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अखिल भारतीय भोजपुरी साहित्य सम्मेलन की और से भोजपुरी दिवस एवं कबीरदास जयंती आयोजित’

जमशेदपुर। अखिल भारतीय भोजपुरी साहित्य सम्मेलन के झारखण्ड-प्रांतीय इकाई ने कबीरदास जयंती सह भोजपुरी दिवस का आयोजन तुलसी भवन के प्रयाग कक्ष में किया गया। इस अवसर पर बैठक सह काव्य गोष्ठी आयोजित हुई। सर्वप्रथम दीप प्रज्वलन के बाद कबीरदास को पुष्प अर्पित कर उनको श्रद्धांजलि दी गयी। माधवी उपाध्याय ने मंगल गीत के साथ कार्यक्रम का प्रारंभ किया। इसके उपरांत प्रांतीय अध्यक्ष डॉ. प्रसेनजित तिवारी ने स्वागत सम्बोधन किया। इसके बाद बैठक आहूत की गई जिसमें डॉ. संध्या ने बैठक के मुद्दों को प्रस्तावित किया।

बैठक के मुद्दे
1 प्रान्त में कुछ रचनात्मक कार्य हो।
2 भोजपुरी अकादमी बनाने के लिये सरकार को आवेदन।
3 मासिक/ द्विमासिक या त्रिमासिक बैठक हो।
4 हर माह किसी न किसी विधा पर आधारित कार्यक्रम हो।
5 नया सदस्य बनाये जाएं।
6 बैठक/कार्यक्रम झारखण्ड के विभिन्न नगरों में हो।
7 समाचार पत्र में भोजपुरी हेतु प्रतिदिन या साप्ताहिक रूप से स्थान मिले।
बैठक के प्रत्येक मुद्दों पर गम्भीर चर्चा हुई। बैठक में प्रांतीय इकाई की महामंत्री डॉ संध्या सिन्हा ने ‘कबीरदास: भोजपुरी के आदिकवि’ विषय पर अपना सारगर्भित वक्तव्य दिया।

इसके उपरांत काव्य गोष्ठी का संचालन किया गया जिसमें लगभग बीस कवियों ने भोजपुरी कविता, गीत ग़ज़ल इत्यादि प्रस्तुत किया गया। अंत मे अखिल भारतीय भोजपुरी साहित्य सम्मेलन के उपाध्यक्ष डॉ. अजय कुमार ओझा ने भोजपुरी के विकास के लिए अपने विचार दिए। अध्यक्षीय संबोधन में श्री अरूण कुमार तिवारी ने झारखंड में भोजपुरी को सुदृढ़ बनाने के लिए रचनात्मक कार्य करने का सुझाव दिया ।

मौके पर डॉ. संध्या सिन्हा द्वारा संपादित पत्रिका ‘अँगना’ के लोकगीत विशेषांक का लोकार्पण किया गया। कार्यक्रम की अध्यक्षता अखिल भारतीय भोजपुरी साहित्य सम्मेलन के प्रवर समिति के सदस्य श्री अरुण कुमार तिवारी ने किया जबकि संचालन श्री दिवेन्दु त्रिपाठी ने किया। धन्यवाद ज्ञापन श्रीमती आरती श्रीवास्तव ने किया। कवि गोष्ठी में आरती श्रीवास्तव, शकुंतला शर्मा, शैलेन्द्र पाण्डे शैल, उदय प्रताप हयात, रीना सिन्हा, माधवी उपाध्याय, बलविंदर सिंह, ब्रजेन्द्र मिश्र, हरिहर राय चौहान, जितेश तिवारी, लक्ष्मी सिंह, राजेन्द्र साह राज, राजेंद्र सिंह, यमुना तिवारी व्यथित, शकुंतला शर्मा, दिव्येन्दु त्रिपाठी, डॉ संध्या आदि कवियों ने अपनी कविता को प्रस्तुत किया।

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