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अवधेश कुमार को जल संसाधन विभाग ने इंडिपेंडेंट मुख्य अभियंता बनाने की तैयारी में, फिर से ग्रामीण विकास विशेष के मुख्य अभियंता बनाए जाने की चर्चा!


रांची। झारखंड में जल संसाधन विभाग के अधीक्षण अभियंता अवधेश कुमार की तूती बोलती है। झारखंड में सरकार चाहे जिसकी भी हो अवधेश कुमार की गोटी हर जगह फिट हो जाती है?
विश्वस्त सूत्रों के अनुसार जल संसाधन विभाग के अधीक्षण अभियंता अवधेश कुमार को विशेष परिस्थिति में जल संसाधन विभाग प्रमोशन के प्रत्याशा में इंडिपेंडेंट मुख्य अभियंता बनाने की तैयारी पुरी कर लिए जाने की चर्चा जोरों पर है। जल संसाधन विभाग के इस तैयारी में किसी आदिवासी कोटा के अभियंताओं की इंडिपेंडेंट मुख्य अभियंता को नहीं बनाए जाने की भी चर्चा है, और न ही ग्रामीण कार्य विभाग में आदिवासी कोटा से सेवा नहीं देने की कोशिश जा रही है, जबकि झारखंड में मुख्यमंत्री आदिवासी ही हैं।

अवधेश के लिए दो विभाग के अधिकारी और मंत्री ग्रामीण विकास विशेष के मुख्य अभियंता बनाने की कोशिश में दिन रात एक कर रहे हैं? विशेष तौर पर मुख्य अभियंता का नौवां पद का फाइल खोलना अवधेश कुमार की हैसियत का एहसास दिलाता है?ग्रामीण विभाग में सरकार कहे जाने वाले माफिया अभियंता पारस कुमार की चलती को याद करते हुए यह कहने पर मज़बूर है कि पारस कुमार कुछ भी नहीं है आज के अवधेश कुमार के आगे। अभियंता सूत्र बताते हैं कि बीरेन्द्र राम का चेला रहे आज गुड़ हो गया है! अवधेश कुमार का कार्यकाल स्वर्णिम कार्यकाल माना जा रहा है। ग्रामीण विकास विशेष में कभी भी ऐसे योजना का बहार और इतना बड़ा फंड कभी नहीं आया है।.अवधेश कुमार अपने प्रभारी मुख्य अभियंता के रहते दो हजार करोड़ से भी अधिक राशि का टेन्डर निकाल दिया है? सूत्रों के अनुसार बारह सौ करोड़ के लगभग का टेन्डर का संवेदक को कार्य आवंटन का आदेश जारी कर दिया गया है! सूत्र यह भी आश्चर्य करने वाली बात कह रहे हैं कि अब अवधेश टेन्डर प्रक्रिया को स्लो करने की हिदायत नीचे के सीएस बना रहे लोग को दिए हैं, इसके पीछे का मामला यह है कि आचार संहिता लागू होने से मंत्री का डर और पावर खत्म हो जाएगा, जिससे मंत्री का हिस्सा को अवधेश पास रह जाएगा? इस तरह की घटना को अवधेश कुमार लोकसभा के समय आचार संहिता के समय में अंजाम दे चूके है! पूर्व मुख्यमंत्री चम्पई सोरेन के कार्यकाल में सत्तर योजना का टेन्डर निकाल कर मंत्री और मुख्यमंत्री को नजर अंदाज कर सीएस फाइनल किए हैं, इससे इनकार नहीं किया जा सकता ! अवधेश कुमार अधीक्षण अभियंता की हैसियत से लगभग आठ साल में जिला की योजना विशेष तौर पर dmft फंड की योजना की एक हजार करोड़ राशि में भी अधिक की निविदा निष्पादन किया है! इसलिए आज राजनीतिक दलों और अवधेश के साथ काम करने वाले अभियंता कह रहे हैं कि अवधेश का समय ग्रामीण विभाग का सबसे स्वर्णिम युग माना जाएगा! लेकिन इस युग में कौन कितना लाभान्वित हो रहा है, इसे दिल्ली से झारखंड की राजधानी रांची में बैठे जांच एजेंसियाँ अवधेश की हर एक गतिविधि को बारीकी से देख रही है! अवधेश कुमार का कार्यकाल को ग्रामीण कार्य विभाग का सबसे स्वर्णिम युग माना जा रहा है। वर्तमान में अवधेश कुमार ग्रामीण कार्य विभाग के ग्रामीण विकास विशेष अंचल रांची में पदस्थापित हैं, अपनी पहुंच और पैरवी के बल पर पलामू अंचल के भी प्रभारी अधीक्षण अभियंता के साथ साथ रांची के प्रभारी मुख्य अभियंता के पद पर कार्यरत हैं।

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