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झारखंड के सिख नोटा का प्रयोग करें: कुलविंदर समस्याओं के समाधान के प्रति उदासीन राजनीतिक दल

जमशेदपुर। राष्ट्रीय सनातन सिख सभा के संयोजक अधिवक्ता कुलविंदर सिंह ने झारखंड के सिखों से वोट बहिष्कार करने, नहीं तो कम से कम मतदान के दौरान नोटा का प्रयोग करने का आग्रह किया है।
कुलविंदर सिंह के अनुसार झारखंड राज्य के सिखों से संबंधित कई धार्मिक सामाजिक समस्याएं पिछले कई सालों से लंबित है, उसके समाधान के प्रति राजनीतिक दल के नेता उदासीन रवैया अपनाए हुए हैं। संयुक्त बिहार में 1978 के बाद से अनुसूचित जाति और अन्य पिछड़ा जाति के सिखों को जातिगत प्रमाण पत्र नहीं मिल रहा है और वे शिक्षा और रोजगार में मिलने वाले संविधानिक अधिकार के अवसर से वंचित हो रहे हैं। अमरावती की पूर्व सांसद और प्रत्याशी नवनीत कौर राणा अनुसूचित जाति से है और हाल ही में सुप्रीम कोर्ट ने उनकी जाति को राज्य में मान्यता देते हुए अनुसूचित जाति निर्वाचन क्षेत्र से चुनाव लड़ने की इजाजत दी है। जब महाराष्ट्र में पंजाब पृष्ठभूमि की नवनीत कौर राणा को जातिगत प्रमाण पत्र मिल सकता है तो बिहार और झारखंड में ऐसा क्यों नहीं हो रहा है।
वही आजादी के बाद पाकिस्तान से आए और स्थाई रूप से झारखंड में बसे सिखों को भी डोमिसाइल प्रमाण पत्र नहीं दिए जा रहे हैं। नेहरू सरकार द्वारा दी गई जमीन की मालगुजारी भी अभी तक नहीं ली जा रही है और उनके साथ दोयम दर्जे का व्यवहार हो रहा है।
पटना गुरु गोविंद सिंह की जन्मस्थली तख्त श्री हरमंदिर साहिब प्रबंधन कमेटी से दक्षिण बिहार निर्वाचन क्षेत्र से झारखंड के सिखों को उनके संवैधानिक अधिकार से वंचित रखने की कोशिश हो रही है और पटना के कुछ सिखों ने साजिश कर बिहार हाईकोर्ट में तीन-तीन याचिकाएं दाखिल कर रखी है। चूंकि वे पटना से हैं और वे पूर्व केंद्रीय मंत्री के नजदीकी हैं तो पटना सिटी अनुमंडल प्रशासन, बिहार राज्य निर्वाचन आयोग इस मामले में उदासीन रवैया अपनाए हुए हैं।
बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार को प्रतिनिधित्व दिया जा चुका है झारखंड के मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन को भी प्रतिनिधित्व दिया गया। किंतु दोनों सरकारों का रवैया उदासीन रहा है। इस मामले में जमशेदपुर पूर्व के विधायक और पूर्व मंत्री सरयू राय ने ही इमानदारी से कोशिश की। उन्होंने बिहार सरकार और झारखंड सरकार को पत्र लिखा। वहीं झारखंड विधानसभा में इससे संबंधित सवाल उठाया और हेमंत सरकार से उचित कार्रवाई का निवेदन किया था परंतु आज तक इस मामले में क्या हुआ, फाइल कहां पहुंची, बिहार सरकार से क्या जवाब मिला किसी को कुछ नहीं मालूम और कोई बताने वाला भी नहीं है।
अधिवक्ता कुलविंदर सिंह के अनुसार बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने बिहार के पूर्व मुख्य सचिव सरदार गुरिंदर सिंह कंग की अध्यक्षता में तख्त श्री हरमंदिर पटना साहिब प्रबंधन कमेटी के लिए नवीन संविधान तैयार करने की जिम्मेदारी कई साल पहले दी, उसके ड्राफ्ट को झारखंड की सिख संस्थाओं को नहीं भेजा गया कोई राय लेने की कोशिश नहीं हुई अर्थात ड्राफ्ट में झारखंड को शायद हिस्सेदारी से वंचित कर दिया गया है?
अधिवक्ता के अनुसार बिहार पुनर्गठन अधिनियम 2000 के अनुसार जब तक कोई नीतिगत निर्णय नहीं होता है तब तक पूर्व की स्थिति बहाल रहेगी लेकिन इस संवैधानिक व्यवस्था को बहाल रखने में भी बिहार का प्रशासनिक अमला ईमानदारी से रुचि नहीं दिखा रहा है। ऐसे में झारखंड के सिखों के पास यह चुनाव बेहतर मौका है, राष्ट्रीय महत्व के इस चुनाव में केंद्र सरकार अपना ध्यान देगी और निश्चय ही बिहार झारखंड के सिखों के कई संवैधानिक समस्याओं का समाधान होना संभव हो जाएगा।

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