संजय कुमार सिंह की रौब और रुतबा किसी धनाट व्यक्तित्व से कम नहीं लगता है
कमिशन वसुली के लिए जान बुझ कर संवेदकों को समय पर बिल नहीं बनाते हैं
रांची। सेवा निवृत हो चुके झारखण्ड के सबसे चर्चित माफिया अभियंता पारस कुमार सिंह से भी अधिक पहुंच और पैरवी वाले हैं? ग्रामीण कार्य विभाग के संजय कुमार सिंह। हां यह वही सहायक अभियंता हैं, जो अपने पैतृक विभाग को मैनेज कर के सेवा निवृत होने तक ग्रामीण कार्य विभाग में सेवा बने रहने का करार दोनों विभागों में करने की चर्चा है, यूं कहा जा सकता है कि संजय कुमार सिंह को ग्रामीण कार्य विभाग में सेवा निवृत के लिए mou करने की तैयारी शुरू कर लि गई है। संजय कुमार सिंह अपने सेवा काल का अधिक समय ग्रामीण कार्य विभाग में रहे हैं, यहां तक कि पथ निर्माण विभाग के द्वारा सहायक अभियंता में प्रोन्नति देते हुए पुनः ग्रामीण कार्य में सेवा दे दी गई, और आश्चर्य की बात यह है कि माफियागिरी का आलम यह है कि ग्रामीण कार्य विभाग में सेटिंग कर के पूर्व के पदस्थापित स्थान पर ही पदस्थापन करा लिए।
इस तरह की घटना और माफियागिरी एक समय पारस कुमार सिंह के समय में देखने को मिलती थी। आज संजय कुमार सिंह जहां भी पदस्थापित रहते हैं, वहां के कार्यालय उनके इशारे पर काम करती है, प्रमंडल के कार्यपालक अभियंता नाम मात्र होते हैं, ठिकेदार वर्ग अपने बिल बनाने और भुगतान तक के लिए उनके आगे परिक्रमा करते नज़र आते हैं, चाहे वो जिला स्तर का काम हो या राज्य स्तर का योजना हो।
गौर तलब है कि संजय कुमार सिंह को कोल्हान प्रमंडल के सिंहभूम जिले से बहुत प्रेम है। पच्चीस वर्ष से अधिक समय तक चाईबास प्रमंडल में ही नौकरी कर रहे हैं। भ्रष्ट और माफिया प्रवृत्ति के लोगों के लिए सिंहभूम की धरती बहुत ही उपयोगी मानी जाती है। संजय कुमार सिंह वर्तमान में नोवामुंडी अवर प्रमंडल, ग्रामीण कार्य विभाग, चाइबासा में पदस्थापित हैं। डीएमफटटी की योजना का बिल बनाने में संजय कुमार सिंह के द्वारा नहीं बनाए जाने की शिकायत संवेदक के द्वारा किए जाने का मामला प्रकाश में आया है, संवेदक ने एक माह पूर्व कार्यपालक अभियंता से भुगतान करने की लिखित आवेदन कर चुके हैं। अविनाश कुमार के शिकायत पर जिला प्रशासन के द्वारा जांच कराई जा सकती है। योजना भौतिक रूप से पूर्ण हो चुका है। वहीं दूसरी ओर pmgsy और सड़क विशेष मरम्मती कार्य में भी संवेदकों का बिल नहीं बनाया जा रहा है। सूत्रों के अनुसार बिल से पहले छः पर्सेंट कमिशन की मांग की जाने की चर्चा है, जिसकी जांच विकास हित में किया जाना चाहिए। संजय कुमार सिंह समय पर संवेदकों का बिल नहीं बनाते हैं, इसका कारण यह है कि अप्रत्यक्ष रूप से संवेदकों को प्रताड़ित कर कमिशन वसुली किया जाना। आज संवेदकों से गोपनीय पूछताछ होगी तो संजय कुमार सिंह का असली चेहरा सामने आ जाएगा। सूत्रों बताते हैं कि सिंहभूम में रह कर संजय कुमार सिंह अकूत संपत्ति अर्जित कर ली है, जिसकी जांच होने से बड़ा खुलासा हो सकता है।