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नगर कीर्तन में ज्ञान के लंगर का स्टाल भी होना चाहिए: जमशेदपुरी

जमशेदपुर;लौहनगरी जमशेदपुर के युवा सिख धर्म प्रचारक हरविंदर सिंह जमशेदपुरी ने एक अहम मुद्दा उठाते हुए नगर कीर्तन के दौरान जलपान के विभिन्न स्टालों के अलावा में ज्ञान के स्टॉल लगाने की भी वकालत की है।
रविवार को प्रचारक हरविंदर सिंह जमशेदपुरी ने अपनी बात को बल देते हुए कहा कि गुरबाणी में भी अंकित है ‘खावेह ख़रचेह रल मिल भई, तोट ना आवे वध्दों जाई’ अर्थात जो जनमानस ज्ञान के खजाने को साध संगत के साथ बाँटते हैं उनका जीवन सफल हो जाता है। उन्होंने कहा यह वाणी पाँचवे गुरु श्री गुरु अर्जुन देव जी साहिब द्वारा रचित है।
हरविंदर सिंह का कहना है कि नगर कीर्तन में गुरुओं के सम्मान में निकाली गई शोभायात्रा में विभिन्न प्रकार के जलपान के स्टॉल लगाए जाते हैं जो अच्छी बात है, परंतु इस दौरान कम से कम एक स्टॉल ज्ञान का भी अवश्य होना चाहिए, जहां पर कोई भी जिज्ञासु व्यक्ति श्री गुरुग्रंथ साहब की वाणी के बारे में और सिक्खों के इतिहास संबंधित ज्ञान हासिल कर सके। उन्होंने कहा इसके लिए संगत को स्वयं जागरूक होना पड़ेगा की वे किस तरह नगर कीर्तन में उपस्थित श्रद्धालुओं को ज्ञान परोस सकते हैं।
उन्होंने हवाला देते हुए कहा आज के आधुनिक युग में जिस प्रकार बच्चे कृत्रिम और अभासी दुनिया में खो गए हैं या यूँ कहें भटक गए हैं, उन्हें सिखों के अमीर वीरसे और सिख इतिहास से अवगत कराना अति आवश्यक हो गया है।
जमशेदपुरी ने कहा और यह तभी संभव है इस तरह के धार्मिक समागमों में अलग से स्टॉल लगाकर ज्ञान बाँटने की क़वायद शुरू की जाये।

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