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अजन्मी बेटी की पुकार


मुझे जीने दो! मैं भी चाहती जीना।
सुंदर दुनिया पलकों में चाहती कैद करना ॥

क्या आपके दिल में
कोई जगह नहीं है मेरे लिए
कोई एहसास नही है मेरे लिए
माँ! मैं भी चाहती
आपकी गोद में खेलना ।
मैं भी चाहती आपकी
थपकियों का आनंद लेना।
क्या आप नहीं चाहतीं
मुझे प्यार से छूना
क्या आप नहीं चाहतीं
मेरे मासूम चेहरे को देखना
देखिए, अपनी तस्वीर को
मुझे जीने दो, मुझे जीने दो।

क्या आपके हृदय में
कोई स्थान नहीं मेरे लिए
कोई प्यार नहीं मेरे लिए
पिता कह, आपसे चाहती
प्यार से लिपटना।
मैं भी चाहती आपके
सपनो को साकार करना।
क्या आप नहीं चाहते
मेरी तुतलाती हुई बातों को सुनना?
क्या आप नहीं चाहते
मेरे कोमल केशों को छूना?
सम्मान दीजिए सुता को
मुझे जीने दो, मुझे जीने दो।

आना चाहती, आपके संसार
आपके स्वप्न, करूँगी साकार
आप देना, मुझे भी वो संस्कार
जिसका, मुझे भी है अधिकार
मैं भी आकर, दुनिया को उपहार दूँ
अपना अंश, संसार में उभार दूँ।
बन जाऊँगी मैं आपके बुढ़ापे का सहारा
हर कार्य कर सकती मैं
जो आपने विचारा
जो कर सकता है वो
मुझे स्वीकार कर लो
मुझे जीने दो, मुझे जीने दो।

स्वरचित ©️®️
खुशबू बरनवाल ‘सीपी’

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