे माल का उपयोग स्थानीय लोगों के आवश्यकता की पूर्ति के लिए उपयोग किया जाएगा। कच्चा माल निर्यात नहीं होगा जहां कच्चा माल है वही उद्योग लगाया जाएगा उस उद्योग में स्थानीय लोगों को रोजगार दी जाएगी। आर्थिक लोकतंत्र में प्रत्येक आर्थिक निर्णय स्थानीय लोगों के हाथों में होना चाहिए। आर्थिक लोकतंत्र में बाहरी लोगों का स्थानीय अर्थव्यवस्था में किसी भी प्रकार का हस्तक्षेप की अनुमति नहीं होनी चाहिए।

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