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बिस्टुपुर गोपाल मैदान में तीन दिवसीय राष्ट्रीय मागे महोत्सव का हुआ शुभारम्भ
उसके बाद महोत्सव का उद्घाटन मुख्य अतिथि पूर्व मुख्यमंत्री चम्पाई सोरेन ने किया। इस मौके पर चम्पाई सोरेन ने कहा कि इस तरह के मंच से हमारी संस्कृति को एक नई पहचान मिलती है। इसके लिए उन्होंने आयोजकों को धन्यवाद दिया। इस मौके पर विभिन्न प्रदेशों से महासभा के पदाधिकारी व प्रतिनिधि उपस्थित थे। इस महोत्सव में हो समाज की परंपरा एवं संस्कृति की झलक दिखाई पड़ी। मागे नृत्य ने ऐसा समां बांधा कि महोत्सव में शामिल हजारों लोग झूमने पर मजबूर हो गए। तीन दिनों तक चलने वाले इस सम्मेलन में बिहार, झारखंड, ओडिशा, पश्चिम बंगाल, असम, महाराष्ट्र समेत 11 राज्यों के प्रतिनिधि व नृत्य दल पहुंचे हैं। इस सांस्कृतिक महोत्सव में देश भर से विभिन्न आदिवासी समुदायों के कलाकार भाग लेंगे और पारंपरिक गीत, संगीत, नृत्य एवं खेलकूद के साथ-साथ रंगारंग कार्यक्रम की प्रस्तुति दी गयी। राष्ट्रीय मागे महोत्सव की प्रतियोगिता में कुल पुरस्कार राशि दो लाख ग्यारह हज़ार रूपए है। विजेताओं को प्रमाण पत्र व स्मृति चिन्ह देकर सम्मानित किया गया। इसी के साथ-साथ समाज के विभिन्न क्षेत्रों में उत्कृष्ट कार्य एवं योगदान करने वाले विशिष्ट व्यक्तियों को जोहार संस्था की ओर से सम्मानित किया गया. राष्ट्रीय मागे महोत्सव आयोजन मुख्य उद्देश्य है कि हो समुदाय की सांस्कृतिक विरासत एवं पहचान को संरक्षित कर हो संस्कृति, परंपरा, दर्शन, नृत्य, कला, भाषा, लिपि साहित्य, गीत एवं संगीत के प्रति हो समुदाय के लोगों में सांस्कृतिक गौरव, सांस्कृतिक चेतना एवं सांस्कृतिक गरिमा की भावना को जागृत करना है। इस मागे महोत्सव दूसरा उद्देश्य यह है विभिन्न आदिवासी समुदायों में सामाजिक एकता एवं मैत्री को बढ़ावा देना है।