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मंगल गिलूआ का बागी होकर चुनाव लड़ने कि घोषणा से भाजपा में खलबली


चाईबासा। भाजपा के बागी मंगल गिलूआ के द्वारा विधानसभा चुनाव लड़ने के लिए नामांकन पर्चा खरीदे जाने के बाद से भाजपा में हलचल बढ़ गई है। वहीँ कोड़ा खेमे में भारी बेचैनी देखी जा रही है। दो दिन पहले भाजपा के विधानसभा प्रभारी शैलेन्द्र सिंह और गीता कोड़ा ने गिलूआ को मनाने की खबर सामने आई थी, फिर अचानक से गिलूआ ने चुनाव मैदान में उतरने का मन बना लिया। यह सवाल कोड़ा दम्पत्ती को घेरे हुए है। गीता कोड़ा को भाजपा के बागी चुनाव हराने में मुख्य भूमिका निभा सकते हैं? यह बात मधु कोड़ा भली भांति समझते हैं। फिर मधु कोड़ा के घेरे में गिलूआ क्यूँ नहीं आ रहे हैं। कोड़ा का गढ़ माने जाने वाले गुवा, जामदा, किरीबुरू क्षेत्र में आज गिलूआ का पकड़ मजबूत माना जा रहा है? गिलूआ के चुनाव मैदान में डटे रहने से गीता कोड़ा का जीतना नामुमकिन बताया जा रहा है। सूत्रों के अनुसार भाजपा के दोहरे नीति और आश्वासन से गिलूआ पार्टी के प्रति काफी नाराज हैं। गीता कोड़ा के परचा दाखिल करने के एक दिन पहले गिलूआ का नामांकन परचा खरीदा जाना कोड़ा को चुनौती जैसा माना जा रहा है। अब देखना है कि कीड़ा किस रणनीति के अनुसार गिलूआ को मना पाते हैं, या गिलूआ निर्दलीय प्रत्याशी के रूप में चुनाव लड़ने की तैयारी कर रहे हैं। यह सब नामांकन के अन्तिम तिथि तक सारे घटनाओं पर नजर रखने की जरूरत है। एक बात तो तय है कि कोड़ा का संकट बढ़ता ही जा रहा है। भाजपा का परम्परागत वोट पर गिलूआ का कब्जा बताया जा रहा है। ओड़िशा सीमा से सटा छेत्र जिसे ओडिया बेल्ट कहते हैं। प्रधान, गौड़, महतो और गोप जाती पर मंगल गिलूआ का पकड़ कोड़ा दमम्पत्ती से अधिक होने की बात कही जा रही है, दूसरी ओर खदान क्षेत्र में शहरी इलाका गिलूआ का गढ़ माना जाता है। ऐसे में गीता कोड़ा का चुनावी नैया का पार कराना मधु कोड़ा के लिए एक बड़ा चुनौती का सामना करने जैसा होगा।

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