FeaturedJamshedpurJharkhandNational

देवत्व पर विजय


एक समय की बात है, एक बहुत भला आदमी था। उसकी भलमनसाहत से देवता प्रसन्न हो गए और उन्होंने उसे वरदान देने का फैसला किया। उन्होंने उससे कहा कि वह कोई भी एक सिद्धि या वरदान मांग सकता है।

उस भले आदमी ने कहा, “अगर आप सच में मुझ पर कृपा करना चाहते हैं तो ऐसा वरदान दीजिए कि मुझसे हमेशा किसी न किसी की भलाई होती रहे, लेकिन मुझे इसका कभी पता न चले।”

देवता उसकी इस अनोखी इच्छा से हैरान थे, लेकिन उन्होंने एक उपाय सोचा और उसे ‘तथास्तु’ कहकर वरदान दे दिया। उन्होंने ऐसा वरदान दिया कि जहां भी वह व्यक्ति जाएगा, उसकी छाया के पीछे-पीछे दूसरों की भलाई करने वाली अद्भुत शक्ति रहेगी।

अब वह व्यक्ति जिधर भी जाता, उसकी छाया सूखी घास पर पड़ती तो वह हरी हो जाती; किसी रोगी पर पड़ती तो वह रोग मुक्त हो जाता; किसी मंदबुद्धि पर पड़ती तो वह बुद्धिमान हो जाता; और किसी दरिद्र पर पड़ती तो वह संपन्न हो जाता। लेकिन उस व्यक्ति को कभी इसका पता नहीं चला। देवता खुश थे और वह आदमी भी प्रसन्न।

अगर उस व्यक्ति को इसकी जानकारी हो जाती, तो उसमें अहंकार का अंकुर फूटकर उसकी भलमनसाहत को नष्ट कर देता। अगर दूसरों को भी इसकी जानकारी हो जाती, तो उसकी ख्याति फैल जाती और उसके चारों ओर ईर्ष्यालु लोग इकट्ठे होकर उसे परेशान करने लगते।

उस व्यक्ति के मानवत्व ने देवत्व पर विजय प्राप्त कर ली थी। उसकी निःस्वार्थ भलाई करने की इच्छा ने उसे सच में अद्वितीय बना दिया था।

धर्मबीर सिंह मुंबई

Related Articles

Back to top button