आदिवासी प्राकृतिक को भगवान के रूप में स्वीकार करते हैं आदिवासी समाज पेड़ पौधे को परिवार के सदस्य के रूप में स्वीकार करते हैं : आनंद मार्ग
विश्व आदिवासी दिवस के अवसर पर आदिवासियों के बीच आनंद मार्ग ने बांटे बीज बाल एवं 200 निशुल्क पौधे
जमशेदपुर;विश्व आदिवासी दिवस के अवसर पर आदिवासियों के बीच आनंद मार्ग ने बांटे बीज बाल एवं 200 निशुल्क पौधेविश्व आदिवासी दिवस के अवसर पर गदरा एवं उसके आसपास के गांव के आदिवासी समाज के लोगों के बीच प्राकृतिक संरक्षण के लिए आदिवासी दिवस के अवसर पर बीज बॉल बनाकर बीज बॉल बनाने की पद्धति बताई गई एवं उन लोगों के बीच बीज बोल भी दिया गया पर्यावरण संरक्षण के लिए संकल्प भी दिलाया गया
आदिवासी समाज ही एक ऐसा समाज है जोकि पेड़ पौधे को परिवार का सदस्य के रूप में स्वीकार करते हैं प्राकृतिक को वे भगवान मानते हैं सही प्राकृतिक प्रेमी आदिवासी ही है
आनंद मार्ग यूनिवर्सल रिलीफ टीम ग्लोबल एवं प्रीवेंशन आफ क्रुएलिटी टू एनिमल्स एंड प्लांट्स (PCAP)जमशेदपुर की ओर से से पिछले 15 सालों से आज तक लगभग 1लाख 50 हजार से भी ज्यादा पौधा का निशुल्क वितरण किया जा चुका है
आनंद मार्ग के सुनील आनंद का कहना है कि
आनंद मार्ग का कहना है कि जब तक हम पेड़ पौधों एवं जीव ,जंतु को अपने परिवार का सदस्य के रूप में स्वीकार नहीं किया करेंगे तब तक प्रकृति का कल्याण संभव नहीं है ,इसलिए नव्य -मानवतावादी विचारधारा से समाज का कल्याण संभव है ,नव्य मानवतावाद बताता है कि इस पृथ्वी पर मनुष्य ही नहीं अनेक प्रकार के पेड़ ,पौधे जीव जंतु इस पृथ्वी रूपी परिवार के सदस्य हैं ,हम इस पृथ्वी के बुद्धिमान जीव होने के नाते हमारा कर्तव्य बनता है कि सभी को परिवार सदस्य के रूप में स्वीकार किया जाए , मनुष्य का परम आदर्श नव्य- मानवतावाद होना चाहिए तभी पृथ्वी का कल्याण संभव है इस विचार को
आदिवासी समाज स्वीकार करते हुए आगे बढ़ रहे हैं हम लोगों को इन लोगों के बीच सहयोग की आवश्यकता है आनंद मार्ग हमेशा पर्यावरण के उद्देश्य से आदिवासी समाज के बीच मिलकर काम कर रहा है
पृथ्वी पर ऑक्सीजन की मात्रा को संतुलित रखने के लिए आनंद मार्ग की ओर से बांटे गए हर तरह के पौधे