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टाइम पास


सलोनी एक रिपोर्टर थी। डे नाइट कभी भी उसे ऑफिस किसी काम से रुक जाना पड़ता था।
एक दिन रात के 9:00 बज गए थे,उसे लौटने में लेट हो गया। उसने कैब बुक कर लिया और बैठ गई।
वो फोन में अपनी सहेली से चैटिंग करती हुई जा रही थी। बाद में उसने ध्यान दिया कैब वाला अलग रास्ते से उसे ले जा रहा है।
वो अंदर से घबरा गई और उसने चैट में अपनी सहेली से कहा कि, कैब वाला लगता है किसी दूसरे रास्ते से उसे ले जा रहा है।”
उसकी सहेली ने रिप्लाई किया,”दूसरे रास्ते से कैसे ले जा रहा है,तू पूछ उसे और फिर रास्ता देखती जा और मुझे लोकेशन बताती जा।”
उसने रिप्लाई किया, “मुझे उससे कुछ भी पूछने में डर लग रहा है क्योंकि बहुत ही अजीबोगरीब व्यक्ति दिख रहा है, फिर भी तू रुक जा मैं कोशिश करती हूं,उसने कहा मैं तुझे कॉल लगाती हूं तो रिसीव कर और सारी बातें ध्यान से सुनना।”
सलोनी ने कैब वाले से पूछा, “भैया ये कौन से रास्ते से ले जा रहे हो,यह तो वो रास्ता नहीं है,जहां से मैं रोज़ जाती हूं।”
ड्राइवर बोलता है, “आपको घर पहुंचने से मतलब है मुझ पर भरोसा नहीं है क्या।”
उसने बात करते वक्त अगल-बगल झांककर देखा रास्ते में एक महिला पड़ाव बार रेस्टोरेंट लिखा हुआ था, उसने अपनी सहेली से कहा कि महिला पड़ाव बार रेस्टोरेंट क्रॉस करते हुएआगे बढ़ रहे हैं।
वो रेस्टोरेंट क्रॉस करते ही थोड़ी दूर आगे जाकर सुनसान जगह पर रुक जाता है और दरवाजा खोल कर सलोनी से कहता है, “चलो बाहर निकलो” और हाथ पकड़ने की कोशिश करता है।
सलोनी बाहर निकल कर हाथ किसी तरह से छुड़ाकर चिल्लाती है ,और भागने की कोशिश करती है।
वो बहुत ही तेजी से भागती है उसके पीछे-पीछे वो ड्राइवर भी भागता है।
भागते-भागते सलोनी हांफते हुए महिला पड़ाव बार रेस्टोरेंट के बाहर रुक कर चिल्लाने लगती है।
रेस्टोरेंट से दो-चार महिलाएं बाहर निकलती है तो वह ड्राइवर– जाओ तुम लोगों का तो काम ही यही है,मैं इसके साथ टाइम पास करने आया हूं,अगर कोई रूम हो तो बताओ वहीं पर ले जाऊंगा इसे।”
तभी एक महिला उसके पास आती है और दोनों हाथ भींच कर कहती है “इधर का लेडिज लोगों का फेवरेट टाइम पास है, दूसरों का हेल्प करना,दूसरों का लाइफ कंट्रोल करना… पर ये नहीं करेगा,तो फिर वो लोग क्या करेगा?” यही हमारा टाइम पास है और ये जो नाम देख रहा है ना तू ये धोखा है तुम जैसे शैतानों के लिए!”
तब तक सलोनी की सहेली पुलिस लेकर पहुंचती है और कैब के ड्राइवर को धर दबोचती है….वहां वो सभी महिलाएं कहतीं हैं कि, “सलोनी ने थोड़ी हिम्मत दिखाई,हालांकि वो डरी हुई थी,फिर भी उसने उस समय दिमाग और हिम्मत से काम लिया और खुद की रक्षा करने में कामयाब रही। ऐसा ही होना चाहिए ऐसी स्थिति में हम महिलाओं को विवेक से डर पर काबू करते हुए काम लेना चाहिए।
तब सलोनी ने कहा, ऐसा मैं मेरे साथ कई बार हुआ है कि घर पहुंचने में देर रात होती है,तो मैं जब भी किसी कैब या ऑटो में बैठतीं हूं, तो मोबाइल से अपने किसी भी मित्र से चैटिंग करती हुई जाती हूं, और उससे बात बात में सारी बातें भी बता देतीं हूं कभी-कभी अपने घर में अपने पिता या भाई को भी बताती जाती हूं हालांकि वो यहां पर नहीं है। वो अपनी सहेली से गले लगकर धन्यवाद देती है
कि उसने भी उसे वक्त उस हौसला दिया और तूरंत उसकी मदद की।

अनामिका मिश्रा
सरायकेला झारखंड

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