रांची। जहां राजनितिक दल अपने प्रत्याशी की जीत का सर्वे और आकलन करने में व्यस्त हैं, वहीं ग्रामीण विकास विशेष के प्रभारी मुख्य अभियंता अवधेश कुमार के द्वारा महज तीन महीने में हजार करोड़ की पुल पुलिया का टेंडर डिसाइड किए जाने में कितना वसूली हुआ है, इसका आकलन भी किया जा रहा है?
हां मालूम हो कि ग्रामीण विकास विशेष के पूर्व मुख्य अभियंता बिरेंद्र राम रिहा हो गए हैं, बिरेंद्र राम टेंडर प्रक्रिया में अवैद्य वसूली की करोड़ो धन शोधन का मामला ईडी ने दर्ज किया है । इसी मामला में वे जेल में बंद थे। सुप्रीम कोर्ट ने उन्हें बेल पर रिहा करने का आदेश दिया है। राम ने अवैध धन शोधन से कई सम्पत्ति अर्जित की है, ईडी की जांच में शामिल है। यह भी मालूम हो कि राम का सबसे बड़ा भगत अवधेश कुमार ही थे, जिसे अपना उतराधिकारी बनाया था। राम जी के चलते ही जेल में बंद पूर्व मंत्री आलमगीर आलम और उनके खास आप्त सचिव सजीव कुमार लाल ने रांची अंचल में पदस्थापित SE अवधेश कुमार को ग्रामीण विकास विशेष का प्रभारी बनाया गया था।
यह भी मालूम हो कि श्री राम लगभग आठ साल में तीन सौ करोड़ का टेंडर डिसाइड किए हैं, और प्रभारी मुख्य अभियंता हो कर अवधेश कुमार एक हजार करोड़ का टेंडर डिसाइड किए हैं। अब यह आकलन करना स्वाभाविक है कि लम्बे समय में तीन सौ करोड़ का टेंडर डिसाइड कर के अरबों की सम्पत्ति अर्जित करने का मामला ईडी दर्ज कर सकती है तो तीन महीने में एक हजार करोड़ का टेंडर डिसाइड कर के अवधेश कुमार कितना धन शोधन किए होंगे? यह सबके लिए होश उड़ाने वाली बात है इससे इनकार नहीं किया जा सकता।
अवधेश कुमार के कंधे पर दो विभाग के उच्चाधिकारी अपना स्वार्थ सिद्ध कर रहे हैं, इसकी भी चर्चा जोरों पर है। बीते 8 अक्टूबर को अवधेश कुमार की सेवा वापस हुआ और उसी अधिसूचना में पुनः रेगूलर मुख्य अभियंता बना कर ग्रामीण कार्य विभाग में सेवा दे दिया गया, लेकिन इस सेवा वापस होने के बाद पूर्व की कोई भी अधिसूचना को विलोपित नही किया गया और न ही मुख्य अभियंता की हैसियत से टेंडर डिसाइड किए जाने से संबंधित कोई आदेश विभाग ने जारी किया? इस पर भी अलग अलग चर्चा हो रही है।
जहां 23 के मतगणना पर सबकी नजर है, वहीं 23 के बाद अवधेश कुमार पर बड़ी करवाई का भी अंदेशा जताया जा रहा है?
सूत्रों के अनुसार अवधेश कुमार आचार संहिता लागू होने के बाद भी बैक डेट से आनन फानन में सिक्सटी पर्सेंट टेंडर में बैंक सॉल्वेंसी और अनुभव प्रमाण पत्र की जांच नहीं करते हुए संवेदकों से भारी कमिशन वसुली करने की चर्चा जोरों पर है। इसी तरह से लोकसभा में भी साठ से भी अधिक टेंडर डिसाइड बैक डेट से किया गया है, फेल को पास करने का आरोप लगता रहा है, लेकिन जांच सवालों के घेरे में घूमता रहता है। ग्रामीण कार्य विभाग में लगभग दो दशक से होने को है, जल संसाधन विकास विभाग की मेहरबानी अवधेश कुमार पर बरसते रहती है। अवधेश कुमार के लिए जल संसाधन विभाग ने नावां पद सृजित किए जाने की भी चर्चा जोरों पर है। विभागीय सचिव प्रशांत कुमार के सबसे गुड बुक में अवधेश कुमार की गिनती होती है। चर्चा यह भी है कि बिरेंद्र राम का जेल से रिहा होने के बाद अवधेश कुमार सकते में हैं। विश्वस्त सूत्रों के अनुसार बिरेंद्र राम के जेल जाने से पहले कई मामला अवधेश के जिम्मे सौंपे थे, जिसका खुलासा होने का डर सता रहा है।
लोकसभा चुनाव और इस विधानसभा चुनाव में आचार संहिता लागू होने पर बैक डेट से सिक्सटी पर्सेंट टेंडर में बैंक सॉल्वेंसी और अनुभव प्रमाण की जांच नहीं कराई गई है, इस खेल में करोड़ो की वसूली किए जाने की चर्चा है?