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झारखंड सेवा देने की गारंटी अधिनियम 2011 के तहत जल्द लागू करे : विजय शंकर नायक

विजय शंकर नायक
रांची। आदिवासी मूलवासी जनाधिकार मंच के केन्द्रीय उपाध्यक्ष विजय शंकर नायक ने राज्य के मुख्यमंत्री/ राज्य के मुख्य सचिव को ईमेल भेजकर कही l इन्होने यह भी कहा कि झारखंड में सभी लोगों के लिए झारखंड सेवा देने की गारंटी अधिनियम 2011 लागू किया गया था । निर्धारित अवधि के भीतर लोगों को सेवा देने की उक्त अधिनियम मे बाध्यता थी । लेकिन राज्य के विभिन्न जिलों में इसका अनुपालन आज कहीं भी नहीं किया जा रहा है जिसके मुख्य दोषी विभिन्न जिलों उपायुक्त है। आज इसी का दुष्परिणाम और मुख्य कारण है कि हर छोटे- मोटे काम के लिए राज्य की भोली भाली आम जनो को सरकारी कार्यालयों का चक्कर लगाना पड़ता है और बाबुओं के आगे न केवल गिड़गिड़ाना पड़ रहा है बल्कि उन्हें बख्शीश घुस भी देने पड़ रहे है जो राज्य के लिए शुभ संकेत नही है एव॔ राज्यकी जनता के लिए यह आक्रोश का विषय है । भ्रष्टाचार में नियंत्रण, लोगों का काम समय पर हो, लोगों को कार्यालय का चक्कर न लगाना पड़े इस लिहाज से ही इस अधिनियम को को कानून बना कर पुरे राज्य मे लागु किया गया था । लेकिन इसका अनुपालन राज्य के विभिन्न जिलो में नहीं हो सका। सेवा का अधिकार अधिनियम से संबंधित कार्यालयों में न तो आज सूचना पट्ट लगा है , और न ही किसी प्रकार की जानकारी ही लोगों को दी जाती है। जिला के सभी कार्यालयों में आज महिनो से फाइलें पड़ी रह जाती है और लोग कार्यालय का चक्कर लगाते लगाते थक जाते हैं।लेकिन उनका काम नहीं होता है। श्री नायक ने कहा कि आदिवासी मुलवासी जनाधिकार मंच इसे न केवल गंभीरता से लिया है बल्कि सरकार के मुखीया हेमन्त सोरेन एंव मुख्य सचिव, झारखंड सरकार को इस दिशा मे आइना दिखाने हेतु इ-मेल भेज कर सेवा अधिकार कानून-2011 को सख्ती से लागू कराने हेतु राज्य के सभी उपायुक्तों को निर्देश देने एवं जो उपायुक्त इस कानून पर ढिलाई बरतता हो तो उन पर कार्रवाई करने की दिशा मे पहल करने की मांग भी कि है ।इन्होने यह भी कहा कि इस कानून के तहत दण्ड का भी प्रावधान निर्धारित किया गया है । समय सीमा के भीतर सेवा उपलब्ध नहीं कराए जाने पर द्वितीय अपीलीय पदाधिकारी द्वारा 500 रुपये से लेकर 5000 रुपये तक जुर्माना लगाने का प्रावधान है। इसी प्रकार प्रथम अपील आवेदन का निपटारा बिना किसी पर्याप्त या युक्ति संगत अनुबंधित समय सीमा के भीतर नहीं रहने की स्थिति में द्वितीय अपीलीय पदाधिकारी द्वारा 500 रुपये से 5000 तक जुर्माना वसूल सकते हैँ। जुर्माने की राशि अधिकारी एवं प्रथम अपीलीय पदाधिकारी के वेतन से वसूृलनीय होगा। आज राज्य के सभी विभिन्न जिलो के अंतर्गत अंचल अधिकारी के स्तर पर दाखिल खारिज बिना आपत्ति के 30 दिनों से कई मामले लंबित हैं एवं आपत्ति के साथ 90 दिनों से अधिक भी मामले लंबित है। जाति ,आय,आवासीय प्रमाण पत्र, जन्म प्रमाणपत्र, बिजली विभाग से संबधित एवं अन्य जनसमस्याओ से संबंधित माममले लंबित पड़े हुए है कोई देखने वाला नही हैं ।जनता त्राहिमाम कर रही है उनके समस्याओ का सामाधान नही हो रहा है । मुख्य मंत्री एवम मुख्य सचिव झारखंड से आदिवासी मूलवासी जनाधिकार मंच अनुरोध करता है कि राज्य मे जनता के बुनियादी समस्याओ के सामाधान करने के दिशा मे झारखंड सेवा देने की गारंटी अधिनियम 2011 को राज्य के सभी जिलो मे सख्ती से लागु किया जाय और राज्य के सभी उपायुक्तो को सख्त निर्देश दिये जाय की इस कानून को सखती से लागु करने मे कोताही बरती गई तो आप इसके जिम्मेवार माने जायेगे और आप पर कार्रवाई कि जायेगी ।

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