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आदिवासी और गरीब विरोधी है भाजपा और मोदी : लोकतंत्र बचाओ यात्रा के दौरान एक स्वर में बोले ग्रामीण

लोकतंत्र बचाओ 2024 अभियान, पश्चिमी सिंहभूम

चाईबासा। लोकतंत्र बचाओ 2024 अभियान द्वारा कोल्हान के दो दिवसीय यात्रा के दौरान सिंहभूम संसदीय क्षेत्र के चक्रधरपुर, मनोहरपुर और सदर विधान सभा क्षेत्र के बुडीगोड़ा, गुड़ासाई, कोमाय, सगीपी, ईचाहातु, बड़ा लगिया समेत कई गावों में जन सभा किया गया।

सभा में वक्ताओं ने कहा कि हाल में मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन को फर्जी आरोप पर गिरफ्तार करना और आदिवासी-मूलवासियों द्वारा चुने हुए सरकार को बार-बार गिराने की कोशिश भाजपा और मोदी सरकार के आदिवासी विरोधी चेहरा को बेनकाब कर दिया है. साथ ही, खुद मुख्यमंत्री के आदिवासियत पर ही जातिसूचक टिपण्णी करने वाले को मोदी सरकार द्वारा संरक्षण देना उनकी मनुवादी सोच को दर्शाता है. मोदी सरकार झारखंड के जल, जंगल, जमीन, खनिज को लूट कर अडानी और अन्य कॉरपोरेट के हवाले कर देना चाहती है। मणिपुर में आदिवासियों, खासकर के महिलाओं पर हुई हिंसा वहां की भाजपा सरकार और मोदी सरकार के संरक्षण में किया गया. आदिवासियों को धर्म के नाम पर बांटने की कोशिश की जा रही है. इससे आदिवासी एकता कमज़ोर होगी और उनके संसाधनों को आसानी से लूटा जा सकता है.

आदिवासियों पर हो रहे जुल्म को मानते हुए सभाओं में ग्रामीणों ने महंगाई और बेरोजगारी की समस्या को साझा किया। वक्ताओं ने कहा कि एक ओर देश को 5 ट्रिल्यन रुपए की अर्थव्यवस्था बनाने का जुमला दिया गया और दूसरी ओर ग्रामीण मजदूरों के मजदूरी दर में 10 सालों में कोई बढ़ोतरी नहीं हुई है। मनरेगा, सामाजिक सुरक्षा पेंशन, मध्याह्न भोजन, आंगनवाड़ी सेवा, मातृत्व भत्ता समेत कई कल्याणकारी योजनाओं के बजट में व्यापक कटौती की गयी एवं स्वस्थ व शिक्षा को कमजोर किया गया है। सब योजनाओं को आधार से जोड़ने के कारण गरीबों की समस्याएं और बढ़ गई है। प्रधान मंत्री का प्रति वर्ष 2 करोड़ रोजगार का वादा महज़ जुमला निकला। अग्निवीर योजना लागू कर भारतीय सेना की लम्बी नौकरी को खत्म कर 4 साल की संविदा आधारित व्यवस्था लागू की गयी। रेलवे सहित हर सरकारी और गैर-सरकारी क्षेत्र में नौकरी व्यवस्था खत्म कर अल्पकालिक ठेका बहाली लायी जा रही है।

लोकतंत्र यात्रा के दौरान ग्रामीणों ने एक स्वर में नारा दिया – “भाजपा-मोदी काबुए, झारखंड दिशूम आबुए”. यात्रा में अंबिका यादव, अजीत कांडेयांग, अशोक मुंडरी, दामु हेम्बरोम, मंथन, नारायण कांडेयांग, रमेश जेराई, सकारी दोंगो, सिराज दत्ता, सुनील पूर्ति, सुरेश जोंको समेत कई सामाजिक कार्यकर्ता भाग लिए।

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