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मृदा संरक्षण विषय पर हुई ऑनलाइन काव्य गोष्ठी


प्रेरणा बुड़ाकोटी
दिल्ली। पर्यावरण संरक्षण मानव माला मंच भारत विषय “मृदा संरक्षण” पर काव्यगोष्ठी का आनलाइन आयोजन किया गया।इस काव्यगोष्ठी में विभिन्न जिलों ,प्रांतों से साहित्यकारों ने अपनी उपस्थिति देकर मंच पर अपने विचारों को आदान-प्रदान किया। इस कार्यक्रम के मुख्य अतिथि डा.पंकज कुमार बर्मन कटनी द्वारा मृदा संरक्षण पर अपनी सार्थक ,शानदार प्रस्तुतीकरण से सबका ध्यान अपनी और आकर्षित करते हुए मृदा संरक्षण क्यों जरूरी है,किसान वर्ग को इसका क्या लाभ होगा पर विचारों को व्यक्त किया गया। कार्यक्रम के अध्यक्ष डा.देवीदीन अविनाशी द्वारा वृक्षारोपण, क्यों जरूरी है,इसके लाभ को विस्तृत रूप से जानकारी प्रदान कि गई। कार्यक्रम संरक्षिका श्रीमती माला सिंह दवारा पूरे कार्यक्रम में सक्रिय सहभागिता करते हुए सभी साहित्य कारों का मनोबल बढ़ाते हुए मृदा संरक्षण पर अपने विचार व्यक्त किया गया। मृदा संरक्षण कार्यक्रम का संचालन उर्मिला कुमारी कटनी दवारा किया गया।जो सराहनीय प्रयास रहा। इस महत्वपूर्ण कार्यक्रम का सार यह निकल कर सामने आया कि मृदा संरक्षण बदलते परिवेश और बदलते वातावरण के लिए कितना आवश्यक है।पेड़ो कि अंधाधुंध कटाई के कारण मृदा का हाश होता चला आ रहा है।बढ़ती जनसंख्या ने वनों को नुकसान पहुंचाने में अपनी अहम् भूमिका निभाते हुए वृक्षों को अपने मतलबों के कारण क्षति पहुंचाई है।खेती में अधिक उपज क्षमता हेतु रासायनिक उर्वरक का क्षिणकाव से हमारी धरती माता की धरा को भी क्षति पहुंची है जिससे मृदा कि उर्वरक क्षमता कम हुई।मृदा संरक्षण हेतु इस मंच से समस्त साहित्यकारों ने बहुत ही अच्छी अपनी प्रस्तुतीकरण से एक दूसरे के मनोभावों को सुना,विचार विमर्श से बहुत ही उचित कदम उठाने और सही ज्ञान को ,पूरानी पद्धति से कृषि कार्य करवाने का प्रचार प्रसार करने हेतु एक मुहिम चलाने कि बात कही। डॉ.शशि अबस्थी द्वारा कचरे के निपटान करने प्लास्टिक रहित वातावरण फर विचारों का आदान प्रदान करते हुए बहुत अच्छा संदेश दिया गया। डॉ चंदादेवी स्वर्णकार के द्वारा किचिन गार्डन व किचिन में उपयोग के बाद जो बेस्ट सामग्री निकलती है।उसपर मिट्टी डालने पर बहुत अच्छी खाद का निर्माण हम कर सकते है पर बहुत अच्छा संदेश से हमें सारगर्भित बातों से अनुभव प्रदान किये। यदुपराम भाटापारा छत्तीसगढ़ से जुड़े साहित्य प्रेमी जी ने ,अर्चना पाण्डेय जी के दवारा कृषि से संबंधित प्राचीन और आधुनिक कृषि पर फसल चक्रण पर सारगर्भित विचारों को व्यक्त किया गया।आज के कार्यक्रम में दस प्रतिभागियों ने अपनी उपस्थिति देकर अपने-अपने विचारों को मंच पर अभिव्यक्त करते हुए मृदा संरक्षण पर बहुत ही अच्छा कार्यक्रम को बनाने में सहयोग प्रदान किया।

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