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बिना भोजभात के वैदिक मंत्र उच्चारण के साथ आनंद मार्ग पद्धति से लक्ष्मण दादा का श्राद्ध कर्म संपन्न

जमशेदपुर : स्वर्गीय आनंदमार्गी लक्ष्मण दादा का निधन 23 जनवरी को ह्रदय गति रूक जाने के कारण हुआ था।आज 29 जनवरी को आनंद मार्ग प्रचारक संघ की ओर से स्वर्गीय लक्ष्मण दादा के निवास स्थान गदरा, शिव मंदिर के पास श्राद्धनुष्ठान का कार्यक्रम आचार्य पारसनाथ जी ने संपन्न करवाया।सबसे पहले ईश्वरप्रणीधान के बाद श्राद्ध का मंत्र आचार्य पारसनाथ के द्वारा उच्चारित किया गया, उसके बाद उपस्थित लोगों ने भी मंत्र का उच्चारण किया। मंत्र “ॐ मधु वाता ऋतायते मधुं क्षरन्तु सिन्धवः ।
माध्वीर्नः सन्त्वोषधीः
मधु नक्तमुतोषसो मधुमत्पार्थिवं रजः ।
मधु द्यौरस्तु नः पिता ।।
मधुमान्नो वनस्पति र्मधुमान् अस्तु सूर्यः ।
माध्वीर्गावो भवन्तु नः ॥
ॐ मधु ॐ मधु ॐ मधु ”
हे परमेश्वर हम लोगों के परम आत्मीय लक्ष्मण दादा की विदेही आत्मा आज मरणसील जगत के ऊपर जगत के सुख -दुख से बाहर है ।हे परमेश्वर उनकी अमर आत्मा उत्तरोत्तर प्रसार लाभ करें।आचार्य पारसनाथ ने कहा कि श्राद्ध से विदेही आत्मा का कोई फायदा नहीं होता श्राद्धकर्ता की मानसिक शांति के लिए होता है ।शोक समय में अपने को व्यर्थ कष्ट देना या लोगों को दिखाने के उद्देश्य से बेवजह कोई काम नहीं करना चाहिए। शोक का समय 12 दिन से अधिक नहीं होना चाहिए ।12 दिन के भीतर ही किसी भी दिन सुविधानुसार श्राद्धकर्म संपन्न कर सकते हैं । अंत में. “सर्वेत्र भवन्तु सुखिनः सर्वे सन्तु निरामयाः,
सर्वे भद्राणि पश्यन्तु
न कश्चिद् दुःख माप्नुयात्
ऊँ शांतिः शांतिः शांतिः”
मंत्र का उच्चारण कर इसका भावार्थ राजेंद्र प्रसाद जी के द्वारा समझाया गया। इस श्राद्धकर्म की विशेषता थी कि किसी तरह का कोई भी भोज भात का आयोजन नहीं था ।आनंद मार्ग पद्धति में श्राद्धकर्म में भोज भात स्वीकार नहीं है।

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