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राज्य की सभी लोस सीटों पर जीत दर्ज करायेगी सीता-गीता की जोड़ी

चाईबासा। झारखण्ड की सभी लोक सभा सीटों पर जीत दर्ज करायेगी। झारखण्ड की सीता-गीता की जोडी़ ! झारखण्ड में सिंहभूम संसदीय सीट से एकमात्र सांसद गीता कोडा़ पहले हीं कांग्रेस छोड़कर भाजपा में शामिल हो गई है। अब झामुमो सुप्रीमों शिबू सोरेन की बडी़ बहू सह विधायक सीता सोरेन ने भी पारिवारिक कटुता व उपेक्षा से परेशान होकर भाजपा का दामन थाम लिया। झारखण्ड की राजनीतिक केन्द्र बिंदु भाजपा व झामुमो अथवा इनके गठबंधन के सहयोगी पार्टियों के इर्द-गिर्द ही घूमती है। लेकिन आज विधायक सीता सोरेन के भाजपा का दामन थामने के बाद झारखण्ड की राजनीतिक विकट स्थिति में पहुंच गई है।सिर्फ लोकसभा चुनाव हीं नहीं बल्कि झारखण्ड सरकार की चम्पाई सोरेन सरकार के अस्तित्व पर भी प्रश्न चिन्ह खड़ा होने लगा है। सीता सोरेन के भाजपा में शामिल होने से झामुमो कार्यकर्ता आपस में बंटेंगे। क्योंकि झामुमो को आगे बढा़ने में सीता सोरेन के स्व0 पति दुर्गा सोरेन ने झामुमो सुप्रीमों शिबू सोरेन के साथ अहम भूमिका निभाया था।आज उनकी पत्नी वर्षों से झामुमो में अपने आप को उपेक्षित महसूस कर रही थी। लेकिन उनके आज के कदम से झामुमो हीं नहीं बल्कि पूरी सरकार के अस्तित्व पर खतरा मंडरा रहा है।विधायक सीता सोरेन के भाजपा में शामिल होने के बाद झारखण्ड की चम्पाई सोरेन सरकार पर भी खतरा इस लिये उत्पन्न होता दिखाई दे रहा है। क्योंकि वर्तामन में झामुमो के पास कुल 29 विधायक हैं। वहीं कांग्रेस के पास 17 और आरजेडी के पास 1 विधायक है। कुल मिलाकर महागठबंधन सरकार के पास विधायकों की संख्या 47 है।वाम दल के विधायक विनोद सिंह का भी समर्थन भी महागठबंधन को प्राप्त है। इसके अलावा बीजेपी के पास 26, एनसीपी के पास 1 और आजसू के पास 2 विधायक हैं।प्रदेश में कुल 81 सीटे हैं। झारखंड में सरकार गठन के 41 विधायकों के समर्थन की जरुरत है। इसमें से झामुमो विधायक सरफराज अहमद पहले हीं विधायकी से इस्तीफा देकर राज्यसभा से निर्वाचित हो गये हैं। अभी इस सीट के लिये चुनाव होना बाकी है।झामुमो विधायक लोबिन हेम्ब्रम भी बरावती रुप अख्तियार किये हुये हैं।झामुमो के कुछ अन्य विधायक भी सरकार से नाराज चल रहे हैं। दूसरी तरफ कांग्रेस में भी टूट की संभावना निरंतर बनी हुई है। जगन्नाथपुर से विधायक सोनाराम सिंकू को कोडा़ दम्पत्ति का करीबी माना जाता है। उनपर झारखण्ड सरकार भरोसा नहीं कर सकती है। हालांकि वह स्वंय कांग्रेस का सच्चा सिपाही बताते रहे हैं। इसके अलावे कांग्रेस के कुछ अन्य विधायकों की गतिविधियां व पूर्व के कार्यकलापों व उनकी नाराजगी सरकार को परेशानी में डालती रही है। अर्थात सीता सोरेन का भाजपा में शामिल होना एक तीर से दो निशाना होगा।

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