ध्यान करने से मनुष्य का आत्मविश्वास बढ़ता है एवं जो डिप्रेशन के शिकार लोग हैं उनके लिए यह बहुत बड़ी चिकित्सा है
मुख्य उद्देश्य आत्मा और ब्रह्मांड के स्वभाव को समझना है।
जमशेदपुर : आनंद मार्ग प्रचारक संघ की ओर से गदरा आनंद मार्ग जागृति में लोगों को प्रतिदिन सुबह एवं शाम दोनों बेला बताए गए ध्यान के तरीके से कम से कम 10 मिनट के लिए ध्यान करना बहुत जरूरी है। ध्यान एक मानसिक क्रिया है।
विश्व ध्यान दिवस के अवसर पर आनन्द मार्ग के सुनील आनंद ने कहा कि ध्यान दिवस का उद्देश्य लोगों को ध्यान और मानसिक शांति के महत्व के बारे में जागरूक करना है।
विश्व ध्यान दिवस पर ध्यान की व्याख्या करते हुए कहा कि ध्यान संस्कृत का एक शब्द है, जो एक विशेष प्रकार की साधना को संदर्भित करता है, जिसे हम “एकाग्रता” और “भाव प्रवाह” के मिलन के रूप में समझ सकते हैं। इसमें मन को केंद्रित करना और अपनी जागरूकता को उच्चतम स्तर की चेतना की ओर निर्देशित करना शामिल है। इसका मुख्य उद्देश्य आत्मा और ब्रह्मांड के स्वभाव को समझना है। इस साधना में व्यक्ति अपने मन की सामान्य चंचलताओं को पार करने का प्रयास करता है और इसके बजाय एक गहरी चेतना की समझ में ध्यान केंद्रित करता है।
आनन्द मार्ग के द्वारा ध्यान को दो धाराओं में विभाजित किया गया है, जो इसे एक प्रवाहमान बनाने के लिए प्रेरित करते हैं।
आंतरिक रूप से, मनोवृत्तियों को चेतना की ओर निर्देशित करना: यह साधना का वह रूप है, जिसमें मन और भावनाओं की ऊर्जा को भीतर की ओर केंद्रित किया जाता है। इसका उद्देश्य मन को एक गहरी जागरूकता या दिव्य चेतना के साथ संरेखित करना है। इस प्रकार की साधना में साधक अपने अहंकार और सतही विचारों को पार करने का प्रयास करता है, ताकि वह शुद्ध जागरूकता या अंतर्दृष्टि की स्थिति में पहुंच सके और वास्तविकता के स्वभाव को समझ सके।
बाहरी रूप से, सभी बाहरी रूपों में भगवानत्व को स्वीकारना: इसका अर्थ है कि ध्यान केवल आंतरिक साधना नहीं है, बल्कि यह बाहरी रूपों में भी फैलता है। यहाँ साधक अपने चारों ओर के प्रत्येक व्यक्ति और वस्तु में दिव्यता या भगवान के अस्तित्व को पहचानता है। वह सभी चीजों को दिव्य रूपों के रूप में देखता है, चाहे वह मनुष्य हो, प्रकृति हो, या कोई अन्य वस्तु हो। इससे वह यह समझ पाता है कि सभी अस्तित्वों के साथ एक गहरा संबंध और सम्मान है।
इन दोनों आयामों में मिलकर, ध्यान का अभ्यास यह संकेत देता है कि यह साधना न केवल उच्चतम चेतना की ओर आंतरिक ध्यान केंद्रित करने का प्रयास है, बल्कि बाहरी दुनिया में दिव्यता की पहचान करके एक समग्र और आध्यात्मिक रूप से एकीकृत जीवन जीने की प्रक्रिया भी है।
मेडिटेशन के लाभ और प्रयोजन की चर्चा करते हुए कहा
मेडिटेशन का प्रमुख उद्देश्य मानसिक शांति और संतुलन प्राप्त करना है। यह तनाव, चिंता और मानसिक दबाव को कम करने में मदद करता है।
आध्यात्मिक जागरूकता: ध्यान से आत्म-चेतना और अध्यात्मिक विकास की ओर कदम बढ़ाया जा सकता है। यह हमें अपने भीतर के विचारों और भावनाओं को समझने में मदद करता है।
शारीरिक और मानसिक स्वास्थ्य: मेडिटेशन शारीरिक और मानसिक स्वास्थ्य के लिए फायदेमंद होता है। यह रक्तचाप को कम करने, इम्यून सिस्टम को मजबूत करने और समग्र जीवन की गुणवत्ता को सुधारने में मदद करता है।
तनाव में कमी: ध्यान करने से तनाव और चिंता का स्तर घटता है, जिससे व्यक्ति शांति और संतुलन महसूस करता है।
मानसिक स्पष्टता: नियमित ध्यान मानसिक स्पष्टता और ध्यान केंद्रित करने की क्षमता को बढ़ाता है।
बेहतर नींद: मेडिटेशन से नींद की गुणवत्ता में सुधार होता है, क्योंकि यह शरीर और मन को विश्राम की स्थिति में लाता है।
स्वास्थ्य में सुधार: यह दिल की धड़कन को नियंत्रित करता है, रक्तचाप कम करता है और शरीर को स्वस्थ रखता है।
आत्म-साक्षात्कार: यह व्यक्ति को अपनी आंतरिक दुनिया से जुड़ने और अपने वास्तविक स्व को पहचानने में मदद करता है।ध्यान करने से मनुष्य का आत्मविश्वास बढ़ता है एवं जो डिप्रेशन के शिकार लोग हैं उनके लिए यह बहुत बड़ी चिकित्सा है।