दुनियां की आधी आबादी दुष्कर्म और प्रताड़ना की शिकार
दिल्ली। स्त्री शक्ति संगठन द्वारा दिल्ली में एक कार्यक्रम करवाया गया, जिसमें महिलाओं की सुरक्षा और बढ़ते हुए दुष्कर्म जैसे अपराधों की रोकथाम के लिए किन-किन बातों का ध्यान देना चाहिए इस विषय पर विचार विमर्श किए गए। इस कार्यक्रम का आयोजन स्त्री शक्ति संगठन की अध्यक्षा ममता शर्मा के मार्गदर्शन में नई दिल्ली प्रभारी प्रेरणा बुड़ाकोटी द्वारा किया गया। इस कार्यक्रम में महिलाओं ने बढ़ चढ़कर भाग लिया जिनके नाम इस प्रकार है; श्रीमती अनीता देवी, गुड़िया कुमारी, सलोनी, नीरूजोशी, पूनम, तान्या, रेनू, रीना, पूजा, वंदना, गुरप्रीत कौर आदि ने अपने विचारों की प्रस्तुति दी। दिन प्रतिदिन बढ़ते महिलाओं के दुष्कर्म की घटनाएं शिखर पर है। इसके निवारण के लिए बहुत से कानून और नियम बनाए जा रहे हैं, परंतु लोगों की नकारात्मक सोच और नजरिया से आज भी महिलाएं असुरक्षित महसूस करती हैं। दुनिया की आधी आबादी महिलाओं कि ही है। किसी भी समाज में महिलाओं की भागीदारी और उसके हितों की रक्षा के बिना कोई भी राष्ट्र, समाज सुव्यवस्थित ढंग से नहीं चल सकता। महिला एक माँ, एक बहन, एक पत्नी, एक गृहिणी आदि के कर्तव्य निभाती हैं। आज भी, कुछ महिलाओं के साथ गलत व्यवहार किया जाता है और उन्हें पुरुषों के समान अवसर नहीं दिए जाते हैं। महिलाएं चाहे कितना भी आज पढ़ लिखकर ऊंचाइयों को छू रही हो परंतु कुछ दरिंदों के गलत नजरिया और सोच की वजह से महिलाओं को दुष्कर्म का शिकार बनना पड़ता है। ऐसी स्थिति में देश की सरकार के कानून और उनका अनुपालन ऐसे होना चाहिए, जिन्हें पढ़ कर और सुनकर महिलाओं के साथ गलत कार्य करने वाले को सोचने से पहले परिणाम का अंदाजा लग जाए। ज्यादा देर तक कोर्ट कचहरी पर लटकते केस की वजह से दुष्कर्म करने वालों को मौका मिल जाता है, इसलिए कुछ ऐसे कड़े कानून बना दिए जाएं, जो महिलाओं के लिए सुरक्षा कवच बने।
समाज में महिलाओं को भी अपनी पहचान बनाने के लिए सर्वप्रथम सकारात्मक सोच रखने की आवश्यकता है और सोच को अमल करने की भी आवश्यकता है। अन्यथा केवल सकारात्मक सोच दिमाग में पालने से समाज का विकास नहीं हो सकता अपनी सोच पर निर्णय लेने और उसपर कार्य करके दिखाना भी जरूरी है।
आजकल महिलाओं में बढ़ते फैशन का जोश देखते हुए कहीं ना कहीं उनके द्वारा पहने गए अंग नुमाइश कपड़े, नशीले पदार्थों का सेवन, सोशल मीडिया पर अत्यंत भरोसा, अनजान लोगों के संपर्क में रहना आदि भी महिलाओं पर बढ़ते दुष्कर्म का कारण है। महिलाएं ही महिलाओं की दुश्मन बनती जा रही है। इसीलिए नारी शक्ति पर हो रहे अत्याचारों को रोकथाम के लिए सभी को एक दूसरे के प्रति सही सोच, सहानुभूति, प्रेम, आदर- सम्मान की जरूरत है। क्योंकि जब एक महिला ही दूसरी महिला के विपरीत आवाज उठाएगी तो इसमें बाकि जनता और सरकार कुछ नहीं कर सकती।
देश की सरकार को कड़े कानून बनाने के साथ साथ उनके अनुपालन पर भी विशेष ध्यान देना चाहिए। साथ ही सरकार को व्यवस्था में भी कुछ परिवर्तन करने की आवश्यकता है, जैसे विद्यालयों में सेक्स एजुकेशन को अनिवार्य बनाया जाए तथा उसके लिए उचित पाठ्यक्रम निर्धारित करे और बेहतर शिक्षकों व मनोचिकित्सकों का चयन करें। लड़का लड़की में भेदभाव ना करते हुए दोनों को एक सम्मान शिक्षा और संस्कार प्रदान करने चाहिए।
उच्च स्तर पर भी सभी विभागों में मनोचिकित्सकों की भूमिका निर्धारित हो, क्योंकि सुरक्षा से भी अधिक आवश्यकता है आपराधिक प्रवृति का कारण खोजना और उसका निराकरण करना।
महिलाओं को पूरा हक है कि वह अच्छी शिक्षा ग्रहण करें, आजादी से अपनी विचारों को रखें। आगे चलकर अच्छे कार्य से देश का नाम रोशन करें। महिलाओं द्वारा ऐसी कोई भी कार्य न किया जाए जिसे करने से किसी एक एक के कर्मों की सजा सभी महिलाओं को मिल रही हो।
लेखिका प्रेरणा बुड़ाकोटी
नई दिल्ली