राहुल देखें, कांग्रेस के हिंदुओं ने सिखों के साथ क्या किया था
कांग्रेस की 1937 की गलती देश को झेलना पड़ा
जमशेदपुर। बारीडीह गुरुद्वारा प्रबंधक कमेटी के प्रधान एवम अधिवक्ता सरदार कुलविंदर सिंह ने कांग्रेस पार्टी के पूर्व राष्ट्रीय अध्यक्ष एवं लोकसभा में नेता विपक्ष राहुल गांधी के हिंसक हिंदू पर दिए गए बयान की आलोचना की है।
कुलविंदर सिंह के अनुसार भारतीय जनता पार्टी के समर्थक हिंदुओं पर उनका दिया गया बयान वास्तव में उन्हें आईना दिखा रहा है।
अतीत में कांग्रेस पार्टी ने जो कुछ किया है उसका अध्ययन कर लें और अपनी पुरानी पीढ़ी के नेताओं के साथ बैठकर इतिहास का मूल्यांकन करें।
यह कांग्रेस की हिंसक हिंदूवादी नीति थी। जिसके कारण 1937 में इस देश में फिरकापरस्त सांप्रदायिकता का जन्म हुआ।
उत्तर प्रदेश में कांग्रेस नेताओं ने वायदे के मुताबिक मुस्लिम लीग के साथ सत्ता की साझेदारी नहीं की और मोहम्मद अली जिन्ना के इस आरोप को बल मिल गया कि यह अर्थात कांग्रेस केंद्र एवं प्रांतीय विधाई मंडल में बहुमत में आए तो मुसलमान को दोयम दर्जे का नागरिक बना देंगे।
फिर यह देखें कि अपनी नेतागिरी चमकाने के लिए सरकार बनाने के लिए 1947 के विभाजन में कांग्रेस के हिंदुओं ने क्या किया था।
विभाजन का दंश इस देश में पंजाब के हिंदू सिख एवं बंगाल के हिंदू भाइयों को झेलना पड़ा। लाखों मुस्लिम हिंदू सिखों की हत्या हुई इसका जिम्मेदार कौन ?
सिखों के साथ कांग्रेस ने 1947 में किए गए वायदे को पूरा नहीं किया बल्कि देश में सिखों के खिलाफ नफरत का माहौल बनाती रही। यह कांग्रेस के नफरत की हिंदू नेताओं की देन है कि पूर्वी पंजाब का बटवारा हमें हिमाचल प्रदेश, हरियाणा और पंजाब के रूप में देखना पड़ रहा है। चंडीगढ़ अबोहर फाजिल्का को लेकर क्या स्थिति है किसी भारतीय नागरिक से छिपी नहीं है।
आनंदपुर प्रस्ताव कहीं से भी देश विरोधी नहीं था बल्कि संघीय भावना और संविधान के दायरे के अनुरूप था।
यह कांग्रेस के हिंदू नफरत की सोच का नतीजा है कि ऑपरेशन ब्लू स्टार हुआ। श्रीमती इंदिरा गांधी की शहादत हुई और हजारों सिखों का पूरे देश में कत्लेआम किया गया।
अधिवक्ता कुलविंदर सिंह ने कांग्रेस पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खड़गे एवं उनके थिंक टैंक को सलाह दी है कि वह नेता विपक्ष एवं सांसद राहुल गांधी के लिए विशेष कक्षा का संचालित करें। जहां वे भारत की विविधता परंपरा संस्कृति को अच्छी तरह से समझ सकें। कम से कम राहुल गांधी अपने परनाना और देश के पहले प्रधानमंत्री जवाहरलाल नेहरू द्वारा लिखी पुस्तक “भारत की एक खोज” के साथ इस देश के उपनिषद, वेदों और भक्ति आंदोलन के संतों की जीवनी का अच्छी तरह से अध्ययन कर लें। ऐसा करने पर नफरत का सामान उनकी प्रेम की दुकान में नहीं रहेगा।