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पक्षियों से है कुदरत का विवरण, सदैव करो पक्षियों का संरक्षण

धरती पर पक्षी है वरदान, रहो ना इनसे अनजान पक्षी देते हैं सहारा, इनके बिना मानव जीवन है बेसहारा

दिल्ली। पर्यावरण संरक्षण मानव माला मंच पर दिनांक 11/08/2024 रविवार को “ पक्षियों का संरक्षण विषय पर आधारित काव्य गोष्ठी का आयोजन किया गया। इस कार्यक्रम में पर्यावरण से लुप्त होते जा रहे पक्षियों के बारे में चर्चा, विचार-विमर्श और सुझाव पेश किए गए। कार्यक्रम में उपस्थित सभी साहित्यकारों ने अपनी रचनाओं द्वारा यह संदेश दिया कि मानव समाज में पक्षियों का सदैव ही महत्वपूर्ण स्थान रहा है। वे हमारे लिए भोजन, दवा, खाद और सुंदर गीत तैयार करते हैं। वे परागण का भी एक महत्वपूर्ण स्रोत हैं। इस मंच की संस्थापिका आदरणीय माला सिंह जी ने पक्षियों में से गौरैया चिड़िया की महत्वता बताते हुए कहा की गोरैया रानी जो हमारे घरों में पहले घौंसला बनाकर के रहती थी। वह पेड़ पौधों के कट जाने से कहीं लुप्त होती जा रही है इसे अब केवल पर्वतीय इलाकों में ही देखने और सुनने को मिलता है। पक्षियों को अपना परिवार का सदस्य समझते हुए उनके लिए अधिक से अधिक पेड़ पौधे लगाए ताकि उन्हें आवास मिल सके। कार्यक्रम में साहित्यकारों के सर्वश्रेष्ठ विचार बहुत ही ज्ञानवर्धक और प्रेरणास्रोत रहे। इस मंच के संचालन अध्यक्ष आदरणीय श्री महेश प्रसाद शर्मा जी ने अपने विचारों को प्रस्तुत करते हुए पर्यावरण संरक्षण का अर्थ समझाया। पर्यावरण का अर्थ है हमारे आसपास का आवरण ,परि+ आवरण= पर्यावरण| सामान्य तौर पर जल,थल और नभ ( वायु) पर्यावरण संरक्षण पर बात होती है कि यहां पर जो प्रदूषण फैल गया है उसको हम समाप्त करें, कुछ उपाय करें, लेकिन पर्यावरण प्रदूषण और क्षेत्रों में भी आ जाता है जैसे विचार, आदतें, व्यवहार| पर्यावरण संरक्षण के अंतर्गत पशु-पक्षियों,जल स्रोतों,थल पर होने वाली गतिविधियों, वायु में होने वाली गतिविधियों में भी पर्यावरण संरक्षण की नितांत आवश्यकता है| कहने को तो हम आधुनिक वैज्ञानिक युग में आ चुके हैं, लेकिन विचारों से आदमखोर ही सिद्ध होते दिखाई देते हैं| शिकारी व्यक्ति अपनी शौक के लिए पक्षियों का शिकार करते हैं। | वास्तव में मानव बड़ा स्वार्थी जीव है। पर्यावरण संरक्षण के लिए हमें अपने विचारों में परिवर्तन लाने की आवश्यकता है, यदि विचार शुद्ध हो गये तो फिर पर्यावरण भी शुद्ध हो जाएगा|

इस मंच के अलंकरण सृजक आदरणीय श्री रतिराम गदेवाल जी ने अपना एक सुंदर विचार प्रस्तुत करते हुए कहा की पक्षी फसल के कीटों के प्राकृतिक उपभोक्ता होते हैं, इसलिए वे खेतों में कीटों को कम करने की निःशुल्क सेवाएँ प्रदान करते हैं। भारत में, फसल की पैदावार में सुधार और कीटनाशकों पर खर्च कम करके किसानों के आमदनी में वृद्धि होती है। पक्षियों से इन फसल-भक्षी कीटों से बचाया जा सकता है। पक्षी खाद्य उत्पादक पौधों के परागण में सहायता करते हैं। इस तरह किसानों को पक्षियों से लाभ मिलता हैं। इस काव्य विचार गोष्ठी में साहित्यकारों ने अपने विचारों से मंत्र मुग्ध कर हमें पक्षी के संरक्षण हेतु बहुत सुंदर संदेश दिया। अंत में सभी ने एक दूसरे को शुभकामनाएं देते हुए उज्जवल भविष्य की कामना की।
प्रेरणा बुड़ाकोटी
नई दिल्ली

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