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स्वास्थ्य मंत्री बन्ना गुप्ता की स्वीकृति नही मिलने के कारण राज्य के सभी कर्मियों का 5 लाख तक कैशलैस इलाज की योजना अधर में : राजीव रंजन सिंह


जमशेदपुर। राज्य सरकार के कर्मचारियों को कैशलैस इलाज की सुविधा देने से जुड़ी फाइल दो महीने से स्वास्थ्य मंत्री की सहमति का इंतजार कर रही है। ऐसे में बीमा कंपनी के साथ एमओयू नही हो पा रहा है। वैसे टेंडर प्रक्रिया पूरी होने के बाद बीमा कंपनी को लेटर ऑफ अवार्ड भी दिया जा चुका है।
प्राप्त जानकारी के अनुसार राज्य सरकार अपने सभी कर्मचारियों को पांच लाख रुपए तक स्वास्थ्य बीमा योजना का लाभ देने हेतु लगभग 1 वर्ष पहले ही कैबिनेट के द्वारा स्वकृति दिया जा चुका है। टेंडर कि प्रक्रिया पूरी करने के बाद टेक्निकल एवं फाइनेंशियल बिड की जांच के बाद टाटा एआईजी को एल- 1 घोषित किया गया एवं कंपनी को जुलाई माह में ही लेटर ऑफ अवार्ड को दिया गया।उसके बाद विधि विभाग को एमओयू का प्रारूप तैयार कर क्लियरेंस के लिए भेजा गया। अगस्त महीने में विधि विभाग एमओयू के प्रारूप पर सहमति देते हुए स्वाथ्य विभाग को संचिका लौटा दी। लेकिन लगभग 2 माह से स्वास्थ्य मंत्री श्री बन्ना गुप्ता के सहमति हेतु संचिका लटकी हुई है । इस संबंध में पुलिस एसोसिएशन के इंस्पेक्टर योगेंद्र सिंह के द्वारा दूरभाष पर बताया गया कि इस संबंध में वे तीन बार स्वास्थ्य मंत्री से मिलकर अनुरोध कर चुके है। राज्य कर्मियों को इस बात का डर सता रहा है की अगर यह संचिका क्लियर होने में विलंब होगा तो आचार संहिता लग जाएगी और राज्य कर्मियों को कैशलैस इलाज की योजना इतने प्रयास के बाद भी धरी की धरी रह जाएगी।

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